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दलालों और माफियाओं की भेंट चढ़ा आईएसओ मान्यताप्राप्त आरा सदर अस्पताल

आरा, 26 फरवरी (हि.स.)।अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन(आईएसओ) से प्रमाणित और मान्यताप्राप्त आरा का सदर अस्पताल तमाम सुविधाओं का लाभ लेने के बावजूद असुविधाओं और जर्जरता के दौर से गुजर रहा है। सरकार से सुविधाओं के एवज में पैसे लेकर अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा डकार लेने का नतीजा है कि आईएसओ से मान्यता का बोर्ड लगाए इस अस्पताल में बेड जर्जर हैं,चादर नहीं है और फटे हुए बेड पर इनदिनों मरीजो के इलाज किये जा रहे हैं। बेड के रखरखाव और चादर लगाने वाले जिम्मेदार लोग अपनी आंखों के सामने सब कुछ देखकर भी सब कुछ ठीक-ठाक होने के सफेद झूठ बोलने से परहेज नहीं करते। उन्हें तोते की तरह यही रटाया गया है कि सामने फटे हुए बेड, और चादर नहीं होने की सच्चाई देख कर भी पूछने पर जवाब दिया जाता है कि बेड ठीक है और बेड पर चादर है। आपातकालीन वार्ड से लेकर मेडिकल वार्ड तक की आरा सदर अस्पताल की स्थिति आईएसओ के सर्टिफिकेट को मुंह चिढ़ा रहा है।इमरजेंसी वार्ड में इलाजरत मरीज बताते हैं कि आरा सदर अस्पताल में बेड पर या तो चादर लगाये ही नहीं जाते या अगर कहीं-कहीं लगाये भी जाते हैं तो उन बेडों की चादर तीन चार दिनों पर बदली जाती हैं। सदर अस्पताल में इलाजरत मरीज बताते हैं कि सदर अस्पताल के बेड फटे हुए हैं और आईएसओ मान्यता की पोल खोल कर रख देते हैं। आरा सदर अस्पताल की जर्जर स्थिति की बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि वाटर प्यूरीफायर के लगने और सप्ताह भर में ही खराब हो जाने की बात भी सदर अस्पताल की लूटपाट को बयां करती है। प्रसूति के लिए सदर अस्पताल आई महिलाओं को नर्सों द्वारा नीचे जमीन पर ही घण्टों लिटा देने की बात भी अक्सर सामने आती रही है। गन्दगी तो आरा सदर अस्पताल की पहचान रही है। नालियों का बहता पानी आरा सदर अस्पताल में स्वच्छता की पोल खोल देता है। आरा सदर अस्पताल में व्याप्त कुव्यवस्था, अराजकता और अव्यवस्था के पीछे यहां के असामाजिक तत्व हैं जिनका पूरे अस्पताल प्रशासन और प्रबन्धन पर कब्जा है। ऐसे तत्व दलाली से लेकर मरीजों को मनपसंद चिकित्सकों के यहां निजी अस्पतालों में भेजने तक में बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं। यह सब सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक की मौजूदगी में होता है। आरा सदर अस्पताल में मरीजों की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ जाती है और अंततः मरीजों को विवश होकर निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता हैं। मरीजो को परेशान करने में अस्पताल प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। प्रशासन द्वारा इतनी परेशानियां खड़ी कर दी जाती हैं कि मरीज निजी अस्पतालों में भागने को विवश हो जाय। इस कार्य मे बिचौलिये, दलाल, चिकित्सक और सदर अस्पताल सभी की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भूमिका है। आरा सदर अस्पताल में बिचौलियों और दलालों का पैर जमाने में अस्पताल प्रशासन की ही भूमिका सबसे अधिक है। आरा सदर अस्पताल आईएसओ मान्यता प्राप्त करने के बाद भी सिर्फ अपने अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन के प्रमाणपत्र सिर्फ कागजों और फाइलों में रहने के अलावा अस्पताल के मुख्य द्वार पर आईएसओ मान्यता प्राप्त बोर्ड की शोभा बढ़ाने भर तक सिमट कर ही रह गया है। इस अस्पताल पर स्थानीय,विधायक, सांसद, राज्य सरकार के मंत्री और केंद्रीय मंत्री सहित जिला प्रशासन का ध्यान नहीं रहने से आरा सदर अस्पताल दलालों और माफियाओं की कठपुतली बन कर रह गया है। इसे जनता का अस्पताल बनाने के लिए जिम्मेदार लोगों को आना होगा तभी आरा का सदर अस्पताल आईएसओ मान्यता पर खरा उतर सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/हिमांशु शेखर

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