अर्णव की गिरफ्तारी को लेकर असम में भारी विरोध और प्रतिक्रियाएं
अर्णव की गिरफ्तारी को लेकर असम में भारी विरोध और प्रतिक्रियाएं

अर्णव की गिरफ्तारी को लेकर असम में भारी विरोध और प्रतिक्रियाएं

गुवाहाटी, 04 नवम्बर (हि.स.)। असम निवासी और देश के प्रसिद्ध पत्रकारों में शुमार एवं रिपब्लिक टीवी के एडीटर इन चीफ अर्णव गोस्वामी की मुंबई पुलिस द्वारा बुधवार की सुबह उनके घर से गिरफ्तारी किए जाने की घटना को लेकर असम में विरोध और प्रतिक्रियाओं का दौर आरंभ हो गया है। खास कर मुंबई पुलिस द्वारा अर्णव के साथ किए गये व्यवहार को लेकर लोगों में भारी गुस्सा देखा जा रहा है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने कहा है कि असम के गौरव व देश के प्रसिद्ध पत्रकार गोस्वामी को विद्वेष के चलते कांग्रेस, शिवसेना व एनसीपी गठबंधन सरकार द्वारा गिरफ्तार किया जाना देश के गणतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधे तौर पर आक्रमण है। प्रदेश भाजपा इस कार्य की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे निंदनीय कृत्य करार दिया है। रंजीत दास ने अर्णव गोस्वामी को तुरंत रिहा करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस कार्य के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदरा गांधी नेतृत्वाधीन तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा गणतंत्र की आवाज को बंद कर आपातकाल के भयावह अत्याचार को फिर से एक बार हमारे दिलों में ताजा कर दिया है। गोस्वामी की गिरफ्तारी ने साबित किया है कि दूसरों को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने वाली कांग्रेस व उनके मित्र दलों के सहिष्णु रूप उजागर हुआ है। वहीं इस घटना की जर्नलिस्ट एसोसिएशन आफ असम (जा) और नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट, इंडिया (एनयूजे-आई) ने भी कड़े शब्दों में निंदा करते हुए अर्णव गोस्वामी को तुरंत रिहा करने की मांग की है। जा ने गोस्वामी की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए पत्रकार बिरादरी से अपील की है कि वे पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं। एक बयान में जा के अध्यक्ष डीएन चक्रवर्ती, सलाहकार भूपेन गोस्वामी और महासचिव डालिम फुकन ने कहा है कि अर्नब पर हमला पूर्व नियोजित था और यह प्रेस पर पूरी तरह से अंकुश लगाना है। जा ने महाराष्ट्र सरकार के अलोकतांत्रिक व्यवहार की भर्त्सना की और अर्णव की बिना शर्त रिहाई की मांग की है। जा ने इस घटना का विरोध करते हुए आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। एनयूजे-आई ने मुंबई पुलिस द्वारा गोस्वामी के घर में जबरन प्रवेश, बिना किसी पूर्व सूचना या समन के उनको गिरफ्तार करना यह सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके अलावा यह महाराष्ट्र सरकार द्वारा पुलिस बल के दुरुपयोग के साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने का प्रयास प्रतीत होता है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। राज्य के अन्य संगठन भी गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंद कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद-hindusthansamachar.in

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