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राष्ट्रीय जनगणना में ओबीसी को स्थान देने की मांग

सहरसा,09 अप्रैल (हि.स.)।वैश्य समाज सहरसा के जिला प्रवक्ता राजीव रंजन साह ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि बिहार सहित देश भर मे वैश्य-व्यवसायी एवं अतिपिछडों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक स्थिति काफी कमजोर है।इसलिए देश समाज का यह सबसे बड़ा तबका विकास की मुख्यधारा से काफी पिछड़ा हुआ है। इन्हें आगे लाने के लिए नीतियों के निर्माण कर उन्हें ईमानदारी से लागू करने की नितांत आवश्यकता है। केंद्र सरकार सहित देश प्रदेश की सभी सत्ताधारी दलों सहित सभी विपक्षी पार्टियों से मांग करते है कि राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली जनगणना में "ओबीसी जनगणना"के लिए कॉलम बनाकर "ओबीसी" के संख्या की गिनती की जाय। वैश्य नेता ने कहा कि हाल ही में "राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग" ने भी "केंद्र सरकार" से ओबीसी की जनगणना के लिए मांग कर प्रस्ताव भेजा है। बिहार विधानसभा हो, विधानपरिषद हो, लोकसभा हो अथवा राज्यसभा सहित अन्य सत्ता के प्रतिष्ठानों सहित सरकारी एवं निजी क्षेत्र सभी में वैश्य और अतिपिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व न के बराबर है। इन सबमें उचित प्रतिनिधत्व के लिए उचित आरक्षण नीति की आवश्यकता है।निजीकरण के जरिए एक प्रकार से आरक्षण को खत्म किया जा रहा है। राष्ट्रव्यापी आन्दोलन के तहत यह मांग है कि वर्ष 2000 से लेकर अब तक जिन सरकारी संस्थाओं का निजीकरण किया गया है। उन सभी में तत्काल प्रभाव से आरक्षण नीति अविलंब लागू किया जाय। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर अतिपिछड़े वर्ग का विभाजन कर बिहार के तर्ज पर देश भर में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने का प्रावधान किया जाय। साथ ही साथ निजी क्षेत्र के सभी संस्थानों और इकाइयों में जनसंख्या के आधार पर आरक्षण नीति लागू किया जाय। अन्यथा सम्पूर्ण बिहार सहित देश भर में वैश्य-व्यवसायियों एवं अतिपिछड़े वर्ग के लोग एकजुट होकर अपने हक अधिकार के लिए इस आंदोलन को और आगे बढ़ाएंगे। आरक्षण का उद्देश्य है सभी वर्गों का सभी क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व। भारत के संविधान अथवा दुनिया के लोकतंत्र का निहितार्थ इसी में समाहित हैं कि सभी वर्गों एवं समुहों को उनका उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। यह देश-समाज के संपूर्ण विकास की सबसे पहली आवश्यकता भी है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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