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अफ़ग़ानिस्तान में जच्चा-बच्चा की मदद के लिये संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता, नजाबा की कहानी

अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त में, तालेबान का नियंत्रण होने के बाद से बिगड़े हालात के कारण, जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाएँ व्यापक गम्भीर रूप से बाधित हुई हैं और इनमें शिशुओं को जन्म देना भी कठिनाइयों से भर गया है. संयुक्त राष्ट्र की प्रजनन व जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA, वास्तविक व ज़मीनी हालात में जीवनरक्षक सेवाएँ मुहैया कराने में सक्रिय है. एजेंसी के अनुसार, 36 वर्षीय नजाबा ऐसी माताओं में से एक हैं जिन्होंने गर्भावस्था के दौरान गम्भीर ख़तरों के साथ-साथ बढ़ती असुरक्षा के हालात का सामना किया है. चार बच्चों की माँ नजाबा ज़रादनय गाँव की रहने वाली हैं और उन्होंने अपने अगले बच्चे की पैदाइश के निर्धारित दिन से कुछ ही दिन पहले, अपनी गर्भावस्था की स्थिति जानने और ज़रूरी जाँच कराने के लिये, 17 अगस्त को एक ज़िला अस्तपाल का दौरा किया. Mobile Health Teams are a providing a lifeline to #Afghans who need services for reproductive #health and psychosocial support, including mental health. 20+ #MHTs currently supported by @UNFPAAfg to bring reproductive health services closer to the people in #AFG. #StayAndDeliver pic.twitter.com/IYl0NBHk95 — UNFPA Afghanistan (@UNFPAAfg) October 27, 2021 एक अल्ट्रासाउण्ड में पाया गया कि उनके गर्भ में पल रहा बच्चा उल्टी स्थिति में था, यानि उसका सिर नीचे की तरफ़ होने के बजाय, कुछ भिन्न स्थिति में था, जिसे बहुत ज़टिल व ख़तरनाक स्थिति माना जाता है. ऑपरेशन के लिये चिन्ताएँ डॉक्टर ने बताया कि नजाबा को बच्चे की पैदाइश के लिये ऑपरेशन कराना पड़ेगा, मगर नजाबा ऑपरेशन से बहुत डर रही थीं. मगर वो, अपनी स्थिति के बारे में कुछ और ज़्यादा सोचने की ख़ातिर अस्पताल से घर वापिस आ गईं. नजाबा ने यूएन एजेंसी को बताया कि वो इतनी डरी हुई थीं कि उन्होंने अपने बच्चे को, घर पर ही जन्म देने की कोशिश करने के बारे में भी सोचा. “जब ज़िला अस्तपाल ने मुझे जाने दिया, तो मैंने अपनी माँ की मदद से घर पर ही बच्चे को जन्म देने का फ़ैसला किया.” मगर, आने वाले कुछ दिनों के दौरान, असुरक्षा के बढ़ते हालात की वजह से, बहुत सी स्वास्थ्य सेवाएँ बन्द हो गईं, जिनमें ज़िला अस्पताल भी शामिल था. नजाबा को अहसास हुआ कि अगर बच्चे को जन्म देने के दौरान कुछ जटिलताएँ हो गईं तो, उन्हें कोई आपात मदद नहीं मिल पाएगी. स्वास्थ्य मदद के लिये बेताबी उन्होंने बदहवासी में अपनी माँ से सम्पर्क किया. उनकी माँ ने परामर्श के लिये, अपने ही समुदाय की अनेक बुज़ुर्ग महिलाओं से सम्पर्क किया. नजाबा याद करती हैं कि आख़िरकार, “मेरी एक रिश्तेदार ने मुझे एक छोटे से क्लीनिक की मौजूदगी के बारे में जानकारी दी.” वो पास में ही एक ग़ुशान पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र था, जो यूएन एजेंसी (UNFPA) की मदद से चलाया जा रहा था. वहाँ एक दाई, गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया करा रही थी. बच्चे की पैदाइश की अवस्था नजाबा को बस कुछ ही समय बाद, बच्चे की पैदाइश वाला दर्द होने लगा. नजाबा को बहुत जल्दी में, उनकी माँ और शौहर की मदद से, पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुँचाया गया. वहाँ दाई ने, नजाबा का चिकित्सा रिकॉर्ड जाँचा, शारीरिक जाँच-पड़ताल की और उसकी चिन्ताएँ व आशंकाएँ ध्यान से सुनीं. जब नजाबा ने, बच्चे को जन्म देने के बारे में अपनी चिन्ताओं से अवगत कराया तो, दाई ने उसे सांत्वना दी और कहा कि वो किसी ऑपरेशन के बिना, उसके बच्चे को जन्म दिलाने की कोशिश करेगी. चार घण्टे बाद, क़ुदरती तौर पर, यानि किसी ऑपरेशन के बिना ही, एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ. निपुण दाई, नजाबा का ऑपरेशन किये जाने में कामयाब रही, और जच्चा-बच्चा दोनों ही कुछ ही समय बाद, घर जाने के लायक स्वस्थ थे. दरवाज़े खुले रखना नजाबा को अपने पाँचवे बच्चे की सुरक्षित पैदाइश और उसका स्वागत करने पर बहुत राहत मिली, और उनके परिवार में बहुत ख़ुशियाँ महसूस की गईं. नजाबा बाद में अपनी और अपने बच्चे की नियमित जाँच कराने के लिये, दाई के पास जाती रहीं. नजाबा और उनके परिवार का कहना है कि वो भविष्य में जिन भी गर्भवती महिलाओं से मिलेंगे, उनसे इस पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र की सिफ़ारिश अवश्य करेंगे. ये पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र, पूर्वी प्रान्त - दाईकुण्डी के शाहरिस्तान ज़िले में स्थित है, जिसमें जीवनरक्षक जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाएँ और बच्चों के लिये अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराई जाती हैं. इस तरह के कुल 172 पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र दूरदराज़ के गाँवों में बने हुए हैं, जहाँ लोगों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं. ये पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र, संयुक्त राष्ट्र की महिला स्वास्थ्य और जनसंख्या एजेंसी – UNFPA और स्थानीय समुदायों के सहयोग से, अपनी सेवाएँ जारी रख सके हैं, या फिर मौजूदा सुरक्षा हालात के बीच भी, छोटे समय के लिये बन्द रहने के बाद फिर खुल गए हैं. इन पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्रों में गर्भावस्था के दौरान, बच्चों के जन्म, जच्चा-बच्चा की देखभाल, परिवार नियोजन, पोषण सेवाएँ और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की बीमारियों के लिये स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराई जाती हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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