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सरकारी उदासीनता से बदहाल हुआ बक्सर का धन्वन्तरी आयुर्वेद कॉलेज

बक्सर, 17 मार्च (हि.स.)। बिहार के पांच आयुर्वेद कॉलेजों में से एक बक्सर का धन्वन्तरी कॉलेज के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकार की उदासीनता के चलते इस कॉलेज में 2003 से ही नामांकन बंद है। इतना ही नहीं 2007 से ही कालेज में पढ़ाई पर सरकार ने रोक लगा दी है। आलम यह है कि इस कॉलेज में अब ना तो कोई शिक्षक है और ना ही कोई क्लास रूम संचालित हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बक्सर धन्वन्तरी कॉलेज की स्थापना 1972 में हुई थी, जिसका सरकारीकरण 09 दिसम्बर, 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के हाथों हुआ। इसके पूर्व यह कॉलेज का प्रबंधन निजी हाथों में था। उस समय शहाबाद प्रक्षेत्र का एकलौता कॉलेज होने के नाते कई जिलों के लोग ईलाज के लिए यहां आते थे। पथरी, आंत के अलावा क्षय रोग और प्रसव विभाग में अच्छी-खासी रोगियों की संख्या जुटती थी। यहां का ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर हर वक्त रोगियों के लिए कुशल चिकित्सकों की देख-रेख में संचालित था। सौ बिस्तर वाले इस कॉलेज से हर बैच में साठ की संख्या में छात्र-छात्राएं बीएएमएस करके निकलते थे। लेकिन, दुर्भाग्य रहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री विन्देश्वरी दुबे के सरकारी संरक्षण के बाद से ही इसकी स्थिति दिन प्रति दिन बद से बदतर होती चली गई। कॉलेज के प्रभारी प्रचार्य बीबी राम का कहना है कि बिहार और यूपी की सीमा पर स्थित इस चिकित्सा महाविद्यालय से दोनों प्रदेश के लोग लाभान्वित होते थे। लेकिन, वर्तमान में सरकारी उदासीनता के चलते महाविद्यालय बंदी के कागार पर है, जबकि करोना महामारी को लेकर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का लोहा सरकार मान चुकी है और आयुर्वेद की तरफ लोगों का रुझान भी बढ़ा है। उन्होंने बताया कि इस महाविद्यालय में कुल 112 पद स्वीकृत हैं। लेकिन, आज केवल 22 पद ही बचे हैं, जबकि सहायक सह कर्मियों की सख्या 17 की जगह इन दिनों एक भी नहीं है। ऐसे में यह देखना होगा कि शहाबाद का एकलौता और यूपी-बिहार की सीमा पर स्थित इस महाविद्यालय के उद्धार के लिए सरकार कब ध्यान देती है। महाविद्यालय बचाओ संघर्ष समिति के आग्रह पर बिहार विधान परिषद के सभापति ने बक्सर धन्वन्तरी महाविद्यालय के जनक डॉ. सिद्धनाथ तिवारी की प्रतिमा का अनावरण कर जल्द ही इसके कायाकल्प की बात कही है। इससे स्थानीय लोगों में उम्मीद तो जगी है लेकिन इस महाविद्यालय का भविष्य अब वर्तमान राज्य सरकार को तय करना है। हिन्दुस्थान समाचार /अजय मिश्रा/चंद्र

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