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डीएम ने की अनुसूचित जाति,जनजाति निवारण समिति की बैठक

सहरसा,03 अप्रैल (हि.स.)।अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार मामलों में अभियोजन काफी महत्वपूर्ण बिंदु होता है। हत्या, बलात्कार एवं अन्य जघन्य अत्याचार से संबंधित अपराधिक मामलों में निश्चित रूप से कन्वीक्षन (दोष प्रमाणित) करायें तथा पीड़ित व्यक्तियां/उनके आश्रितों को न्याय दिलाएं। अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार से संबंधित लंबित वादों में सभी पक्षों से समन्वय स्थापित कर यथाशीघ्र निष्पादन कराना सुनिश्चित करें। साथ हीं इन मामलों में ससमय मुआवजा राशि का भुगतान भी कराएं।जिलाधिकारी कौशल कुमार अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उक्त निर्देश दिये। बैठक में जानकारी दी गई कि सहरसा अनुसूचित जाति/जनजाति थाना कांड संख्या-225/2017 में कन्वीक्षन हुआ है। जिसमें आरोपी को ढाई वर्ष की सजा न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई। उल्लेखनीय है कि उक्त कांड संख्या में एक जन वितरण प्रणाली विक्रेता द्वारा गाली गलौज एवं जाति सूचक शब्दों का प्रयोग कर पीड़ित को अपमानित एवं प्रताड़ित करने के मामले में सात व्यक्तियां के गबाही के उपरांत विशेष न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर आरोपी को सजा निर्धारित की गई। 2018 के बाद अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत इस मामले में कन्वीक्षन हुई। जिलाधिकारी ने विशेष अपर लोक अभियोजक को हत्या के 5 लंबित मामलों में न्यायालय से समन्वय कर एवं प्रतिदिन फोलोअप करते हुए प्राथमिकता के आधार पर कन्वीक्षन कराने का निर्देश दिया। गत बैठक में जिलाधिकारी ने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर लंबित वादों के अद्यतन स्थिति की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश के आलोक में विशेष अपर लोक अभियोजक द्वारा कुल-1225 विभिन्न स्तरों पर लंबित वादों की सूची बैठक में प्रस्तुत की गई। जिसमें साक्ष्य के लिए 103, एपिएरेंस के लिए 485, आर्गुमेंट के लिए 03, कांगनीजेंस के लिए 186, हियरींग के लिए 200, फाइनल फार्म के लिए 204, चार्जशीट के लिए 41 एवं पुलिस संबंधी कागजातों के लिए 03 लंबित वादों की सूची की जानकारी दी गई। समीक्षा में जिलाधिकारी द्वारा काफी संख्या में वादों के लंबित रहने को चिन्ताजनक बताते हुए विशेष अपर लोक अभियोजक के कार्यशैली के प्रति नाराजगी व्यक्त की गई। विशेष न्यायालय से समन्वय कर वादों के निष्पादन में तेजी लाने का निर्देश दिया गया। अंतिम सुनवाई के लिए जो वाद लंबित है।उन्हें फॉलोअप करते हुए कन्वीक्षन कराने का निर्देश दिया गया। काग्नीजेंस के लिए लंबित सभी मामलों को यथाशीघ्र निष्पादित कराने का निर्देश दिया गया। अगली बैठक तक अधिक से अधिक मामलों में कन्वीक्षन कराने का निर्देश विशेष अपर लोक अभियोजक को दी गई। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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