unaids-world-39not-quite-ready39-for-future-pandemics
unaids-world-39not-quite-ready39-for-future-pandemics

यूएनएड्स: भविष्य की महामारियों के लिये विश्व ‘बिल्कुल तैयार नहीं’

यूएन के संयुक्त एचआईवी और एड्स कार्यक्रम (यूएनएड्स) ने सोमवार को एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अगर विश्व नेता भारी असमानताओं से निपटने के क़दम नही उठाएँगे, तो दुनिया अगले 10 वर्षों में 77 लाख एड्स सम्बन्धी मौतों का सामना कर सकती है. 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस से ठीक पहले, कार्रवाई के आहवान हेतु, यूएन एजेन्सी ने 2030 तक इस बीमारी के सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरे को समाप्त करने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए कहा कि यदि परिवर्तनकारी उपाय नहीं किए गए, तो दुनिया कोविड-19 संकट में फँसी रहेगी और बेहद ख़तरनाक रूप से, भविष्य की सभी महामारियों के लिये बिल्कुल तैयार नहीं होगी. In a new report released ahead of #WorldAIDSDay UNAIDS warns of millions of #AIDS deaths and continued devastation from pandemics if leaders don’t address inequalities. — UNAIDS (@UNAIDS) November 29, 2021 हर दो मिनट में संक्रमण यह सन्देश ऐसे समय आया है, जब हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने कहा है कि 2020 में कम से कम 3 लाख 10 हज़ार बच्चे एचआईवी से संक्रमित थे, यानि हर दो मिनट में एक बच्चे को संक्रमण. इसी अवधि के दौरान अन्य 1 लाख 20 हज़ार बच्चों की एड्स से सम्बन्धित कारणों से मृत्यु हो गई, यानि हर पाँच मिनट में एक बच्चे की मौत. उनकी नवीनतम एचआईवी और एड्स ग्लोबल रिपोर्ट ( HIV and AIDS Global Snapshot) में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19 महामारी उन असमानताओं को ग़हरा रही है, जो लम्बे समय से एचआईवी महामारी में भी उजागर होते रहे हैं. इससे कमज़ोर बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताएँ, जीवन रक्षक एचआईवी की रोकथाम व उपचार सेवाओं से वंचित होने के जोखिम में हैं. प्रगति ‘रास्ते पर नहीं' यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक, विनी ब्यायिमा ने कहा, "एड्स महामारी के ख़िलाफ़ प्रगति, पहले से ही रास्ते पर नहीं थी, अब कोविड-19 संकट के जारी रहने से, और भी ज़्यादा पिछड़ गई है. इससे एचआईवी की रोकथाम और उपचार सेवाएँ, स्कूली शिक्षा, हिन्सा-रोकथाम कार्यक्रम आदि उपायों में बाधा पहुँच रही है." “हमें आज एड्स महामारी को समाप्त करने और कल की महामारियों की तैयारी के बीच चयन करने के लिये मजबूर नहीं किया जाना चाहिये. एकमात्र सफल दृष्टिकोण वही होगा, जिससे दोनों हासिल हो सकेंगे.” यूनीसेफ़ के अनुसार, दुनिया भर में एचआईवी पीड़ित 5 में से 2 बच्चों को अपनी स्थिति का आभास नहीं है, और केवल आधे से कुछ ज़्यादा एचआईवी पीड़ित बच्चों को ही एन्टीरेट्रोवायरल उपचार (एआरटी) हासिल है. यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक, हैनरीएटा फ़ोर ने कहा, "जब तक हम एचआईवी महामारी को बढ़ाने वाली असमानताओं को दूर करने के प्रयासों को तेज़ नहीं करते, जिन्हें कोविड-19 ने और बढ़ा दिया है, हम एचआईवी से संक्रमित अधिकाधिक बच्चों को एड्स के ख़िलाफ़ लड़ाई हारते देखेंगे." असमानता से संक्रमण के स्वरूप परिभाषित होते हैं यूएनएड्स की रिपोर्ट में पाया गया कि एचआईवी की उच्चतम दर वाले कुछ देशों ने एड्स के ख़िलाफ़ "उल्लेखनीय प्रगति" की है. हालाँकि, इसमें बताया गया है कि नए एचआईवी संक्रमणों में, महामारी को रोकने लायक अपेक्षित गिरावट नहीं हो रही है. 2020 में 15 लाख नए एचआईवी संक्रमण दर्ज किए गए व कुछ देशों में एचआईवी संक्रमण दर बढ़ोत्तरी पर है. इसने यह भी कहा किया कि संक्रमण असमानता के पीछे-पीछे चल रहा है. उप-सहारा अफ़्रीका के किशोरों में होने वाले नए एचआईवी संक्रमणों में सात में से छह किशोरियों में हो रहे हैं. समलैंगिक पुरुष और अन्य पुरुष जो पुरुषों, यौनकर्मियों और ड्रग्स का उपयोग करने वाले लोगों के साथ यौन सम्बन्ध रखते हैं, उन्हें दुनिया भर में एचआईवी संक्रमित होने का 25-35 गुना अधिक ख़तरा होता है. यूनीसेफ़ के अनुसार, नए एचआईवी बाल संक्रमणों में से 89 प्रतिशत उप-सहारा अफ़्रीका में हैं और दुनिया भर में 88 प्रतिशत बच्चे व किशोर, एचआईवी के साथ जीने को मजबूर हैं. एड्स सम्बन्धी 88 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु भी उप-सहारा अफ़्रीका में हुई थीं. कोविड-19 के कारण जवाबी कार्रवाई बीच में रूकी यूनीसेफ़ की रिपोर्ट के अनुसार, कई देशों को, 2020 की शुरुआत में, कोविड-19 के कारण, एचआईवी सेवाओं में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. उच्च बोझ वाले देशों में शिशुओं के एचआईवी परीक्षण में 50 से 70 प्रतिशत की गिरावट आई है. साथ ही, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये नए उपचार की शुरुआत में भी 25 से 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. तालाबन्दी के कारण लिंग-आधारित हिंसा में बढ़ोत्तरी और पीड़ितों की देखभाल तक सीमित पहुँच होने से भी संक्रमण दर में वृद्धि हुई. कई देशों को स्वास्थ्य सुविधा वितरण, मातृ एचआईवी परीक्षण और एन्टीरेट्रोवायरल एचआईवी उपचार में भी कटौती करनी पड़ी. यूएनएड्स के अनुसार, सर्वेक्षण किए गए 50 देशों में से 40 में एचआईवी के साथ रहने वाले बहुत कम लोगों ने ही 2020 में इलाज शुरू किया. एजेन्सी के विश्लेषण के मुताबिक, 130 देशों में से 65 प्रतिशत में, नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों का नुक़सान कम करने वाली सेवाएँ भी बाधित हुईं. असमानता के बीच ‘बढ़ती महामारी' UNAIDS की रिपोर्ट में पाँच महत्वपूर्ण तत्वों की जाँच के बाद यह कहा गया है कि एड्स महामारी को रोकने के लिये इन उपायों को तुरन्त लागू किया जाना चाहिये, लेकिन फिलहाल इन्हें प्राथमिकता नहीं दी गई है और इनमें फण्डिंग की कमी है. इनमें, समुदाय के नेतृत्व वाले व समुदाय आधारित बुनियादी ढाँचे, दवाओं, टीकों और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों तक समान पहुँच और महामारी की अग्रिम पंक्ति में काम कर रहे सहायक कार्यकर्ता शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी दोहराया गया है कि असमानताओं को उजागर करने वाले जन-केन्द्रित डेटा सिस्टम के साथ मानवाधिकारों को महामारी प्रतिक्रियाओं के केन्द्र में होना चाहिये. यूएनएड्स रिपोर्ट में, महामारी की तैयारी व प्रतिक्रिया के लिये स्वतन्त्र पैनल की सह-अध्यक्ष, हेलेन क्लार्क ने कहा, "महामारी विभाजित समाजों की दरारों में जगह बना लेती है. महामारी को ख़त्म करने के प्रयास तब तक सफल नहीं हो सकते, जब तक कि विश्व के नेता ऐसे क़दम न उठाएँ जो उन्हें ऐसा करने में सक्षम बनाए." इन चिन्ताओं को सामने रखते हुए, हैनेरीटा फोर ने कहा, "महामारी के बाद की दुनिया में बेहतर निर्माण प्रक्रिया में एचआईवी से निपटने की कार्रवाई भी शामिल होनी चाहिये, जो साक्ष्य-आधारित, लोगों पर केन्द्रित, सहनसक्षम, टिकाऊ व पूर्णत: न्यायसंगत हों. "इस अन्तराल को पाटने के लिये, इन पहलों को एक सुदृढ़ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और सभी प्रभावित समुदायों, विशेष रूप से सबसे कमज़ोर लोगों के सार्थक जुड़ाव के माध्यम से क्रियान्वित किया जाना चाहिये." --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in