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पूर्ण समावेशन व समानता के बिना, शान्ति है अधूरी – यूएन प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि विविधता को एक ख़तरे के बजाय, एक बलशाली लाभ के रूप में देखे जाने की ज़रूरत है, विशेष रूप से हिंसक संघर्ष की चुनौती का सामना कर रहे देशों में. यूएन प्रमुख ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में एक चर्चा को सम्बोधित करते हुए, शान्ति निर्माण प्रक्रिया में समावेशन व समानता पर बल दिया है. नवम्बर महीने के लिये सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश, मैक्सिको ने इस बैठक का आयोजन किया, जिसमें सशस्त्र संघर्ष की बुनियादी वजहों, जैसेकि असमानता और निर्धनता के बीच सम्बन्ध की पड़ताल की गई. महासचिव गुटेरेश ने कहा, “सभी प्रकार का बहिष्करण व असमानता – आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक – अपने साथ सुरक्षा के लिये एक भीषण बोझ लाता है.” Without full inclusion & equality, peace is a job half done. True peace can only be carried forward by people who are supported, valued, and who feel they are truly part of their society. My remarks to the Security Council today: https://t.co/A3RWS5sXe0 pic.twitter.com/jgKlLHhf7q — António Guterres (@antonioguterres) November 9, 2021 “निसन्देह, बढ़ती असमानता, अस्थिरता के बढ़ने का एक कारक है.” यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने समावेशन के लिये एक चार-सूत्री रोडमैप पेश करते हुए, देशों से आमजन की भलाई, टकराव की रोकथाम, लैंगिकता और संस्थाओं के मुद्दों पर वृहद कार्रवाई का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि पूर्ण समावेशन व समानता के बिना, शान्ति अधूरी है. “चूँकि वास्तविक, टिकाऊ शान्ति को वही लोग आगे ले जा सकते हैं, जिन्हें समर्थन प्राप्त हो, जिन्हें शामिल किया जाए, जिनकी कद्र हो, जिन्हें महसूस हो कि वो अपने समाजों का वास्तव में हिस्सा हैं – और उसके भविष्य में उनका भी कुछ दाँव पर लगा है.” यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि देशों को मानव विकास में निवेश और एक नया सामाजिक अनुबन्ध तैयार करना होगा, जिसमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, सामाजिक संरक्षा और सुरक्षा चक्र के साथ-साथ सर्वजन के लिये कोविड-19 टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए. प्रगति सम्भव उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष, वैश्विक सैन्य व्यय में, वर्ष 2009 के बाद से सबसे अधिक वृद्धि हुई है और अब यह वार्षिक दो हज़ार अरब डॉलर के क़रीब है. “हम जिस प्रगति को दर्ज कर सकते हैं उसकी कल्पना कीजिये – शान्ति, हम जिसका निर्माण कर सकते हैं, हिंसक संघर्ष, जिनकी हम रोकथाम कर सकते हैं. अगर हम इसका थोड़ा भी मानव विकास, समानता व समावेशन के लिये समर्पित करें तो.” यूएन प्रमुख ने अनेक मोर्चों पर रोकथाम उपायों को मज़बूती प्रदान करने का आहवान किया है ताकि विभिन्न प्रकार के बहिष्करण व विषमता से निपटा जा सके. इस क्रम में, उन्होंने लैंगिकता व युवजन पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किये जाने की बात कही है. महिलाएँ व शान्ति-निर्माण विषमताओं व बहिष्करण का ख़ात्मा करना, टिकाऊ विकास की प्राप्ति के लिये अहम माना गया है. साथ ही शान्ति निर्माण प्रक्रियाओं में महिलाओं द्वारा निभाये जाने वाली अहम भूमिका को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया है. “हम महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, उनके बहिष्करण और हिंसक संघर्ष व नागरिक दमन के बीच एक सीधी रेखा खींच सकते हैं.” “युद्ध के एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल में लाये जाने वाले बलात्कार व यौन दासता से, हिंसक चरमपंथी विचारों में दौड़ने वाले नारी विरोध तक. नेतृत्व व शान्ति प्रक्रियाओं में नेतृत्व पदों से महिलाओं के बहिष्करण तक.” महासचिव ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा किये जा रहे उन प्रयासों के सम्बन्ध में जानकारी दी है, जिनके ज़रिये दुनिया भर में महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों को समर्थन दिया गया है. उन्होंने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर, लड़कियों की स्कूली पढ़ाई जारी रखने के प्रयास किये जा रहे हैं. साथ ही रोज़मर्रा के व आर्थिक जीवन में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है. समान अधिकार व न्याय महासचिव ने सचेत किया कि मानवाधिकारों व क़ानून के राज की बुनियाद पर खड़ी राष्ट्रीय संस्थाओं के ज़रिये भरोसे का निर्माण किया जाना होगा. “इसका अर्थ है न्याय प्रणालियाँ, जो सभी लोगों पर समान रूप से लागू होती हों – सिर्फ़ धनी या सत्ता की कमान सम्भालने वालों तक नहीं.” महासचिव ने बताया कि इसका अर्थ है ऐसी संस्थाओं का निर्माण, जिनमें भ्रष्टाचार व सत्ता के दुरुपयोग का सामना करने की क्षमता हो. इनका निर्माण सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता व जवाबदेही के सिद्धान्तों पर किया जाना होगा. इसके समानान्तर, नीतियों व क़ानूनों के ज़रिये निर्बल समूहों की रक्षा की जानी होगी, जबकि सुरक्षा व क़ानून के राज को क़ायम करने वाली संस्थाओं को भी सर्वजन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना होगा. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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