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यूएन शान्तिरक्षा अभियानों में बेहतरी के लिये, टैक्नॉलॉजी व चिकित्सा क्षमता बढ़ाई जाएगी

संयुक्त राष्ट्र के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में, देशों की सरकारों के एक मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में, संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षा अभियानों की टैक्नॉलॉजी और चिकित्सा क्षमता बढ़ाने के मुद्दे पर चर्चा होगी. इन शीर्ष अधिकारियों ने सोमवार को एक प्रैस वार्ता में बताया कि ये सम्मेलन सात व आठ दिसम्बर को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में होगा. इसमें 155 देशों से 700 से भी ज़्यादा प्रतिनिधि शिरकत करेंगे, जिनमें देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों के अलावा, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के मुखिया, शिक्षाविद और पत्रकार भी शामिल होंगे. UN peace operations rely on experienced & capable staff officers to achieve mission mandates in increasingly complex and dangerous environments. Their work is highlighted in the context of capability gaps being addressed at the 2021 Seoul #PKMinisterial. More 👇 #A4P pic.twitter.com/19OevFnE5T — UN Peacekeeping (@UNPeacekeeping) November 21, 2021 इस मुद्दे पर दो दिन का यह सम्मेलन, वर्ष 2014 में शुरू हुई श्रृंखला की ताज़ा कड़ी है जिसमें देशों व सरकारों के अध्यक्ष या मंत्री हिस्सा लेते हैं. पिछला सम्मेलन वर्ष 2019 में न्यूयॉर्क में हुआ था. मुख्य मुद्दा सयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षा अभियानों के मुखिया ज्याँ पियर लैक्रोआ ने कहा कि शान्तिरक्षकों को, बढ़ती गम्भीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि शान्तिरक्षकों को यूएन सचिवालय से समर्थन व सहायता की ज़रूरत है, और उन्हें सदस्य देशों की भी मदद की ज़रूरत है, और हम दरअसल सियोल सम्मेलन से यही अपेक्षा कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के अभियानजनक सहायता विभाग (DOS) के अवर महासचिव अतुल खरे का कहना था कि शान्तिरक्षा मिशन जिन जटिल वातावरणों में काम करते हैं, उनमें रचनात्मक और सतर्कता भरे समाधानों की ज़रूरत होती है. अतुल खरे ने कहा कि टैक्नॉलॉजी के ज़रिये, यूएन शान्तिरक्षा मिशनों और शिविरों को ज़्यादा स्मार्ट, ज़्यादा एकीकृत, निपुण, प्रभावशाली व सुरक्षित बनाया जा सकता है. साथ ही, पर्यावरण पर पदचिन्हों की छाप कम करते हुए, एक छोर से अन्तिम छोर तक सेवाएँ मुहैया कराने और अभियानजनक सहायता को भी सम्भव बनाया जा सकता है. सियोल मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में, यूएन शान्तिरक्षा अभियानों व मिशनों का डिजिटलीकरण करने की रणनीति पर चर्चा और विचार किया जाएगा. टैक्नॉलॉजी के ज़रिये, यूएन शान्तिरक्षकों को, सही समय पर और गुणवत्ता वाली चिकित्सा सहायता भी मुहैया कराने में मदद मिल सकती है. अतुल खरे ने कहा, “शान्तिरक्षा मिशनों में चिकित्सा देखभाल व सेवाओं की उपलब्धता में मौजूद कमियों व खाइयों को दूर करने में अहम प्रगति हासिल हुई है, मगर अभी और ज़्यादा काम किये जाने की ज़रूरत है.” महिलाएँ व पर्यावरण इससे पहले हुए इस तरह के सम्मेलनों में, महिलाएँ, शान्ति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी प्रमुख रहे हैं, और सियोल सम्मेलन में भी, इस विषय पर एक समर्पित कार्यक्रम आयोजित होगा. अवर महासचिव अतुल खरे ने इस एजेण्डा को आगे बढ़ाने की तात्कालिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि लैंगिक समानता एक ऐसी प्रमुख प्राथमिकता है जिसे नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता, और ये भी ध्यान रहे कि ये केवल एक संख्या भर से कहीं ज़्यादा बड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि ऐसे सबूत प्रचुर मात्रा में हैं जो दर्शाते हैं कि महिलाओं की भागीदारी से शान्तिरक्षा अभियानों का कामकाज बेहतर होता है. उन्होंने ये भी कहा कि शान्तिरक्षा अभियानों के कार्बन पदचिन्ह घटाना भी एक प्राथमिकता है तो, उन्हें उम्मीद है कि सदस्य देश, इस मुद्दे पर भी बातचीत करेंगे. यौन दुराचार MINUSCA/Leonel Grothe मध्य अफ़्रीकी गणराज्य (CAR) में सशस्त्र गुटों के ठिकानों की निगरानी के लिये एक ड्रोन उड़ाने की तैयारी करते हुए. रणनीति, नीति और अनुपालन विभाग की अवर महासचिव कैथरीन पोलार्ड ने ऐसे प्रयासों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया जिनसे शान्तिरक्षकों की जवाबदेही और ज़्यादा मज़बूत होगी. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अभियान जहाँ भी चलाए जाते हैं, वहाँ यौन शोषण और दुर्व्यवहार का जोखिम होता है, तो ये स्थिति, संगठन के लिये, जवाबदेही का एक बहुत गम्भीर मुद्दा बन जाती है. उन्होंने कहा, ये स्थिति, दरअसल उन लोगों के साथ एक गम्भीर विश्वासघात है जिनकी सेवा करने और जिन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का शासनादेश पूरा करने के लिये, हम काम करते हैं.” सम्मेलन का इतिहास वर्ष 2015 में, संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में शान्तिरक्षा अभियानों पर एक विश्व सम्मेलन हुआ था जिसका आयोजन अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और यूएन महासचिव बान की मून ने संयुक्त रूप से किया था. सियोल मंत्रिस्तरीय सम्मेलन, उसी सम्मेलन की अगली कड़ी है. ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षा अभियानों के ज़रिये, ऐसे देशों में स्थिरता व टिकाऊ शान्ति स्थापित करने में मदद की जाती है जो संघर्षों के कारण बिखर चुके होते हैं. यूएन शान्तिरक्षा अभियानों की असाधारण शक्ति में वैधता, ज़िम्मेदारी उठाने में सहभागिता, और दुनिया भर से सैन्य व पुलिसकर्मियों की तैनाती की सामर्थ्य शामिल है. इन सैन्य पुलिसकर्मियों को, सिविल शान्तिरक्षकों के साथ घुलमिलकर, बहुकोणीय शासनादेशों पर अमल करने के लिये एकीकृत किया जाता है. पिछले 70 वर्षों के दौरान, 70 से ज़्यादा यूएन शान्तिरक्षा अभियानों में, 10 लाख से भी ज़्यादा पुरुष व महिलाएँ, संयुक्त राष्ट्र के नीले झण्डे के साथ, अपनी सेवाएँ दे चुके हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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