कोंडागांव : जैविक खेती करके मंगलूराम बने सफल किसान, औरों को भी सीखा रहें हैं आर्गेनिक फार्मिंग की विधि
कोण्डागांव, 11 फरवरी (हि.स.)। बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खाद, जहरीले कीटनाशकों को उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को निश्चित रूप से प्रभावित करता है। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है साथ ही वातावरण भी प्रदूषित होता है और अंत में इसका दूष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पढ़ता है। परन्तु जल, भूमि, वायु और वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जैविक खेती ही अब एकमात्र विकल्प रह गया है। इस क्रम में प्रस्तुत वृत्तान्त एक कर्मठ और दृढ़ सोच रखने वाले कृषक मंगलूराम कोर्राम पिता हड़ोडी राम कोर्राम के विषय में है विकासखण्ड फरसगांव के ग्राम भण्डारवण्डी (खासपारा) के निवासी मंगलूराम अपनी 08 एकड़ की पुस्तैनी भूमि में धान की काश्तकारी करते थे। मुख्यतः मरहान भूमि में उपजाये गये इस कृषि से अतिरिक्त आय का कोई प्रश्न ही नहीं था और अपनी सीमित आमदनी में वृद्धि करने के लिए मंगलूराम ने 20 वर्षों से जैविक खेती करके जिले के अन्य किसानों के समक्ष एक सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। मंगलूराम का कहना है कि सर्वप्रथम उनके छोटे भाई का रूझान जैविक खेती के प्रति शुरू से ही था, इसके लिए उनके भाई ने हैदराबाद स्थित प्रशिक्षण संस्थान से जैविक खेती के संबंध में प्रशिक्षण लिया और केंचुआ खाद बनाने की तकनीक सीखी। अपने द्वारा तैयार किये गये जैविक खाद निर्माण तथा गौमूत्र से फसलों में लगने वाले कीड़ों को नष्ट करने की विधि के बलबूते आज मंगलूराम धान की विभिन्न प्रजातियों जैसे ‘जीरा फूल, श्रीराम, जवाफूल, सीताचोरी, अरूण एचएमटी‘ की विभिन्न किस्मों का उत्पादन सफलतापूर्वक कर रहे हैं। इसके साथ ही वे ‘कूल्थी, मंडिया एवं कोसरा‘ जैसे मोटे अनाज एवं साग-सब्जी भी उगा रहें है। वे मानते हैं कि जैविक खेती से न केवल भूमि की उपजाऊ क्षमता और सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है, बल्कि रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में भी कमी आती है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग द्वारा उन्हें आत्मा योजना के तहत् 90 हजार का चेक भी प्राप्त हुआ है और उन्हें इस संबंध में प्रशिक्षण हेतु ‘रिर्सोस पर्सन‘ के रूप में भी आमंत्रित किया जाता है। मंगलूराम इसके साथ ही गांव के अन्य किसानों को भी जैविक खेती के फायदों के बारे में सलाह देते हैं और किसानों को खाद, बीज एवं जैविक दवाइयों एवं जड़ी-बूटी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी मदद करते हैं। गौरतलब है कि विगत दिनों विकासखण्ड विश्रामपुरी के प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा जैविक खेती के माध्यम से धान की उत्कृष्ट कृषि करने के संबंध में विशेष सराहना की भी गई। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव गुप्ता-hindusthansamachar.in