गायत्री मंत्र लेखन का बनेगा विश्व रिकॉर्ड, पांच अप्रैल से होगा अभिनव प्रयास

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बेगूसराय, 30 मार्च (हि.स.)। आध्यात्म और सामाजिक-जागरूकता समरसता को लेकर दुनिया भर में चर्चित गायत्री परिवार इस वर्ष गायत्री मंत्र लेखन का विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। इसकी तैयारी इस अवसर पर चल रही है तथा पांच से 17 अप्रैल तक 12 दिनों के दौरान स्वर्णाक्षर से एक करोड़ 25 लाख गायत्री मंत्र लिखकर यह विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। गायत्री परिवार के जिला संयोजक शैलेन्द्र किशोर झुनझुन ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड संस्था द्वारा गायत्री परिवार से संपर्क किया गया है कि कुंभ के पवित्र समयावधि में गायत्री परिवार के परिजनों द्वारा संयुक्त प्रयास करके एक साधनात्मक वैश्विक कीर्तिमान बनाया जाना चाहिए। अप्रैल में पांच से 17 तारीख तक अधिकाधिक गायत्री परिजन आनलाइन माध्यम से जुड़कर वैश्विक रिकार्ड संस्था द्वारा प्रदत वेब पोर्टल के माध्यम से एक करोड़ 25 लाख गायत्री महामंत्रों का स्वर्णाक्षरी से लेखन संभव बनाएंगे। इसके लिए मंत्र लेखन का प्रारूप युगतीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। मंत्र लेखन में पेन की स्याही स्वर्णिम रंग (गोल्डन कलर) को होना आनिवर्य है, तथा किसी विशेष समय की बाध्यता निश्चित नहीं है, सुविधा के अनुसार उपयुक्त समय पर निश्चित मात्रा में मंत्र लिखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारतीय ग्रंथों में गायत्री महामंत्र की महत्ता मुक्त कंठ से गायी गई है, अन्य देशों और अन्य संप्रदायों के आध्यात्मिक साधकों, विचारकों ने भी उसे अद्भुत तथा अनुपम कहा है। मंत्रों की विशेषता उनके शाब्दिक गठन से भी होती है और उनमें सन्निहित भावों से भी। गायत्री मंत्र के संबंध में भी सिद्ध साधकों के उसी प्रकार के दिव्य अनुभव हैं। गायत्री महामंत्र के भावपूर्ण जप और लेखन का प्रभाव सूक्ष्मजगत में तत्काल परिलक्षित होता है। अनंत आकाश से दिव्य ऊर्जा का किरण पुंज साधक के शरीर पर अवतरित होता है। वह दिव्यप्रकाश साधक के सामने की ओर शंकु आकार में एक प्रकाशमान बिंदु पर केंद्रित हो जाता है। उसका प्रभाव क्षेत्र साधक के स्तर के अनुरूप कम अथवा अधिक होता है। यह प्रकाशबिंदु सद्भाव एवं सद्विचार संचारक होता है। उसके प्रभाव क्षेत्र में यदि कोई व्यक्ति आ जाता है तो वह प्रकाशपुंज मुड़कर उस व्यक्ति के हृदय और मस्तिष्क को स्पर्श करता है। यदि गायत्री मंत्र का भाषानुवाद किसी भी भाव में किया जाए तो उसके जप से भी इसी प्रकार का प्रभाव परिलक्षित होता है। अपने 50 वें वर्ष में गायत्री परिवार द्वारा मंत्रलेखन का विश्व रिकॉर्ड कायम करने के लिए सभी प्रज्ञा पुत्र तत्पर हैं। दिव्य सौभाग्य से इन दिनों में नवरात्रि महापर्व के नौ दिन भी आ रहे हैं, जो साधनात्मक दृष्टि से एक दैवीय संयोग है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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