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जगदलपुर : स्थानीय लोगों के विरुद्ध अमानवीय व क्रूर हिंसा बंद करे नक्सली : सुंदरराज पी.

हिंसक गतिविधियों का औचित्य बताने में अब नक्सली नेतृत्व असफल हुआ जगदलपुर, 17 मार्च (हि.स.)। बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने नक्सलियों द्वारा जारी शांति वार्ता से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंसा त्यागकर जो भी नक्सली आत्मसमर्पण करते हैं, उनका स्वागत करते हैं तथा उनके सामान्य जीवन जीने के लिए व्यवस्था दी जाती है। उन्होने कहा कि अगर नक्सली अब वास्तव में स्थानीय जनमानस के कल्याण को लेकर चिंतन कर रहे हैं तो पहले उन्हें स्थानीय लोगों के विरुद्ध उनके द्वारा की जा रही हिंसा को बंद करना चाहिए और अमानवीय एवं क्रूर गतिविधियों में संलिप्त नहीं होना चाहिए। उन्होंने ने आगे कहा कि क्रांति के नाम पर की जा रही इनकी क्रूर हिंसक गतिविधियों का औचित्य बताने में अब नक्सली नेतृत्व असफल है। आम लोगों ने नक्सली विचारधारा और उनके कार्य करने के तरीकों पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिए है। नक्सलियों के खोखले दावों की असलियत भांप कर अब उनके अपने साथी भी नक्सल संगठन छोड़कर जा रहे हैं। राज्य कभी भी हिंसा की तैयारी या शुरुआत नहीं करता। वामपंथी उग्रवाद से ग्रसित क्षेत्र में स्थानीय रहवासियों के जान-माल की सुरक्षा ही ऐसे क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों की प्राथमिकता है। नक्सलियों द्वारा निर्दोष आदिवासियों की हत्या, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा जंगलों में कहीं भी आइईडी प्लांट कर आम जनता के जान-माल की क्षति पहुंचाने जैसे अमानवीय व क्रूर कृत्यों के कारण वर्तमान में देश का हर एक जवाबदार नागरिक नक्सलियों की कड़ी निंदा कर रहा है। उल्लेखनीय है कि दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने तीन शर्तों के साथ छत्तीसगढ़ सरकार से नक्सली शांति वार्ता के लिए तैयार हो गए हैं, जिसमें सरकार पहले सुरक्षा बलों को हटाया जाए, नक्सली संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को भी हटाए एवं जेलों में कैद नक्सली नेताओं को बिना शर्त रिहा करने की शर्त रखी है। हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

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