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सारण में किसानों की चार कंपनियों को मिला जैविक खेती का प्रमाण पत्र

-अब सारण के किसान कर सकेंगे ऑनलाइन जैविक उत्पादों की बिक्री - 1000 एकड़ में चार कंपनियों के द्वारा की जाएगी जैविक विधि से खेती छपरा, 31 जनवरी (हि.स.)।सारण जिले में 1000 एकड़ में चार कंपनियों के द्वारा जैविक विधि से उत्पादित वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए किसानों की चार कंपनियों को सरकार के द्वारा अधिकृत संस्था बसोका के द्वारा प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है। चार कंपनियों को बसोका की ओर से जैविक खेती के प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया है। अब इन कंपनियों के द्वारा अपने जैविक उत्पादों को ऑनलाइन बिक्री दुनिया के किसी भी देश में की जा सकेगी। इसके लिए चारों कंपनियों से जुड़े किसानों की पूरी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है और इन कंपनियों से जुड़े किसानों के खेत में लगाए गए फसल समेत उनके बारे में सभी तरह का ब्यौरा अपडेट है, जिसके आधार पर किसान अपने उत्पाद को दुनिया के किसी भी देश में सीधे अपने जैविक उत्पाद बेच सकेंगे। बताते चलें कि सारण जिले के रिविलगंज, मांझी, गरखा, नगरा, दरियापुर प्रखंडों में जैविक कैरीडोर योजना के तहत जैविक खेती शुरू कराई गई है। इसके लिए किसानों के द्वारा सभी प्रखंडों में कंपनी का गठन किया गया है और गठित कंपनियों को पहले वर्ष का जैविक खेती के प्रमाणीकरण का प्रमाण पत्र (प्रथम) उपलब्ध कराया गया है। इन कंपनियों को लगातार तीन वर्षों तक जैविक खेती के प्रमाणीकरण किए जाने के पश्चात उन्हें पूर्ण रूप से जैविक उत्पाद और जैविक खेती करने वाले किसान की श्रेणी में लाया जायेगा। वैसे किसानों को इन कंपनियों में जोड़ा गया है, जिनके द्वारा जैविक खेती को अंगीकार किया गया है और प्रथम वर्ष में जैविक विधि से फल सब्जी अनाज आदि का उत्पादन प्रारंभ किया गया है। ज़िला कृषि पदाधिकारी डा के के वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग के जैविक कॉरिडोर योजना बिहार में जैविक विधि से खेती कराने के मामले में सारण जिला सबसे आगे हैं और जैविक कैरीडोर बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किया जा रहा है। जैविक विधि से तैयार किए गए फल, सब्जी तथा अन्य उत्पादों की दुनिया के स्तर पर मांग बढ़ी है और जैविक विधि से उगाए गए फसलों को अच्छी कीमत भी वैश्विक बाजार में मिल रही है। इस योजना से किसानों की आय दोगुनी होने के साथ-साथ वह आत्मनिर्भर हो सकेंगे और जैविक विधि से पारंपरिक तथा अन्य फसलों के उत्पादन के प्रोत्साहन को बढ़ावा मिलेगा। हिन्दुस्थान समाचार / गुड्डू-hindusthansamachar.in

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