कुर्सी के लिए इमरजेंसी व जेपी की मौत के जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं लालूः उपमुख्यमंत्री
कुर्सी के लिए इमरजेंसी व जेपी की मौत के जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं लालूः उपमुख्यमंत्री

कुर्सी के लिए इमरजेंसी व जेपी की मौत के जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं लालूः उपमुख्यमंत्री

अंग्रेजों से भी ज्यादा आपातकाल में किया गया था राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर अत्याचार इंदिरा को जो सबक मिली, उसके बाद अब कोई इमरजेंसी लगाने की सोच भी नहीं सकता पटना, 25 जून (हि.स.)। भाजपा की ओर से आयोजित ‘आपातकालः भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय’ विषयक वर्चुअल परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए जेपी आंदोलन के प्रमुख सहभागी व इमरजेंसी में 19 महीने की जेल यातना झेलने वाले उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अपने को जेपी और लोहिया का चेला बताने वाले लालू प्रसाद आज कुर्सी के लिए इमरजेंसी और जेपी की मौत की जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं। अपनी गद्दी बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को संविधान का गला घोंट इमरजेंसी लागू कर पूरे देश पर अपनी तानाशाही थोपी थी। मोदी ने कहा कि आजादी की दूसरी लड़ाई के प्रणेता 74 वर्षीय जेपी को आपातकाल के दौरान जेल में इंदिरा गांधी के क्रुर अत्याचार का शिकार नहीं होना पड़ता, जिससे उनकी किडनी फेल नहीं हुई होती तो वे 10-12 वर्ष और हमलोगों के बीच रहते। आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि देश के सभी प्रमुख राजनेताओं सहित डेढ़ लाख से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया था। उस दौर में अंग्रेजों से भी ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किया गया। देश के तथाकथित बुद्धिजीवी, न्यायपालिका और दो-तीन को छोड़ कर बाकी सभी अखबारों ने इंदिरा गांधी की तानाशाही के आगे घुटना टेक दिया था। पूरे देश में मरघट का सन्नाटा छा गया था। आतंक व खौफ इतना था कि कोई किसी से जेल में मिलने भी नहीं जाता था। मोदी ने कहा कि बिहार में जब एनडीए की सरकार बनी तो जेपी सेनानियों को ‘सम्मान पेंशन’ देने का निर्णय लिया गया। बिहार में 2,680 लोगों जिनमें छह माह से अधिक जेल में रहने वाले 1,728 को 10 हजार व छह माह से कम वाले 952 को 5 हजार रुपये प्रति महीना पेंशन के तौर पर अब तक 170 करोड़ रु. दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी और कांग्रेस को इस देश की जनता ने जो सबक दी उसके बाद अब कोई भी इमरजेंसी लगाने की सोच भी नहीं सकता है। आपातकाल एक ऐसा काला अध्याय है, जिसकी याद मात्र से सिहरन पैदा होती है। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव-hindusthansamachar.in

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