आपदा कोष की राशि का अनुपात 90 और  10 करने की बिहार ने की केन्द्र से मांगः उपमुख्यमंत्री
आपदा कोष की राशि का अनुपात 90 और 10 करने की बिहार ने की केन्द्र से मांगः उपमुख्यमंत्री

आपदा कोष की राशि का अनुपात 90 और 10 करने की बिहार ने की केन्द्र से मांगः उपमुख्यमंत्री

15वें वित्त आयोग को पूरक ज्ञापन भेज कहा गया, राहत कोष की राशि का वर्गीकरण भी हो खत्म पटना, 01 अगस्त (हि.स.)। बिहार सरकार ने 15वें वित्त आयोग को एक पूरक ज्ञापन भेजकर केन्द्र द्वारा दी जाने वाली आपदा कोष की राशि का अनुपात 75-25 से बदल कर उत्तर-पूर्व के राज्यों की तरह 90-10 करने की मांग की है। शनिवार को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सालो भर बाढ़, सूखा व अन्य आपदाओं से जूझते रहने के कारण बिहार को हर साल अपने खजाने से काफी बड़ी राशि राहत व बचाव पर खर्च करनी पड़ती है। इसके साथ ही आपदा राहत कोष की राशि के मदवार वर्गीकरण को भी समाप्त करने की मांग की गई है ताकि राज्य अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर उसे खर्च कर सकें। मोदी ने कहा कि वर्ष 2020-21 में आपदा राहत कोष में 1,888 करोड़ का प्रावधान किया गया है जिसमें केन्द्रांश 1,416 करोड़ और बिहार का अंशदान 472 करोड़ है। अगर केन्द्र इस अनुपात को 75-25 से बदल कर 90-10 कर देता है तो बिहार को राज्यांश मद में केवल 188 करोड़ ही देना होगा। बिहार सरकार को वर्ष 2019-20 में आपदा राहत पर 3,528 करोड़ तथा 2017-18 में 3,469 करोड़ खर्च करना पड़ा था जबकि इसकी तुलना में वित्त आयोग की अनुशंसा पर केन्द्र से बिहार को काफी कम राशि मिली थी, परिणामः राज्य सरकार को अपने बजट से बहुत बड़ी राशि खर्च करनी पड़ी थी। इसके साथ ही पूरक ज्ञापन में आपदा राहत कोष की राशि के विभिन्न मदों मंे वर्गीकरण किए जाने को समाप्त करने भी मांग की गई है। मसलन, कुल राशि का राहत मद में मात्र 40 प्रतिशत और आधारभूत संरचना के पुनर्निमाण आदि पर 30 फीसदी खर्च करने की बाध्यता हटाने से राज्य अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर राशि खर्च कर पाएगा। ज्ञापन में अनुग्रह अनुदान के तौर पर पीड़ितों को दिए जाने वाले 6-6 हजार रुपये में राहत कोष से मात्र 25 प्रतिशत तथा राहत शिविरों में रहने वालों को ही अनुदान की राशि देने की बाध्यता हटाने, मछली उत्पादकों को हुए नुकसान की भरपाई का प्रावधान करने, क्षतिग्रस्त कच्चे-पक्के मकानों के ध्वस्त होने पर प्रतिपूर्ति मद में 95,100 तथा क्षतिग्रस्त होने पर महज 5,200 रुपये के प्रावधान को भी बढ़ाने की मांग की गई है। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/विभाकर-hindusthansamachar.in

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