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बच्चों का पशुओं के प्रति अनूठा अनुराग, पेश की मानवीय मूल्यों की बेजोड़ मिशाल

दरभंगा, 8 अप्रैल (हि.स.)। बिहार में दरभंगा शहर के बंगाली टोला मोहल्ले में चार बहादुर बच्चों ने मिलकर एक बिल्ली के अनाथ हो चुके तीन बच्चों को न सिर्फ सहारा दिया, बल्कि अभिभावकों की तरह उनका पूरा ख्याल भी रखा है। दरअसल शहर के बंगालीटोला मुहल्ले में एक बन्द घर के पास मंगलवार की देर रात एक बिल्ली ने तीन बच्चों को जन्म दिया। बुधवार की सुबह बगल में रहने वाले बच्चों की नजर उन बिल्ली के नवजात बच्चों पर पड़ी। काफी देर तक बिल्ली नही लौटी। इधर नवजात बिल्ली के बच्चे भूख से तड़पने लगे। बाद में पता चला कि कुछ कुत्तों ने बिल्ली को मार दिया है। बिल्ली के उक्त नवजात बच्चे अनाथ हो चुके हैं। इस बात को सुनकर वहीं बगल में रहने वाले जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र झा की पुत्री आदया, उनके भतीजे श्रीमन और नमन ने बिल्ली के बच्चों की देखभाल करने की ठानी। इसमें उनके पड़ोस में रहने वाली एक बच्ची स्मृति ने भी उनका साथ दिया। सारा दिन बच्चों को दूध आदि पिलाने और देखभाल करने के बाद शाम होने पर उनकी चिंता बढ़ गयी। तीनों ने मिलकर बिल्ली के नवजातों को अपने घर लाने का निश्चय किया। घर लाने की बात पर बच्चों के अभिभावकों ने पहले-पहल तो मना कर दिया। परंतु बच्चों की जिद के आगे बाद में उन्हें झुकना पड़ा। बिल्ली के बच्चों को घर लाकर आदया, नमन और श्रीमन ने मिलकर सारी रात जागकर बच्चों का ख्याल रखा। इस बाबत गुरुवार को इन बच्चों ने कहा कि इन अनाथ बच्चों को वे लोग पालेंगे और फिर बड़ा हो जाने पर उन्हें छोड़ देंगे। वहीं बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र झा की पत्नी अर्पणा झा ने बताया कि पहले तो उन्होंने बच्चों को मना किया। पर बच्चों के लगाव और बिल्ली के मर जाने की बात सुनकर उन्होंने रखने की अनुमति दे दी। बच्चे भी पूरा ख्याल रख रहे हैं। साफ सफाई का भी ख्याल बच्चे खुद रख रहे हैं। कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि बच्चों का पशुओं के प्रति यह अनूठा अनुराग मानवता और मानवीय मूल्यों एक बेजोड़ मिशाल है। जिसकी-जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। हिन्दुस्थान समाचार/मनोज

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