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कृषि प्रशिक्षण के दौरान किसानों को मत्स्य पालन और आधुनिक खेती अपनाने पर दिया गया बल

आरा,31 जनवरी(हि. स.)।भोजपुर जिले कृषि विभाग में कृषि विज्ञान केंद्र और आत्मा के संयुक्त तत्वावधान में बदलते मौसम और बदलती जलवायु को देखते हुए नवीन कृषि प्रणालियों पर पांच दिवसीय कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन जारी है। कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला कृषि वैज्ञानिक डॉ. पी के द्विवेदी ने कहा कि आज मौसम के बदलाव के साथ - साथ कृषि में भी बदलाव की आवश्यकता है।मौसम के अनुसार कृषि में बदलाव से किसानों को अधिक लाभ हो सकता है।खेतोंं में पानी और श्रम की समस्या को देखते हुए कृषि यांत्रिकीकरण के साथ सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत फसलोंं के चयन में सूूखारोधी माध्यम और कम अवधि की फसलोंं का कृषि के लिए चयन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि विविधीकरण के तहत फसल प्रणाली में भी बदलाव लाना होगा।धान,गेहूं जैसी पारम्परिक खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में क्रांति नहींं आ सकती और आर्थिक रूप से किसानों को समृद्ध होने के लिए आधुनिक और जैविक खेती को अपनाना होगा। रसायन के प्रयोग के बजाय वैकल्पिक उर्वरक तरल जैविक उर्वरक,ढैंचा वर्मी कम्पोस्ट,वेस्ट डी कंपोजर के साथ -साथ केंचुआ आधारित उर्वरक और गाय के गोबर पर आधारित जैविक खाद का उपयोग कर किसान कृषि के क्षेत्र में बड़े बदलाव के साथ -साथ अपनी उन्नति और समृद्धि का रास्ता भी बना सकते हैं। कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम में नीलेश कुमार ने सूक्ष्म सिंचाई योजना की जानकारी किसानों को दी और कहा कि ऐसी योजनाओंं पर नब्बे प्रतिशत के अनुदान किसानों को मिल रहे हैं। खेतोंं में ऐसी योजनाओंं के तहत टपक मशीन या स्प्रिंकलर को खेतों में लगा सकते हैं।इससे जल का संचयन भी होगा और बेहतर खेती भी होगी। कृषि विभाग की तरफ से किसानों को जिले के कारीसाथ स्थित वाणासुर मत्स्य पालन हैचरी का निरीक्षण भी कराया गया और आधुनिक प्रणाली से मत्स्य पालन की जानकारी भी दी गई।किसानों को बताया गया कि कैसे आधुनिक तरीके से मत्स्य पालन करके किसान अपनी आय को बढ़ा रहे हैं और अपनी सुख,समृद्धि और विकास ने नए आयाम तय कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/विभाकर-hindusthansamachar.in

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