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वाहनों व उद्योगों के कारण बढते प्रदूषण से तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियर: रामशरण

भागलपुर, 20 फरवरी (हि.स.)। भागलपुर के स्टेशन चौक पर शुक्रवार को गंगा मुक्ति आन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वयक रामशरण के नेतृत्व में हिमालय बचाओ दिवस पर एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राम शरण ने कहा कि विगत 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में भयंकर दुर्घटना हुई, जिसमें 150 से अधिक लोगों के जान जाने की आशंका है। हजारों फीट ऊंचे नंदा देवी पर्वत से करीब आधा किलोमीटर लंबा पहाड़़ का टुकड़ा और बर्फ नीचे ऋषि गंगा मे गिर पड़ा। इससे उत्पन्न भयंकर बाढ ने व्यापक तबाही मचाई और दो बांधों ऋषिगंगा और तपोवन बांधों को नष्ट कर दिया है। कुछ वर्ष पहले केदारनाथ में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। भारत में वाहनों और उद्योगों के कारण बढते प्रदूषण से हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। विगत 50 सालों में हिमालय के 15 फीसदी ग्लेशियर समाप्त हो चुके हैं। अगले सौ सालों में अधिकांश ग्लेशियर समाप्त हो जायेंगे। तब हिमालय से निकलने वाली गंगा, यमुना आदि नदियां भी सूख जायेंगी। प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. जी डी अग्रवाल (स्वामी सानंद) जिन्हें प्रधानमंत्री अपना बड़ा भाई मानते थे, बांधों के विरोध में 115 दिनों तक अनशन कर के अपने प्राण त्याग दिये। फिर भी सरकार पर असर नहीं पड़ा। वास्तव में सरकार पर पूंजीपतियों का नियंत्रण हो गया है। यदि कल कोई और भी भयंकर बाढ आने से टिहरी बांध टूट जाता है तो यूपी, बिहार और बंगाल के अनेक शहर ध्वस्त हो जाने का खतरा है। यह स्पष्ट है कि चमोली की दुर्घटना में 150 से अधिक लोगों के मृत्यु की जिम्मेदारी प्रकृति पर नहीं इस भ्रष्ट सरकार पर है। संस्कृति कर्मी उदय ने कहा कि गंगा के सूख जाने का मतलब है एक संस्कृति का समाप्त हो जाना। नदी घाटी ने हजारों वर्षों में एक समृद्ध संस्कृति और सभ्यता को जन्म दिया है परंतु सरकार के अवैज्ञानिक तरीके के विकास से हिमालय, नदी, पानी और अंततः मानव सभ्यता पर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसलिए यह जरूरी है कि हम सभी मिलकर आवाज उठाएं। सरकार को चाहिए कि वह गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की खोज करें जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि के प्रयोगों को आमजन तक सुलभ कराए। मौके पर गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के संजय कुमार,अभिषेक आदि मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय/चंदा

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