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कोरोना संकट में निर्वाह भत्ता के लिए सैकड़ों मजदूरों ने किया प्रदर्शन

भागलपुर, 20 मई (हि.स.)। कोरोना संकट के दौरान प्रत्येक मजदूर को प्रतिमाह 10 हज़ार निर्वाह भत्ता व प्रतिव्यक्ति 10 किलो अनाज देने, महंगाई - कालाबाजारी पर रोक लगाने, आधारकार्ड व रजिस्ट्रेशन के बिना 3 माह के अंदर सभी को कोविड टीका लगाने, पंचायत स्तर तक कोविड जांच की व्यवस्था व गांव-गांव में मेडिकल टीम भेजने, कोरोना जनसंहार के जिम्मेदार प्रधानमंत्री के इस्तीफा की मांग को लेकर गुरुवार को ऐक्टू के आह्वान पर बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन, असंगठित कामगार महासंघ, घरेलू महिला कामगार यूनियन, ई-रिक्सा चालक यूनियन, बिहार राज्य ऑटोरिक्सा (टेम्पू) चालक संघ, बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ आदि ऐक्टू से सम्बद्ध यूनियनों के सैकड़ों असंगठित मजदूरों ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपने-अपने घरों-कार्यालयों से मांग लिखे पोस्टर के जरिए प्रदर्शन किया। मजदूरों ने सरकार विरोधी नारे लगाए और सोशल मीडिया के जरिए अपनी मांगों को बुलन्द किया। आईसीएफ के राष्ट्रीय महासचिव व बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के राज्य अध्यक्ष एस के शर्मा और ऐक्टू के राज्य सह जिला सचिव व असंगठित कामगार महासंघ के राज्य अध्यक्ष मुकेश मुक्त ने मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री, बिहार को जिला पदाधिकारी, भागलपुर के माध्यम से डिजिटल पत्र लिखकर मांगो पर अविलम्ब कार्रवाई करने की अपील की। नेतृत्वकर्ताओं ने कहा कि कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से रोज कमाने-खाने वाले मजदूर परिवारों में भुखमरी जैसी स्थिति बन गयी है। निर्माण मजदूरों, दाइयों, मोटिया मजदूरों, रिक्सा, ठेला, जुगाड़ चालकों, ई-रिक्सा, ऑटोरिक्सा ड्राइवरों, फुटपाथी दुकानदारों, भेंडरों, खेतिहर, ग्रामीण मजदूरों आदि अन्य असंगठित क्षेत्र के दैनिक मजदूरों को अगर जल्द ही सहायता नहीं मिली तो कोरोना से मौतों के साथ-साथ भूख से मौतों की खबरें आने लगेगी। उन्होंने कहा कि कोरोना जनसंहार के लिए जिम्मेदार पीएम मोदी महंगाई - जमाखोरी पर रोक लगाने में पूरी तरह फेल साबित हुई है। देशवासियों के लिए कोरोना जांच व इलाज और राहत की मुकम्मल व्यवस्था करने की बजाय उन्हें लगातार गुमराह करने की कोशिश में लगी है। उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। मांगो के पूरा होने तक मजदूरों का आन्दोलन जारी रहेगा। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय/चंदा

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