सरकारी काजी के अलावा कोई भी विवाह व तलाक का पंजीकरण नहीं कर सकता
गुवाहाटी, 27 फरवरी (हि.स.)। सदौ असम सरकारी काजी संस्था ने शनिवार को कहा कि गौहाटी उच्च न्यायालय ने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायाधीश मानस रंजन पाठक की अदालत ने मुस्लिम विवाह और तलाक के फैसले और पंजीकरण के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। इस फैसले के अनुसार मुस्लिम विवाह और तलाक के फैसले के बारे में निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ सरकारी काजियों का है। यह निर्णय गत 22 फरवरी को जारी निर्देश में मुस्लिम विवाह व तलाक के फैसले और पंजीकरण के बारे में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था। ये बातें शनिवार गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन में सदौ असम सरकारी काजी संस्था के सलाहकार, गौहाटी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अब्दुल करीम तालुकदार, सचिव तथा नगांव के सदर काजी हिफजुर रहमान अहमद और प्रचार सचिव तथा बरपेटा जिला के गोमा फुलवारी के सदर काजी अब्दुल्ला खान ने कही। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सिर्फ सरकारी काजी के अलावा अन्य कोई काजी, धर्मीक दल, संगठन शादी व तलाक का पंजीकरण नहीं कर सकता। उन्होंने उच्च न्यायालय के इस निर्देश का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गौहाटी उच्च न्यायालय के सन 2006 निर्देशानुसार असम सरकार ने सन 2010 में गजट नोटीफिकेशन द्वारा सभी मुस्लिम शादी व तलाक के पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है। इसका फायदा उठाते हुए कुछ दल, संगठनों ने सामान्य लोगों को शादी और तलाक पंजीकरण के नाम पर ठग रहे हैं। गौहाटी उच्च न्यायालय ने इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए इस कानून का पालन करने का निर्देश दिया है। इस संस्था ने इस संदर्भ में पुलिस व प्रशासन को कड़ी निगरानी करने के लिए और लोगों को सचेत रहने का भी आह्वान किया है। संस्था ने शादी और तलाक सिर्फ सरकारी काजी की सहायता से करने का आह्वान किया है। सरकारी काजी के अलावा अन्य कोई भी धर्मीय संस्था विवाह व तलाक का पंजीकरण करने से उसे अवैध व कानून के खिलाफ माना जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/ देबोजानी/ अरविंद