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कफन का राशि लेना मुश्किल, चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं परिजन

सुपौल, 17 मार्च (हि. स.)।जिले में कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना का लाभ लेना आमलोगों के लिए दूर की कौड़ी बनकर रह गई है। सरकार भले ही आमलोगों को योजना का लाभ देने का दावा करती है लेकिन सच्चाई यह है कि अब कफन का पैसा लेने के लिए भी मृतक के परिजन को दर-दर की ठोकर खानी पर रही है। इस योजना का समय पर लाभ अक्सर ऐसे ही मृतक परिजन को मिल रहा है जिनकी मौत या तो हादसे में हुई हो या फिर प्रशासनिक अधिकारियों को मौत के बाद परिजनों के आक्रोश को शांत करना हो। इसके अलावा योजना का लाभ लेने के लिए सारा मापदंड पूरा करने के बावजूद भी मृतक परिजनों को विभागीय कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते हिम्मत जबाव देने लगती है। इसका मुख्य कारण पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों व विभागीय अधिकारियों की उदासीनता है। सदर प्रखंड के बैरिया वार्ड-12 में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। कोई सालभर से तो कोई महीनों से योजना का लाभ लेने के लिए दर-दर भटक रहा है। कई लोग तो विभागीय चक्कर लगाते-लगाते थक गए हैं और अब अंतिम में योजना का लाभ लेने को लेकर कोशिश भी छोड़ चुके हैं। समय आएगा तो खुद मिल जाएगा योजना का लाभः पंचायत के मुखिया कहते हैं कि समय आने पर राशि मिल जाएगा। लोग पैसा लेने के लिए खुद परेशान होते हैं। रामपरी देवी की मौत जुलाई 2020 में हुआ था लेकिन अब तक योजना का लाभ परिजन को नहीं मिला। सिया देवी को गुजरे करीब एक साल से अधिक समय हो गया है। लेकिन आज तक परिजन को योजना का लाभ नहीं मिला। परिजनों का कहना है कि आवंटन का बहाना बनाकर आश्रितों को मौत के तुरंत बाद योजना का लाभ देने को टाल दिया जाता है। मौत के तुरंत बाद योजना का लाभ देने का है प्रावधान: बीपीएल गरीब परिवार के सदस्य के निर्धन पर सरकार की ओर से क्रियाकर्म में मदद के लिए यह योजना चलाई गई। इसके लिए परिजनों को मृतक के क्रियाकर्म के लिए तीन हजार रुपया दिया जाता है। इसका लाभ मृतक के परिजनों को पंचायत स्तर पर मौत के तुरंत बाद देना है।लेकिन स्थिति ऐसी है कि मृतक के निर्धन के दो साल बीत जाने के बाद भी योजना का लाभ परिजनों को नहीं मिल पाता है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव

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