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जन्मशती के मौके पर रेणु के साहित्यिक अवदान पर बुजुर्ग समाज ने की चर्चा

पूर्णिया,04 फरवरी (हि.स.)। ग्रामीण चेतना के चितेरे अमर कथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती पर बुजुर्ग समाज तथा साहित्यांगन के सदस्य साहित्यकारों ने लोक कथाकार को श्रद्धा पूर्वक याद किया तथा एक साझा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उनके साहित्यिक अवदान पर चर्चा की। लोगों ने कहा रेणु कथा सम्राट प्रेमचंद के बाद सबसे अधिक पढ़े जाने वाले ऐसे कथाकार हैं जिन्होंने आंचलिक कथा साहित्य को नई ऊंचाई दी। संवेदना के धनी रेणु को शब्दों का जादूगर कहा जाता है, जिनके शब्द बोलते हैं। उनके शब्दों में ऐसी गूंज समाई है जिसमें घुंघरू के रूनक झुनक ध्वनि समाहित है। उनके शब्दों के गुम्फन में अभूतपूर्व आकर्षण है जो पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करने की अभूतपूर्व क्षमता रखता है। उनके कथा साहित्य की भाषा ऐसी है जो जन सामान्य की बोली जाने वाली भाषा है। जिसका ग्रामीण जीवन से सीधा संबंध है। ग्रामीण चेतना का निखार जितना रेणु साहित्य में हुआ है अन्यत्र नहीं। रेणु के कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन की बारीकियों का भरपूर उल्लेख हुआ है जहां ग्राम्य जीवन की ध्वनियां मुखरित हुई हैं। निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि धरती के धनी रेणु का कथा लोक विशाल है, रसपूर्ण है तथा संवेदनाओं से भरा है जिसे बार - बार पढ़ने की इच्छा जागती है। मैला आंचल तथा परती परिकथा उनकी विश्वस्तरीय कृति है जिसमे ग्रामीण जीवन का संपूर्ण समाज बसता है। आज उनकी जन्मशती पर रेणु का कथा लोक जीवंत हो उठा है और उनके शब्दों की अनुगूंज चारों ओर सुनाई दे रही है। ऐसे रसधर्मी कथाकार विरले होते हैं। उनकी पावन स्मृति को बार - बार नमन। उनको याद करने वालों में भोलानाथ आलोक, डॉ. रामनरेश भक्त, शिवनारायण शर्मा व्यथित, डॉ. नीलांबर सिंह, ए. हसन दानिश, डॉ. उत्तिमा केशरी, एम. एच. रहमान, अजय सान्याल, अशोक सिंह गनवरिया, सुवंश ठाकुर अकेला, नरेश कुमार एवं केदारनाथ साह आदि शामिल थे। हिन्दुस्थान सामाचार /नन्दकिशोर

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