संघ के आव्हान पर घरों में गूंजा 'मैं हूं जीजाबाई', जर्मनी में पावनी बनी जीजाबाई
संघ के आव्हान पर घरों में गूंजा 'मैं हूं जीजाबाई', जर्मनी में पावनी बनी जीजाबाई

संघ के आव्हान पर घरों में गूंजा 'मैं हूं जीजाबाई', जर्मनी में पावनी बनी जीजाबाई

- जीजाबाई बनकर नौनिहालों को छत्रपति शिवाजी जैसा बनाने का लिया संकल्प फिरोजाबाद, 07 जून (हि.स.)। छत्रपति शिवाजी को गढ़ने वाली उनकी मां जीजाबाई जैसे शौर्य एवं अपनी संतानों में भारतीय संस्कृति के संस्कारों का रोपण करने के उद्देश्य से आरएसएस की कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के आह्वान पर संघ परिवार से जुड़े कार्यकर्ताओं के घरों की महिलाओं ने जीजाबाई जैसे परिधान पहने और शस्त्र धारण कर मैं हूं जीजाबाई का उद्घोष किया। संघ के आव्हान पर जर्मनी में पावनी भी जीजाबाई बनी। रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चंद्रनगर विभाग की कुटुंब प्रबोधन गतिविधि ने कार्यकर्ताओं के घरों की मातृशक्ति से छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई से जुड़े प्रेरक प्रसंग श्रवण करने को कहा था। जिससे घरों में महिलाओं द्वारा बच्चों के पालन-पोषण में जीजाबाई की तरह शिवाजी को दिए गए संस्कारों और शौर्य-पराक्रम का स्मरण हो सके। इस उद्देश्य से आरएसएस कार्यकर्ताओं के घरों की महिलाओं ने जीजाबाई के परिधान पहनकर हाथ में शस्त्र लेकर मैं हूं जीजाबाई का भाव दर्शाया। कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के सह विभाग संयोजक संजीव गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में राष्ट्र एवं संस्कृति के ऊपर निरंतर हो रहे आघातों से राष्ट्र की रक्षा करने में सक्षम भावी पीढ़ी का निर्माण मातृशक्ति के द्वारा दिए गए संस्कारों पर ही निर्भर है। बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। उसके द्वारा लालन-पालन में दिए गए संस्कार बच्चे के पूरे जीवन पर प्रभाव डालते हैं। राणा, शिवा, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस जैसे महामानवों को गढ़ने में उनको दिए गए संस्कारों का बड़ा हाथ था। पूर्व काल में भारतवर्ष में गुरुकुल परंपरा के द्वारा शिक्षा के दौरान गुरुजन और घरों में माताएं बच्चों की परवरिश के दौरान महानता के संस्कारों के बीज बोते थे। संघ के आह्वान पर जर्मनी में पावनी बनी जीजाबाई शहर निवासी राष्ट्र सेविका समिति की तरुणी प्रमुख विभूति वर्मा की मां मीना वर्मा 25 जनवरी को जर्मनी के शहर फ्रेंकफर्ट में अपने बेटे साफ्टवेयर इंजीनियर प्रिंस वर्मा से मिलने गई थीं। इसी दौरान चाइनीज वायरस नोविल कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए जर्मनी में भी लॉकडाउन लागू हो गया। जिससे वह वापस भारत में अपने शहर नहीं लौट पाई हैं। इस दौरान भी लगातार शहर में होने वाली सामाजिक गतिविधियों की जानकारी लेकर सक्रिय रहती हैं। रविवार को संघ परिवारों में जीजाबाई से जुड़े संस्मरण एवं परिधान पहनने के आह्वान की चर्चा जब उन्होंने कक्षा 5 में पढ़ने वाले अपनी 10 वर्षीय पुत्री पावनी वर्मा से की तो उसने इंटरनेट से जीजाबाई के संबंध में जानकारी जुटाकर जीजाबाई के परिधान पहनकर संघ कार्यकर्ताओं को अपने फोटो सेंड किए। हिन्दुस्थान समाचार/कौशल/मोहित-hindusthansamachar.in

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