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अस्पतालों में वेंटिलेटर, एंबुलेंस सब है लेकिन इन लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम को चलाने वाले कोई नहीं: माले

बेतिया, 27 मई (हि.स.)। भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील कुमार यादव ने बयान जारी कर कहा है कि कोरोना महामारी में जब अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी तो पत्ता चला कि अस्पतालों में डाक्टर नहीं है।लोग इलाज कराने आ रहे हैं,और वहां से लाशें निकल रही है।हल्ला मचा तब सरकार को याद आया कि उन्होंने ना तो डॉक्टरों को बहाल किया और ना ही स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति की। जिसका नतीजा क्या हो रहा है हम सब देख रहे हैं बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ रही हैं. माले नेता ने आगे कहा कि अस्पतालों में वेंटिलेटर, एंबुलेंस सब था लेकिन नहीं थे तो इन लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम को चलाने वाले. कुछ ऐसी ही हालत बिहार के स्कूलों की है, जहां पढ़ने वाले बच्चे तो हैं, स्कूल की बिल्डिंग भी लगभग हर जगह है लेकिन पर्याप्त संख्या में शिक्षक नही हैं. यानि तीन लाख से ज्यादा शिक्षक का पद वर्षों से खाली हैं, चुनाव से पहले नितीश सरकार ने करीब सवा लाख वैकेंसी निकालने का वादा किया था। लेकिन चुनाव बीतने के बाद सरकार ने जैसे इस वादे को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. आगे कहा कि जब शिक्षक हैं ही नहीं तो पढ़ाई की बात कहां से आयी. जब पढ़ाई नहीं होगी तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे आएगी? इस कोरोना महामारी में अस्पतालों से जिस तरह डाक्टर के अभाव में लाशें निकल रही है, ठीक शिक्षक के अभाव में स्कूलों से अज्ञानी यानी शिक्षा के वगैर जिन्दा लास बन कर रह जाएंगे, इस लिए गाँव गाँव से शिक्षक कि बहाली और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कि लड़ाई लड़ने की तैयारी करनी होगी। हिन्दुस्थान समाचार / अमानुल हक

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