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पूसीरे अधिकारियों की तानाशाही : दोहरी मार झेलते पूर्वोत्तर के उपभोक्ता

गुवाहाटी, 24 मई (हि.स.)। पूर्वोत्तर की जनता एक और कोविड-19 को लेकर परेशान है, वहीं दूसरी ओर पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) के कुछ आला अधिकारियों के तानाशाही रवैया की वजह से लोग और अधिक परेशान हो रहे हैं। ज्ञात हो कि इस महासंकट की घड़ी में बाहर से पूर्वोत्तर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को सुलभ बनाने के बदले रेलवे के अधिकारी इसे मनमानी कमाई का जरिया बना रहे हैं। इस महामारी के समय पूसीरे ढुलाई के मद से मोटी रकम की आमदनी अनैतिक रूप से करने में लगा हुआ है। जिस कारण न सिर्फ पूर्वोत्तर के उपभोक्ताओं को वस्तुओं की अधिक कीमतें चुकानी पड़ रही है, बल्कि लोडिंग-अनलोडिंग के काम में लगे स्थानीय मजदूरों के सामने भी संकट उत्पन्न हो चुका है। वैसे आम तौर पर रेलवे में सुबह 06 बजे से रात 10 बजे तक लोडिंग अनलोडिंग हुआ करता था, लेकिन कोरोना के इस दौर में चौबीसो घंटे लोडिंग अनलोडिंग का नियम बना दिया गया है। ज्ञात हो कि कोरोना से बचाव के लिए दोपहर 12 बजे से सुबह 05 बजे तक कर्फ्यू लागू कर दिया जाता है। ऐसे में चौबीसो घंटे मजदूर रेलवे में लोडिंग-अनलोडिंग के लिए कैसे पहुंच सकते हैं? वहीं, यदि लोडिंग-अनलोडिंग चौबीसों घंटे हुआ अभी तो कर्फ्यू के दौरान ट्रक कहां से ढुलाई के लिए पहुंचेंगे? ज्ञात हो कि रेलवे द्वारा जहां ड्राइवरों, मजदूरों एवं लोडिंग-अनलोडिंग से जुड़े लोगों के ठहरने का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। यही वजह है कि मजदूरों को बाहर से यहां आना पड़ता है। लॉकडाउन की वजह से मजदूरों का यहां आना संभव नहीं होता है। वहीं, ट्रक की कमी की वजह से रेलगाड़ियों से सामान अनलोड नहीं हो पाते हैं। इसका फायदा उठाते हुए पूसीरे द्वारा अनलोडिंग में देरी का बहाना बनाकर हर रैक से डैमरेज चार्ज के रूप में मोटा रकम वसूल किया जाता है। इसकी वजह से जहां एक ओर रैक मंगाने वाले बड़े व्यापारियों ने तंग होकर सामान मंगवाना कम कर दिया है, वहीं दूसरी ओर रेलवे द्वारा लगाए जा रहे डेमरेज चार्ज की वजह से सामानों का दाम काफी ऊंचा हो रहा है। इनके अलावा मजदूरों के जान से भी रेलवे द्वारा इस दौरान खिलवाड़ किया जा रहा है। क्योंकि, लोडिंग-अनलोडिंग वाले जगहों पर किसी भी प्रकार के सैनिटेशन की व्यवस्था नहीं है। कुल मिलाकर देखा जाए तो पूसीरे के चंद पदाधिकारियों की मनमानी के कारण पूर्वोत्तर के उपभोक्ता, मजदूर तथा व्यापारी मुश्किल में फंसे हुए हैं। वहीं, सभी आवश्यक वस्तुओं के दाम आकाश को छू रहे हैं। इस संदर्भ में कामरूप चेंबर ऑफ कॉमर्स समेत राज्य के कई संगठनों द्वारा पूसीरे के महाप्रबंधक, रेल मंत्री तथा प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस संबंध में राहत देने की गुहार लगाई गई है। लेकिन, इन संगठनों के गुहार का अबतक कोई असर होता नहीं दिख रहा है। यदि पूसीरे के इन पदाधिकारियों का तानाशाही रवैया जारी रहा तो आने वाले समय में पूर्वोत्तर में आवश्यक सामानों की भारी किल्लत हो सकती है। हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश/ अरविंद

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