मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालुओं ने लगाईं गंगा में डुबकी
सूर्य का मकर राशि में हुआ प्रवेश, खरमास समाप्त नदी तटों पर सुरक्षा के थे पर्याप्त इंतजाम, नौकाओं के परिचालन पर रही रोक पटना, 14 जनवरी (हि.स.) । बिहार में गुरुवार को मकर संक्रांति का महापर्व धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही नदी घाटों पर स्नान-दान व पूजा पर्ने वालों का तांता लगा रहा। पटना सहित पूरे बिहार में श्रद्धालुओं ने गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर मंदिरों में पूजा-अर्चना की और तिल से बनी वस्तुओं का दान किया। एहतियातन स्नान के दौरान नदियों में नौका परिचालन पर रोक लगा दी गई थी। नदी घाटों पर पर्याप्त संख्या में पुलिस की तैनाती की गई थी। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ खरमास समाप्त हो गया है। संक्रांति के दिन सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने के साथ खरमास का समापन हो गया। बनारसी पंचांग के हवाले से ज्योतिषाचार्य पीके युग ने बताया कि 16 दिसंबर से जारी खरमास गुरुवार को अपराह्न 2.05 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ समाप्त हो चुका है। दूसरी ओर मिथिला पंचांग के अनुसार सूर्य का 2.03 बजे मकर राशि में प्रवेश हुआ। इस बीच सूर्योदय के बाद से ही मकर संक्रांति का पर्व आरंभ हो गया था। पौष महीने में पड़ने वाले मकर संक्रांति के दिन भगवान भास्कर और विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से शरीर निरोग होता है तथा यश की प्राप्ति होती है। पटना में गुरुवार की सुबह से ही श्रद्धालु गंगा स्नान कर तिल व गुड़ आदि का दान करने में लगे रहे। ज्योतिषियों के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 8:30 बजे से आरंभ होकर सायं 5:46 बजे तक रहने की बात ज्योतिषियों ने कही थी। इसमें महा पुण्य काल सुबह 8:30 बजे से आरंभ होकर 9:15 बजे तक का था। नदी घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम राज्य के नदी घाटों पर सुरक्षा के लिए नदी के अंदर बांस-बल्ला से बैरिकेडिंग की गई थी। बैरिकेडिंग पार करने से रोकने के लिए मौके पर पुलिसबल की भी तैनाती की गई थी। नदियों में नावों के परिचालन पर पूरी तरह रोक लगाई गई थी। घाटों पर सुरक्षा व बचाव के इंतजाम किए गए हैं। पटना की बात करें तो यहां मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा के 14 घाटों पर 120 लाठीधारी व 49 महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। इसके अलावा 21 दंडाधिकारियों तथा 14 पुलिस अधिकारियों की भी प्रतिनियुक्ति थी। इसके बावजूद किसी अनहोनी को रोकने के लिए घाटों पर गोताखोर व बोट के साथ के साथ एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें मौजूद थी। वहां चिकित्सक और फायर बिग्रेड की तैनाती भी की गई थी। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव रंजन/चंदा-hindusthansamachar.in