असम के प्रख्यात संगीतकार प्रभात शर्मा का निधन, मुख्यमंत्री ने जताया शोक
गुवाहाटी, 02 मार्च (हि.स.)। असम के प्रख्यात संगीतकार व बांसुरी वादक प्रभात शर्मा के निधन से असम के संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है। प्रभात शर्मा का निधन मंगलवार की सुबह 06 बजे गुवाहाटी के अम्बिकागिरी नगर स्थित उनके आवास पर हुआ। 90 वर्षीय संगीतकार शर्मा ने भारतीय संगीत, बांसुरी वादन के साथ ही लोक संगीत के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी थी। उनके निधन पर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, वित्त आदि मामलों के मंत्री डॉ हिमंत विश्वशर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास, कांग्रेस, अगप, एजेपी समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी गंभीर शोक व्यक्त किया है। वर्ष 1935 में बरपेटा जिले में जन्मे प्रभात बरपेटा शहर स्थित विद्यापीठ से दसवीं श्रेणी की पढ़ाई पूरी की थी। सके बाद सुंदरीदिया सत्र के गंगाधर देव मिश्र और सत्य कृष्ण देव मिश्र से शास्त्रीय संगीत और बरगीत की शिक्षा प्राप्त की। भारतीय संगीत के साथ ही उन्होंने असम की लोक संगीत की भी शिक्षा प्राप्त की। विशिष्ट संगीत साधक शर्मा को 1960 के दशक से 1990 के दशक के अंतिम समय तक असम सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग में भी अपनी सेवाएं दीं। 1973 में वे आकाशवाणी गुवाहाटी केंद्र के साथ जुड़े और 1998 में अवकाश ग्रहण किया। प्रभात शर्मा असम के स्थानीय वाद्ययंत्रों को शामिल कर पांचजन्य शंखध्वनि नामक एक सुरसमलय दल का गठन किया था। बाद में उसे देवगंधार नाम दिया गया। उन्होंने कुछ असमिया फिल्मों में संगीत भी दिया था। जिसमें मुख्य रूप से ब्लैकमनी, संतान, सांध्याराग, सारथी आपोनजन, मोहमुक्ति, अनल, कदमतले कृष्ण नाचे, श्रीमंत शंकरदेव आदि शामिल हैं। दूरदर्शन केंद्र गुवाहाटी से प्रसारित हुए धारावाहिक पथरुघाटे रिंगियाय और बृकोदर बरुवा विया में भी संगीत दिया था। 2001 में उन्हें असम सरकार की ओर से शिल्पी दिवस पुरस्कार प्रदान किया गया। समिया लोक संगीत के क्षेत्र में प्रभात शर्मा द्वारा किये गये कार्य के लिए 2004 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। असम की प्रसिद्ध संगीत साधक तराली शर्मा प्रभात शर्मा की पुत्री हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद