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हर्षोल्लास से मनाया गया ईद-उल-फितर का त्योहार

सुपौल, 14 मई (हि. स.)। ईद-उल-फितर का त्योहार शुक्रवार को हर्षोल्लास से मनाया गया। कोरोना महामारी को लेकर लोग अपने-अपने घरों पर नमाज अदा कर अल्लाह की इबादत की। एक-दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। छोटे बच्चों को ईदी देकर हर्ष और सौहार्द का संदेश दिया। छोटे बच्चों ने भी अपने वालिदों के साथ नमाज पढ़ी। रमजान के पाक महीने के बाद शुक्रवार को ईद का त्योहार ग्रामीण क्षेत्रों में भी घर घर में पारंपरिक रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गुरुवार की रात को आसमान में चांद का दीदार होने के बाद शुक्रवार को ईद मनाने का एलान हुआ था। जेठ की भीषण गर्मी में एक महीने से रमजान के रोजे कर रहे रोजेदारों को ईद के इस चांद के दीदार का बेसब्री से इंतजार था। शुक्रवार को सुबह मुस्लिम समुदाय के सभी लोगों ने स्नानादि के पश्चात रंगबिरंगे कपड़े पहनकर अपने अपने घरों पर ही सोशल डिस्टनसिंग की पालना करते हुए ईद की नमाज अता की और खुदा से खुशियों, बरकतों, व आपसी भाई चारे और एकता व अखंडता को बनाए रखने की दुआएं करते हुए एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। इस बार कोरोना संकट व सोशल डिस्टनसिंग के चलते ईदगाह पर होने वाली सामूहिक नमाज का आयोजन नहीं किया जा सका था। ईद उल फितर के त्योहार की खुशी छोटे बच्चों से लेकर बड़े बूढो व महिलाओं में देखते ही बन रही थी। उनके चेहरों पर केवल हंसी और ईद की खुशी ही उफान मार रही थी। मुस्लिम समुदाय के लोगों के घर घर में इस दिन सेवइयों की मीठी खीर व मिठाईया बनाई गई और ईद की नमाज के बाद सभी परिजनों ने खीर और मिठाईया छक कर खाई व अपने मिलने जुलने वालों को भी खिलाई। मुस्लिम धर्मालंबियों ने बताया कि कुरान ए पाक के अनुसार ईद उल फितर का यह त्योहार हंसी खुशियो का त्योहार है। इस महीने में अल्लाह सबकों खुशियो की ईनाम बख्शता है। ईद के इस पवित्र अवसर पर नमाज से पहले सभी लोग अपनी क्षमता के अनुसार फितरा का फर्ज निभाते हैं। धर्मावलंबियों ने बताया कि ईद उल फितर का दिन अल्लाह की तरफ से इनाम का दिन होता है। रमज़ान के तीस दिन का रोजा रोजे सब्र और तक्वा के साथ रखने वाले अपने बंदों को खुदा आज ईद के दिन इनाम से नवाज़ता है और उनकी बख्शीश करता है। उनके गुनाहों की माफ़ करता है। ईद की नमाज़ अदा करने से पूर्व मुसलमान भाई अपनी माल में से गरीबों के लिए सदका ए फितर भी अदा करते हैं। वहीं ईद से पूरे मालदार लोग (साहिब ए निसाब) पर अपनी जमा धन का ढाई प्रतिशत रकम जकात भी गरीबों के लिए निकलते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव/चंदा

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