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'विनाशकारी तापमान वृद्धि' की ओर बढ़ती दुनिया - सुस्पष्ट जलवायु कार्रवाई व संकल्पों का आहवान

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक रिपोर्ट दर्शाती है कि जलवायु कार्रवाई के लिये नए और संशोधित संकल्प, पैरिस जलवायु समझौते में तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं. स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन से कुछ ही दिन पहले जारी रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया इस सदी में, वैश्विक तापमान में कम से कम 2.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की ओर बढ़ रही है. मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट 'Emissions Gap Report 2021: The Heat Is On' के मुताबिक़, देशों की संशोधित राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं (Nationally Determined Contributions / एनडीसी) से, पिछले संकल्पों की तुलना में वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में केवल 7.5 प्रतिशत की ही अतिरिक्त गिरावट होगी. One week before #COP26, we were still on track for a catastrophic global temperature rise of around 2.7 degrees Celsius. Scientists are clear on the facts. Leaders need to be just as clear in their plans to avoid climate catastrophe. pic.twitter.com/EpGuuOd4YL — António Guterres (@antonioguterres) October 26, 2021 रिपोर्ट में एनडीसी, यानि राष्ट्रीय कार्बन उत्सर्जनों में कटौती के लिये उपायों का पुलिन्दा, के साथ-साथ वर्ष 2030 के अन्य संकल्पों की भी समीक्षा की गई है, जिन्हें अभी आधिकारिक रूप से पेश नहीं किया गया है. यूएन एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा संकल्प पर्याप्त नहीं है. वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियम से कम तक सीमित रखने के लिये, ग्रीनहाउस उत्सर्जनों में 55 प्रतिशत की कटौती की आवश्यकता होगी. 1.5 डिग्री सेल्सियस, तापमान वृद्धि की वह सीमा है जिससे पृथ्वी और मानवता के लिये जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को सीमित किया जा सकता है. यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने एक प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग्लासगो में कॉप26 से एक सप्ताह से भी कम समय बचा है, और दुनिया अब भी वैश्विक तापमान में विनाशकारी वृद्धि के रास्ते पर हैं. नैट-शून्य संकल्प रिपोर्ट बताती है कि नैट-शून्य संकल्पों को यदि पूर्ण रूप से लागू किया जाता है, तो इससे बड़ा बदलाव आने की सम्भावना है और वैश्विक तापमान में वृद्धि को 2.2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद मिलेगी. इससे यह उम्मीद बंधी है कि और भी ज़्यादा महत्वाकाँक्षी कार्रवाई के ज़रिये जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक विनाशकारी प्रभावों को टाला जा सकता है. मगर, यूएन रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि नैट-शून्य संकल्प और वादे ‘अस्पष्ट’ हैं और वर्ष 2030 के अधिकाँश राष्ट्रीय संकल्पों से मेल नहीं खाते हैं. कुल मिलाकर, 49 देशों और योरोपीय संघ ने अब तक नैट-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प लिया है. इसके बावजूद, अनेक राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं में ज़रूरी उपायों को वर्ष 2030 के बाद तक के लिये टाला गया है, जिससे उनके नैट-शून्य संकल्पों को पूरा किये जाने पर संदेह है. बताया गया है कि 12 जी20 सदस्यों ने नैट-शून्य उत्सर्जन का संकल्प लिया है, लेकिन इस लक्ष्य तक पहुँचने के रास्ते पर स्पष्टता का अभाव है. समय बीता जा रहा है यूएन पर्यावरण एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इन्गर ऐण्डरसन ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि अपने नए संकल्पों को पूरा करने के लिये, देशों को नई नीतियों के लिये जगह बनानी होगी और उन्हें कुछ ही महीनों में लागू किया जाना शुरू करना होगा. रिपोर्ट में स्पष्टता से कहा गया है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये, दुनिया को अगले आठ वर्षों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों को लगभग आधा करना होगा. इसके तहत, नई एनडीसी योजनाओं और अन्य 2030 संकल्पों के अलावा, वार्षिक उत्सर्जनों से अतिरिक्त 28 गीगाटन समतुल्य कार्बन डाइऑक्साइड को भी हटाया जाना होगा. यूएन एजेंसी के मुताबिक़, वैश्विक महामारी के कारण कार्बन उत्सर्जनों में गिरावट दर्ज की गई थी, मगर अब यह फिर से बढ़ी है और वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की सघनता बढ़ा रही है. विशेषज्ञों ने बताया है कि कोविड-19 से पुनर्बहाली और संकट से उबरने के लिये, वित्तीय पैकेजों के ज़रिये अर्थव्यवस्था को मज़बूती देते समय, कम कार्बन पर आधारित दिशा में आगे बढ़ना होगा. फ़िलहाल, कम ही देशों में यह होता दिखाई दे रहा है, और सीमित संख्या में उच्च-आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ ही हरित विकास मद में व्यय कर रही हैं. इन हालात में विकासशील देशों और उभरते हुए बाज़ारों के पीछे छूट जाने का ख़तरा है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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