नगांव (असम), 09 जनवरी (हि.स.)। असमिया संस्कृति के प्राण केंद्र बिहू के आते ही पूरे राज्य में उत्साह का वातावरण उत्पन्न हो जाता है। राज्य में तीन बिहू मनाने की परंपरा है। जिसमें भोगाली, रंगाली और कंगाली बिहू शामिल हैं। इस कड़ी में आगामी भोगाली बिहू के मद्देनजर राज्य में अभी से तैयारियों आरंभ हो गयी हैं। भोगाली बिहू के आयोजन में महज कुछ दिन ही अब शेष रह गया है। जिसको लेकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाएं व्यापक तैयारियों में जुट गयी हैं। भोगाली बिहू के मौके पर राज्य के अन्य हिस्सों की तरह नगांव जिला के जुरिया की महिलाओं में भी व्यापक व्यस्तता देखी जा रही है। जुरिया के असमिया गांवों में इन दिनों ढ़ाकी का शब्द चारों ओर सुनने को मिल रहा है। लोग विभिन्न प्रकार के पीठा और पकवान बनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। सभी गांवों की महिलाएं इन दिनों विभिन्न प्रकार का पीठा और लड्डू बनाने में व्यस्त हैं। ज्ञात हो कि भोगाली बिहू के मौके पर लोग विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर खाते हैं। भोगाली शब्द अपने नाम से ही भोग यानी खाने का उत्सव है। यह उत्सव कृषि से जुड़ा हुआ है। अच्छी फसल की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। वही भोगाली बिहू के मौके पर मेजी और भेला घर भी काफी सुंदर तरीके से बनाये जे रहे हैं। ज्ञात हो कि 13 जनवरी से ही भोगाली उत्सव आरंभ हो जाएगा। धान के पुवाल व अन्य घास-फूस से मेजी और भेला घर का निर्माण किया जाता है। भोगाली के एक दिन पहले रात को मेजी में लोग भोजन करते हैं, जबकि दूसरे दिन सुबह स्नान करने के पश्चात मेजी व भेला घर की पूजा-अर्चना कर उसमें आग लगायी जाती है। इसको लेकर पूरे राज्य में बेहद उत्साह का वातावरण है। हिन्दुस्थान समाचार /असरार/ अरविंद-hindusthansamachar.in