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खाद्य असुरक्षा के अभूतपूर्व और त्रासदीपूर्ण स्तर, समाधान तलाश करने की जुगत

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों के अनुसार, दुनिया इस समय गम्भीर खाद्य असुरक्षा की अभूतपूर्ण और त्रासदी के स्तर वाली स्थितियों का सामना कर रही है, और अकाल की चपेट में आने के जोखिम का सामना कर रहे, लगभग 4 करोड़ 10 लाख लोगों की तत्काल मदद करने के वास्ते, क़रीब 6 अरब 60 करोड़ डॉलर की रक़म की तत्काल आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र ने इस संकट का सामना करने के लिये समर्थन जुटाने के वास्ते, सोमवार को एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें, बहुत देर हो जाने से पहले ही, अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की पुकार लगाई गई है. इथियोपिया, मैडागास्कर, दक्षिण सूडान और यमन में लगभग पाँच लाख लोग, पहले ही अकाल जैसे हालात का सामना कर रहे हैं. हाल के महीनों में, बुर्कीना फ़ासो और नाइजीरिया में भी कमज़ोर हालात वाली आबादियों को इसी तरह के हालात का सामना करना पड़ रहा है. What do we need in order to avert famine this year? 🟠$6.6 billion URGENTLY to save 41 million people 🟠a global ceasefire 🟠safe and unhindered access to deliver aid Preventing famine is a choice. #FightFamine pic.twitter.com/tTfTx9cdtl — World Food Programme (@WFP) October 3, 2021 इनके अतिरिक्त, दुनिया भर में, क़रीब चार करोड़ 10 लाख लोग, खाद्य असुरक्षा के आपात स्तर वाले हालात का सामना कर रहे हैं. ये स्थिति, अकाल में खिसक जाने से केवल एक क़दम दूर ही होती है. इस संख्या में पिछले केवल दो वर्षों में ही, 50 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है. एक विषैला मिश्रण संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़ित्स ने, इस उच्च स्तरीय कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए कहा कि जब अकाल अन्ततः दरवाज़ा खोलता है तो ये इतनी तेज़ी से फैलता है कि शायद कोई अन्य जोखिम इतनी तेज़ी से नहीं फैलता. आपदा राहता मामलों के मुखिया मार्टिन ग्रिफ़िथ्स की नज़र में, ये स्थिति, आर्थिक पतन, जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 और सबसे ज़्यादा, संघर्ष के कारण उत्पन्न हालात के विषैले मिश्रण से उत्पन्न हुई है. इस त्रासदीपूर्ण अभिशाप में, हमेशा की तरह, महिलाएँ और लड़कियाँ, सबसे ज़्यादा कमज़ोर हालात में छोड़ दी गई हैं. उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा, “महिलाएँ हमें ऐसी मजबूरी और हताशा वाली आपबीतियाँ सुनाती हैं जिनमें उन्हें अपने बच्चों का पेट भरने के लिये भोजन की तलाश और हासिल करने के लिये मजबूर होना पड़ता है. इनमें भोजन के बदले यौन सम्बन्ध बनाने के लिये मजबूर होना और अपने बच्चों की छोटी उम्र में ही शादियाँ कर देने जैसे तरीक़ों के सामने झुकना शामिल हैं. मैंने हाल के अपने सीरिया दौरे के दौरान ऐसी बहुत सी आपबीतियाँ सुनी हैं.” मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने दानदाताओं का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मानवीय राहत संयोजन कार्यालय (OCHA), अत्यधिक जोखिम वाले देशों में मानवीय सहायता अभियान तेज़ करने में कामयाब हो सका है, जिनमें दक्षिण सूडान, इथियोपिया, बुर्कीना फ़ासो, और यमन शामिल हैं. इन स्थानों पर, यूएन एजेंसियों ने फ़िलहाल, हर महीने लगभग एक करोड़ लोगों को सहायता मुहैया करा रही हैं. मगर, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने आगाह करते हुए ये भी कहा कि अब सहायता प्रयास दो गुने करने और ये दिखाने की ज़रूरत है कि विश्व, एकजुट होकर इस चुनौती का सामना कर सकता है. उन्होंने कहा, “बहुत ज़्यादा समय नहीं बचा है, और हमें ये करके दिखाने की ज़रूरत है.” राजनैतिक इच्छाशक्ति खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने भी इस कार्यक्रम में अपनी बात रखी. उनकी नज़र में, भोजन और आजीविका सहायता, एक साथ मुहैया करानी होगी. उन्होंने कहा, “कृषि आधारित खाद्य प्रणालियों को सहायता मुहैया कराने और दीर्घकालीन मदद सुनिश्चित करने से, पुनर्बहाली का रास्ता साफ़ होता है, जोकि केवल जीवित रहने भर से कहीं ज़्यादा, सहनक्षमता बढ़ा पाएगा. मैं सदस्य देशों द्वारा मदद के लिये, उनका शुक्रिया अदा करता हूँ. बर्बाद करने के लिये, समय बिल्कुल भी नहीं है.” विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने, सन्देश प्रमुखता के साथ फैलाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. उनका कहना था कि विश्व नेता, तभी कार्रवाई करेंगे जब उन्हें मालूम होगा कि वास्तविकता क्या है. डेविड बीज़ली के अनुसार, दुनिया में, इस समय लगभग 400 ट्रिलियन डॉलर के बराबर सम्पदा मौजूद है, और कोविड-19 महामारी की चरम स्थिति में भी, अरबपतियों की सम्पदा में, औसतन हर दिन, लगभग 5 अरब 20 करोड़ डॉलर की बढ़ोत्तरी होती देखी गई है. ये शर्म की बात है डेविड बीज़ली ने कहा, “और सच्चाई ये है कि हम यहाँ बैठे, दुनिया में लगभग चार करोड़ 10 लाख लोगों की मदद करने, देशों को अस्थिर होने से बचाने, और विशाल पैमाने पर विस्थापन होने से रोकने के वास्ते, 6 अरब 60 करोड़ डॉलर की रक़म इकट्ठा करने के लिये, गिड़गिड़ा कर गुहार लगा रहे हैं...मैं ये नहीं समझ पा रहा कि दुनिया में मुझसे क्या चीज़ छूटी हुई है. ये बड़ी शर्म की बात है कि हमें यहाँ ये चर्चा करनी पड़ रही है.” यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, मार्च 2020 में, सुरक्षा परिषद में एक तीव्र और संयोजित कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई थी. यूएन प्रमुख ने उस समय, अकाल की रोकथाम के लिये एक उच्चस्तरीय कार्यबल भी गठित किया था, जिसका उद्देश्य, सर्वाधिक प्रभावित देशों की मदद करने के लिये, सहायता व समर्थन जुटाना था. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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