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बाइडन प्रशासन में भारतीय मूल की नीरा टंडन से क्‍यों खफा है सीनेटर

वाशिंगटन, 24 फरवरी (हि.स.)। अमेरिका में इन दिनों बाइडन प्रशासन में शामिल दो भारतीय अमेरिकियों, नीरा टंडन और डॉ. विवेक मूर्ति को लेकर सियासत चरम पर है। इन दोनों को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन में अहम पदों के लिए चुना गया है लेकिन सीनेट इनके नाम को मंजूर करने से इनकार कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह बाइडन प्रशासन के लिए शुभ संकेत नहीं होंगे। इस खबर से जाहिर तौर पर भारत को भी अफसोस होगा। अलबत्ता भारत से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले पाकिस्तान को यह खबर राहत प्रदान कर सकती है क्योंकि बाइडन प्रशासन में भारतीय अमेरिकियों की सर्वाधिक संख्या होने से उसकी चिंता बढ़ गई थी। बाइडन प्रशासन में नीरा टंडन को एक प्रमुख जिम्मेदारी दी गई है। उनको व्हाइट हाउस और बजट कार्यालय का जिम्मा संभालने के लिए नामित किया गया है। नीरा, बाइडन प्रशासन में फेडरल बजट की तैयारी की देखभाल में मदद करेंगी। इसके साथ फेडरल एजेंसियों में अपने प्रशासन की निगरानी में उनका हाथ बंटाती हैं। कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका के लिए उनकी अहम भूमिका होगी। बाइडन प्रशासन में अगर नीरा टंडन की नियुक्ति को मंजूरी मिल गई तो वह अमेरिका के इतिहास में इस पद को ग्रहण करने वाली पहली महिला होंगी। इसके अलावा वह इस पद पर रहने वाली अमेरिका में पहली अश्वेत महिला होंगी। नामित सदस्यों को सीनेट में मंजूरी होगी जरूरी गौरतलब है कि बाइडन प्रशासन में अहम पदों पर भारतीय मूल के 20 अमेरिकियों को नामित किया गया है। अमेरिकी संविधान के मुताबिक नामित सदस्यों की मंजूरी के लिए सीनेट की मोहर लगना जरूरी है। सौ सदस्यों वाली सीनेट में इसके लिए साधारण बहुमत की जरूरत होगी। सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी की संख्या बराबर। ऐसे में बाइडन प्रशासन में नामित सदस्यों के लिए सीनेट में मंजूरी एक मुश्किल काम होगा। खासकर तब जब इन नामित सदस्यों के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य भी खफा हों। इसलिए एक-एक वोट काफी मायने होगा। नीरा से क्यों खफा है सीनेटर नीरा टंडन से रिपब्लिकन के साथ डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य भी खफा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य सीनेटर जो मैनचिन ने ही नीरा के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। मैनचिन ने कहा कि नीरा ने रिपब्लिक और डेमोक्रेटिक नेताओं के खिलाफ जिस तरह की टिप्पणी की है उसका असर सदस्यों के रिश्तों पर पड़ा है। नीरा के बयान को उल्लेख करते हुए मैनचिन ने कहा कि मिच मैककॉनेल को 'मॉस्को मिच' कहना बिल्कुल ठीक नहीं था। मैककॉनेल सीनेट में एक शीर्ष रिपब्लिकन नेता हैं। उनके इस बयान से ऐसा लगता है कि वह रूस की जेब में बैठे हैं। विवेक मूर्ति से खफा हैं एनआरए लॉबी भारतीय मूल के अमेरिकी विवेक मूर्ति को बाइडन प्रशासन में अहम जिम्मेदारी मिली है। उन्हें अमेरिका का सर्जन जनरल नामित किया गया है। बंदूक से की जाने वाली हिंसा पर उनकी एक टिप्पणी उनके लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकती है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में अमेरिका में बंदूक से की जाने वाली हिंसा का स्वास्थ्य मुद्दा बताया था। उन्होंने कहा था कि राजनीतिक नेता एनआरए से डरे हुए हैं। यह मामला अमेरिका में काफी तूल पकड़ा और विवेक को सफाई देना पड़ा था। यह मुद्दा एक बार फिर तूल पकड़ रहा है। वर्ष 2014 में भी एनआरए लॉबी ने उनकी नियुक्ति रुकवाने की कोशिश की थी। यह अमेरिका की काफी मजबूत और ताकतवर लॉबी है। विवेक ने कोरोना संक्रमण के दौरान अपने भाषणों के जरिए और सलाह देकर 20 लाख डॉलर कमाए हैं। इससे ये स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और निगरानी संगठनों के निशाने पर आ सकते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अजीत

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