central-government-should-talk-to-farmers-and-find-a-middle-way-nikhil-kumar
central-government-should-talk-to-farmers-and-find-a-middle-way-nikhil-kumar

केंद्र सरकार को किसानों से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहिए:निखिल कुमार

आरा,27 फरवरी(हि. स.)।केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कृषि पर ध्यान केंद्रित करके आत्मनिर्भर राष्ट्र की परिकल्पना की गई है किंतु इसके लिए कृषि पर आधारित शिक्षा के नए नए अवसर पैदा करने होंगे। उन्होंने कहा कि बिहार और देश के विश्वविद्यालयों में कृषि की पढ़ाई के साथ कृषि विश्वविद्यालय और कृषि कॉलेजोंं की स्थापना से कृषि आधारित शिक्षा का विस्तार हो सकेगा। ऐसा होगा तभी हर शिक्षित व्यक्ति के हाथ मेंं रोजगार होगा। पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निखिल कुमार ने शनिवार को आरा के कायमगर में एक निजी बीएड कॉलेज में आयोजित पूर्व सांसद और सहकारिता के अग्रणी नेता स्व.तपेश्वर सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें अपनी तरफ से श्रद्धांजलि व्यक्त करने के बाद नई शिक्षा नीति में कृषि का महत्व विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ये बातें कही। उन्होंने किसानों के आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि मैं यह नहींं कहता कि किसानों का आंदोलन जायज है या केंद्र सरकार के नए कृषि कानून गलत हैंं लेकिन अगर 92 दिनों से किसान आन्दोलन की राह पर अड़े हैं तो कहीं न कहीं कुछ परेशानियां जरूर हैंं जिससे किसान आंदोलन से पीछे हटने को तैयार नहींं हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों से बातचीत के लिए आगे आना चाहिए और किसानों को विश्वास में लेकर रास्ता निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में 6-7 प्रतिशत किसान ही खेती पर निर्भर हैं जबकि भारत मे 70-80 प्रतिशत किसान खेती पर आश्रित हैं।अमेरिका में अत्याधुनिक तकनीक से खेती के कारण वहां के किसान समृद्ध हैं जबकि भारत के किसानों के पास नई तकनीक का अभाव है जिससे खेती किसानों के लिए परेशानी का पर्याय बन गयी है। उन्होंने कृषि की नयी- नयी तकनीक और अत्याधुनिक संयंत्र से किसानों को परिपूर्ण कर खेती को विकसित और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा पर भी जोर दिया और कहा कि कॉलेजोंं और विश्वविद्यालयों को नई उपलब्धियों को हासिल करने की तरफ अग्रसर होने की आवश्यकता है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/विभाकर

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in