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जैविक उर्वरक बायोचर से कोसी के किसान हो रहे खुशहाल

सुपौल, 7 अप्रैल (हि. स.)। आधुनिकता के इस दौर में किसान भी किसी से पीछे नहीं हैं। किसान अपने खेतों में नित नए रासायनिक खादों का उपयोग कर पैदावार बढ़ाने की कोशिश करते हैं। जिसका खामियाजा उन्हें यह मिलता है कि लगातार उर्वरक का प्रयोग करने से जहां महंगी खादों का सहारा लेना पड़ता है वहीं इसका प्रयोग नहीं करने से उनके खेतों की पैदावार कम होने लगती है। ऐसे में कोसी के किसानों ने एक अनोखे जैविक खाद बायोचार का निर्माण कर न केवल अपने खेतों के उपज बढ़ा रहे हैं बल्कि अपने स्वास्थ के साथ साथ अपने जमीन को भी स्वस्थ रखने में कामयाब हो पा रहे हैं। बसंतपुर और राघोपुर प्रखंड के किसान खुद बायोचार बनाकर अपने खेतों में इसका उपयोग करते हैं। बायोचार बायो फ़र्टिलाइज़र और चारकोल यानि कोयले के समिश्रण से तैयार होता है। इसको बनाने के लिए किसान सबसे पहले लकड़ी, धान के भूसे ,पुआल बगैरह से कोयले तैयार करते हैं। फिर कोयले में मात्रा अनुसार वर्मी कंपोस्ट को मिलाते हैं। उच्च गुणवत्ता के लिए इसमें किसान खुद से निर्माण कर डिकम्पोसर का छिड़काव करते है। खास बात यह है कि इसमें जैविक मात्रा बढ़ाने के लिए गुड़ मिलाकर पुरे समिश्रण को सात दिन तक पोलेथिन के सहारे बंद कर देते हैं। करीब एक सप्ताह में ये खाद बनकर तैयार हो जाता है। जिसके बाद किसान इसका उपयोग अपने खेतों में करते हैं। जानकार कहते हैं कि इस जैविक खाद में फसल को देने वाली 16 न्यूटेन्ट मौजूद है। जिसके प्रयोग से मिट्टी की अम्लता कम होने के साथ उसमे बढ़ी हुई क्षारीयता को संतुलित रखता है। जिससे फसल के उपज में कई गुने की बृद्धि देखी जा सकती है। किसान गिरीश चन्द्र मिश्रा, राज्य प्रभारी हेल्पेज इंडिया कहते हैं जहां एक तरफ इलाके के सैकड़ों किसान इसके उपयोग से अपने जमीन का कायाकल्प कर रहे हैं। वहीं जरूरत है कि आसपास के इलाके के किसान भी इस प्रयोग को करके अपने खेतों की पैदावार बढ़ाये। इस खाद का उपयोग करके कोसी के इलाके में कुशहा त्रासदी के बाद बंजर बनी हजरों एकड़ जमीन के लिए ये वरदान साबित हो सकती है। इतना ही नहीं ऐसे उत्पादों के लिए पीएम के लोकल फोर वोकल के तहत ऐसे उत्पादों को सही बाजार मिलने की जरूरत भी है। ताकि समुचित बाजार के माध्यम से ऐसे उत्पादों को वृहद स्तर पर व्यापारिक रूप से बढ़ाया जा सके ताकि किसानों की माली हालत सुधर सके। हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव/चंदा

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