उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न जारी रहा तो  चीन के खिलाफ उठ खड़ा होगा बांग्लादेश : मिसबाहुर रहमान चौधरी
उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न जारी रहा तो चीन के खिलाफ उठ खड़ा होगा बांग्लादेश : मिसबाहुर रहमान चौधरी

उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न जारी रहा तो चीन के खिलाफ उठ खड़ा होगा बांग्लादेश : मिसबाहुर रहमान चौधरी

ढाका, 14 अगस्त (हि.स.)। बांग्लादेश इस्लामी एकता गठबंधन के अध्यक्ष और इस्लामिक फाउंडेशन के अध्यक्ष मिसबाहुर रहमान चौधरी का कहना है कि चीन अपने देश में उइगर मुसलमानों पर जुल्म ढ़ा रहा है। उनका मानना है कि वह पाकिस्तान से मिलकर इस पूरे क्षेत्र में अशांति पैदा करना चाहता है, जिससे हम सबको सावधान रहना चाहिए। वहीं वह मानते हैं कि भारत ही इस पूरे क्षेत्र में शांति ला सकता है। विश्व भर में मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले भारत ने सच्ची धर्मनिरपेक्षता का परिचय देते हुए सबको समान अधिकार और सम्मान दिया है। भारत सहित समूची दुनिया को उइगर मुसलमानों के लिए आवाज उठानी चाहिए। यहां प्रस्तुत है बांग्लादेश के वरिष्ठ इस्लामी नेता और इस्लामिक फाउंडेशन के अध्यक्ष मिसबाहुर रहमान चौधरी से किशोर कुमार सरकार की बातचीत के प्रमुख अंश:- हिन्दुस्थान समाचार: आप चीन में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ खासे मुखर हैं, क्या है वहां की स्थिति? मिसबाहुर रहमान: चीन के उत्तर पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर कम्युनिस्ट सरकार का अत्याचार चरम पर है। लगभग 20 मिलियन उइगर मुसलमानों में से, दो मिलियन से अधिक को "सांस्कृतिक क्रांति" के नाम पर बंदी बनाया गया है और सुअर सहित अन्य अखाद्य भोजन खाने के लिए मजबूर किया गया है। चीन में उइगर लोगों को उपवास करने, नमाज पढ़ने और यहां तक कि पवित्र कुरान को घर पर रखने पर जेल की सजा के अलावा धार्मिक रीतियों के पालन पर प्रतिबंध है। बच्चों को अपनी मातृभाषा के बजाय मंदारिन या चीनी सीखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उनके धर्म और संस्कृति पर साम्यवाद थोपने के लिए उइगरों की धार्मिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मस्जिद-मदरसा-मकबरों को ध्वस्त कर दिया गया है। 1949 में, शिंजियांग की उइगर मुस्लिम आबादी 95 प्रतिशत थी, 1980 तक यह घटकर 55 प्रतिशत रह गई थी। वर्तमान में, अपने स्वयं के क्षेत्र में मुसलमानों का प्रतिशत लगभग 47 है। जब इस सबके खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ तो हजारों निर्दोष लोगों की चीनी सैनिकों की मदद से हत्या कर दी गई । चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी अधिकारियों को मुसलमानों पर "कोई दया नहीं" दिखाने का निर्देश दिया है। जिसे एमनेस्टी इंटरनेशनल और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में रिपोर्ट किया गया है। हिन्दुस्थान समाचारः इस सबके बावजूद पाकिस्तान सहित अनेक इस्लामी देशों के साथ चीन संबंध बढ़ा रहा है, चीन की इस दोहरी नीति पर क्या कहेंगे? मिसबाहुर रहमान: चीन मुस्लिम देशों के साथ सांप-सीढी खेल रहा है। एक ओर वह अपने देश के शांतिप्रिय मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है। रोहिंग्या मुसलमानों को अराकान में एक चीनी औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए म्यांमार के माध्यम से अपनी मातृभूमि से निष्कासित कर दिया गया है। अगर चीन चाहता तो लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार से अपनी मातृभूमि नहीं छोड़नी पड़ती। अब पाकिस्तान की आईएसआई बांग्लादेश के पहाड़ी इलाकों में उग्रवाद पैदा करने की कोशिश कर रही है, जिसमें म्यांमार के टेकनाफ और अराकान शामिल हैं। मुसलमान समझ गए हैं कि इनका नेतृत्व कौन कर रहा है। इस तरह वे दुनिया भर में मुसलमानों को आतंकवादी बनाने के लिए एके -47 सहित विभिन्न हथियार बेच रहे हैं। पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन दुनिया में अशांति पैदा करने की साजिश रच रहा है। हम सभी को इस बारे में सावधान रहना होगा। मुझे लगता है कि चीन उइगर मुसलमानों पर इस तरह अत्याचार करता रहा, तो बांग्लादेश के मुसलमान एक दिन चीन के खिलाफ उठ खड़े होंगे। इससे बांग्लादेश में चीन ने जो निवेश किया है, वह प्रभावित होगा। हिन्दुस्थान समाचार: आप बांग्लादेश के सोनदिया में गहरे बंदरगाह के निर्माण में चीनी निवेश को कैसे देखते हैं? मिसबाहुर रहमान: चीन बांग्लादेश को कर्ज में फंसाकर श्रीलंका बनाना चाहता है। यह विभिन्न विकास परियोजनाओं में तीन से चार गुना से अधिक ब्याज के साथ ऋण दे रहा है। इसके अलावा, बांग्लादेश से भारत को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण समुद्रों और हवाई अड्डों का निर्माण करना चाहता है। भारत के साथ हमारे शत्रुतापूर्ण संबंध बनाना चाहता है। इस बीच, सिलहट में ओस्मानी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का काम चीन को दिया गया है। चीन को गहरे समुद्र में बंदरगाह बनाने का ठेका देना एक आत्मघाती फैसला होगा। क्योंकि 1971 में, स्वतंत्रता संग्राम में सहयोगी सेनाओं के रूप में भारतीयों ने सीधे युद्ध में भाग लेकर रक्त दिया था। भारत ने उस समय हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हथियार, प्रशिक्षण और समर्थन हासिल करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए थे। इतना ही नहीं, उसने एक करोड़ शरणार्थियों को शरण दी थी। हमारे ऊपर भारत का रक्त ऋण है। इसलिए हमें दुश्मन-दोस्त की पहचान करके काम करना होगा। भारत के दुश्मन के साथ हाथ मिलाना बेईमानी होगी। हिन्दुस्थान समाचार: क्या आप पाकिस्तान के साथ-साथ चीन से भी 1971 के नरसंहार के लिए माफी की मांग करेंगे? मिसबाहुर रहमान: बेशक, हम 1971 में बांग्लादेश में जनसंहार के लिए पाकिस्तान के साथ-साथ चीन से भी माफी की मांग करते हैं, क्योंकि चीन भी उतना ही दोषी है। 1971 में चीन ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता-प्रेमी लोगों को मारने के लिए पाकिस्तान को सैन्य उपकरण प्रदान किए। चीन द्वारा दिए गए हथियारों और गोलियों से बंगाल के 3 मिलियन स्वतंत्रता प्रेमी शहीद हुए हैं। चीन ने पाकिस्तान की ओर से बांग्लादेशी लोगों की हत्या का समर्थन किया है। राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या तक उन्होंने बांग्लादेश को मान्यता नहीं दी। इसलिए हमें विकास के साथ-साथ इतिहास के बारे में भी सोचना होगा। हिन्दुस्थान समाचार: आप जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, जमात-ए-इस्लामी हिंदुस्तान (हिंद) और जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान को कैसे देखते हैं? मिसबाहुर रहमान: इनमें से कोई भी वास्तविक इस्लामी दल नहीं हैं। मूल रूप से 1942 में, मौलाना मदूदी के साथ, अंग्रेजों ने एक जमात का गठन किया ताकि भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने से रोका जा सके। तब यह कहा गया था कि भारत को सीधे अंग्रेजों के हाथों से एक इस्लामिक राज्य बनाना चाहिए अन्यथा अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। वे वास्तव में इस्लाम को अपने राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग करते रहे हैं। अंग्रेजों ने दुश्मनी पैदा करके भारत की स्वतंत्रता को रोकने की कोशिश की। 1974 में दुनिया के विभिन्न देशों की एक युवा मुस्लिम टीम ने सऊदी अरब के राजा फैसल से मुलाकात की। मुझे बांग्लादेश से गई टीम में शामिल होने का सौभाग्य भी मिला। सौभाग्य से, जब हमारे युवा समूह की मुलाकात राजा फैसल के साथ हुई तब टीम का नेेतृत्व कर रहे गुुलाम आज़म ने बादशाह फैसल को हमारे सामने बताया कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, स्वतंत्रता सेनानियों ने बांग्लादेश में सभी मस्जिदों, मदरसों और मकबरों को जला दिया था। इसलिए उन जली हुई मस्जिदों, मदरसों के पुनर्निर्माण के लिए धन की आवश्यकता है। हमने तब विरोध किया और कहा कि गुलाम आजम ने जो कहा वह सच नहीं था। लेकिन राजा फैसल ने गुलाम आज़म पर विश्वास किया और बहुत पैसा दिया। इस तरह, इन संगठनों ने इस्लाम के नाम पर झूठ बोलकर पूरे मध्य पूर्व से हजारों करोड़ रुपये कमाए। वास्तव में, उन्होंने उग्रवाद पैदा करने के अलावा इन तीन देशों में इस्लाम को फैलाने के लिए कुछ नहीं किया है। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में सीरियल बम धमाकों में भी शामिल था। जमात सार्वजनिक रूप से ये बातें कहने के लिए मेरी हत्या करवाना चाहती है। इसीलिए माननीय प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मेरे लिए विशेष पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था की है। हिन्दुस्थान समाचार/ किशोर/ ओम प्रकाश/मधुप /जितेन-hindusthansamachar.in

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