624 सालों में पहली बार जगन्नाथ रथ के पहिए थमे, इस्कॉन मंदिर में ही यात्रा
624 सालों में पहली बार जगन्नाथ रथ के पहिए थमे, इस्कॉन मंदिर में ही यात्रा

624 सालों में पहली बार जगन्नाथ रथ के पहिए थमे, इस्कॉन मंदिर में ही यात्रा

ओम प्रकाश कोलकाता, 23 जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के हुगली जिला अंतर्गत श्रीरामपुर के महेश में 624 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब भगवान जगन्नाथ के रथ के पहिए थम गए हैं। इसी तरह से कोलकाता की ऐतिहासिक इस्कॉन रथ यात्रा पर भी विराम है। मंगलवार सुबह रीति रिवाज को मानते हुए मंदिर परिसर के अंदर ही कोलकाता के इस्कॉन परिसर में रथयात्रा निकाली गई। पुजारियों ने भगवान जगन्नाथ को झूला झुलाया और सुभद्रा तथा बलराम के रथ को भी मंदिर परिसर के अंदर ही घुमाया है। सुबह 10:00 बजे के करीब इस्कॉन मंदिर परिसर में पुजारियों ने तीनों रथों की पूजा अर्चना की। उसके बाद भगवान जगन्नाथ को झूला झुलाया। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। थर्मल गन से आगंतुकों के शरीर का तापमान मापा जा रहा है। इस्कॉन की कोलकाता इकाई के प्रवक्ता और उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बताया कि महामारी के प्रसार को देखते हुए इस बार रथयात्रा नहीं निकाली गई है। सावधानी बरतते हुए कोलकाता पुलिस ने इस्कॉन मंदिर परिसर के आसपास सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की है। इसी तरह से हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित महेश में पिछले 624 सालों से हर साल धूमधाम से रथयात्रा निकलती रही है। लेकिन इस बार महामारी को देखते हुए भगवान जगन्नाथ के रथ के पहिए थम गए हैं। कोई यात्रा नहीं निकाली जाएगी और भीड़ भाड़ पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। केवल रथ पूजा कमेटी के सदस्य हिस्सा लेंगे। रीति रिवाज के मुताबिक भगवान जगरनाथ, सुभद्रा और बलराम की पूजा हो रही है। महेश ट्रस्टी बोर्ड की ओर से बताया गया है कि 25 से अधिक लोगों को मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं किया जाएगा। नियम है कि भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ को श्रद्धालु खींचते हुए उनके मौसी के घर पहुंचाते हैं। इस बार मौसी का अस्थाई घर बनाया गया है जो मंदिर परिसर के ठीक पास है। बताया गया है कि मंदिर परिसर में ही मौजूद नारायण शिला की प्रदिक्षा करने के बाद रथ को वहीं रोक दिया जाएगा। महेश स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पास सुबह से ही श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। अधिकतर लोगों ने चेहरे पर मास्क पहना है। हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन मंदिर में प्रवेश वर्जित होने की वजह से मंदिर के गेट पर ही माथा टेक कर लोग वापस लौट रहे हैं। ट्रस्टी बोर्ड की ओर से बताया गया है कि मंदिर परिसर के अंदर भोग घर बनाया गया है जिसमें रत्न बेदी भी तैयार किया गया है। आगामी 8 दिनों तक रथ यही रहेगा। रथ यात्रा के मौके पर जो लोग पूजा-पाठ अथवा भोग चढ़ाने के लिए आ रहे हैं, उन्हें इसी बेदी पर पूजा करने को कहा गया है। इस दौरान शारीरिक दूरी के प्रावधानों का पूरी तरह से ख्याल रखा जा रहा है। सावधानी बरतते हुए चंदननगर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से पूरे क्षेत्र में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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