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बिहारः विधान परिषद् के पूर्व सभापति अरुण कुमार का निधन, सीएम ने जतायी शोक संवेदना

-राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार पटना, 15 अप्रैल (हि.स.)। विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रो. अरुण कुमार का बुधवार देर रात राजधानी पटना के पटेल नगर स्थित आवास पर निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधान परिषद् के पूर्व सभापति प्रोफेसर अरुण कुमार के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि वे एक कुशल राजनेता एवं प्रसिद्ध समाजसेवी थे। वे 5 जुलाई, 1984 से 3 अक्टूबर, 1986 तक बिहार विधान परिषद् के सभापति रहे थे। वे 16 अप्रैल, 2006 से 4 अगस्त, 2009 तक बिहार विधान परिषद् के कार्यकारी सभापति भी रहे थे। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने उनके पुत्र से दूरभाष पर वार्ता कर उन्हें सांत्वना दी। प्रोफेसर अरुण कुमार का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। अरुण कुमार को उत्कृष्ट संसदीय कार्यों के लिए वर्ष 1996 में राजीव रंजन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ उनकी साहित्य में भी गहरी रुचि थी। निराला पुष्पहार तथा कई पत्र-पत्रिकाओं में उनकी अनेक रचनाएं प्रकाशित हुई। उन्हें वृंदावन लाल वर्मा के उपन्यास पर शोध-कार्य संपन्न करने का गौरव भी प्राप्त है। इसके अलावा वह साहित्य एवं ललित कला संबंधी गोष्ठियों का आयोजन भी करते रहे। उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश भारत में बिहार के रोहतास जिले के मछनहट्टा (दुर्गावती) में 02 जनवरी 1931 को जन्में अरुण कुमार ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा हासिल की। वह 05 जुलाई 1984 से 03 अक्टूबर 1986 तक विधान परिषद के सभापति और 16 अप्रैल 2006 से 04 अगस्त 2009 तक परिषद के कार्यकारी सभापति रहे। प्रो. कुमार विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की स्थापना के जरिए समाज के बौद्धिक विकास एवं सामूहिक चेतना की जागृति के लिए सदैव प्रयासरत रहे। वह मानव भारती के महामंत्री भी रहे। साथ ही उन्होंने मानव भारती प्रभृति साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं के संस्थापक अध्यक्ष और मंत्री पद का दायित्व भी निभाया। हिन्दुस्थान समाचार

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