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संघर्ष ख़त्म करने के लिये विकास ख़ामियाँ व असमानताएँ दूर करने की दरकार

संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में कहा है कि संघर्ष व लड़ाइयाँ रोकने के लिये, विकास खाइयाँ पाटने, असमानताएँ कम करने और दुनिया भर में लोगों की ज़िन्दगी में उम्मीद भरने की दरकार है. यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “इतिहास ने दिखाया है कि संघर्ष बिना-वजह, हवा में से पैदा नहीं हो जाते हैं, और ऐसी बात भी नहीं कि उन्हें रोका ना जा सके.” The #SecurityCouncil in fulfilling its mandate also relies on the success of the #UNGA, #ECOSOC & the #ICJ fulfilling their respective mandates & in creating conditions that foster a truly sustainable peace. Pic taken prior to 🇲🇽s Open Debate on Preventive Diplomacy pic.twitter.com/HI2VwK4vvk — UN GA President (@UN_PGA) November 16, 2021 ज़्यादातर मामलों में देखा गया है कि संघर्ष और लड़ाई-झगड़े, बुनियादी सेवाओं के अभाव व भरपेट भोजन, पानी और स्वास्थ्य देखभाल जैसी मूलभूत ज़रूरतें पूरी नहीं होने के कारण भड़कते हैं. सुरक्षा, क़ानूनों और प्रशासनिक प्रणालियों में ख़ामियाँ भी प्रमुख कारण होते हैं. संघर्ष व लड़ाई झगड़े, जन विश्वास यानि संस्थाओं और आपस में भरोसे में कमी के कारण भी भड़क सकते हैं. यूएन प्रमुख ने कहा, “ये ख़ामियाँ या अभाव, हिंसा, यहाँ तक कि संघर्ष व लड़ाई-झगड़ों के लिये सम्भावित भड़काऊ कारक हैं.” इसका मतलब है कि तनाव केवल, सम्वाद के ज़रिये नहीं दूर किये जा सकते, बल्कि ये भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि किसी माँ को अपने बच्चों का पेट भरने की ख़ातिर, ख़ुद भूखे ना रहना पड़े. विकास ख़ामियों को दूर करने और लोगों में उम्मीद की रौशनी भरने से भी, समाजों को स्थिर बनाने और असमानताएँ कम करने में मदद मिल सकती है, जिनके कारण अक्सर संघर्ष या लड़ाई-झगड़े भड़कते हैं. यूएन रोकथाम पैकेज यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि इस विश्व संगठन ने, 76 वर्षों से दुनिया को “सम्वाद के लिये एक प्रमुख स्थान” मुहैया कराया है. साथ ही विवादों के शान्तिपूर्ण निपटारे के लिये आवश्यक प्रक्रिया और उपकरण भी उपलब्ध कराए हैं. यूएन प्रमुख ने संघर्षों की रोकथाम करने के मामले में, हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा मुहैया कराए जा रहे न्यायिक आयाम, और टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने में, आर्थिक व सामाजिक परिषद के कामकाज का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कूटनीति और संघर्ष के रोकथाम प्रयासों के तहत कूटनीति का इस्तेमाल बढ़ाने की ख़ुद की पुकारों का भी ज़िक्र किया. अस्थिरता के कारक यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने दशकों के अनुभव से – सामाजिक-आर्थिक कारकों और संघर्ष के बीच सम्बन्ध के बारे में बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने, आज के दौर की उभरती चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए, कोविड-19 महामारी, बढ़ते सामाजिक-आर्थिक संघर्षों व असमानताओं; विस्थापनों का जोखिम उत्पन्न करते जलवायु संकट; और आम जन की उम्मीदें छीनने वाले बेअसर संस्थानों की मौजूदगी को प्रमुख कारणों में गिनाया. इस बीच, लोकतांत्रिक भागीदारी, राजनैतिक स्वतंत्रताओं और समानता के अभाव में, पूरी की पूरी आबादियाँ, अपने मानवाधिकारों से वंचित हो जाती हैं. UN Photo/Manuel Elias यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए. आर्थिक व सामाजिक आयाम आर्थिक व सामाजिक परिषद (ECOSOC) के अध्यक्ष कॉलेन वी केलापाइल ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि लोगों के आर्थिक व सामाजिक विकास को बढ़ावा देने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और संयुक्त राष्ट्र की विकास व मानवीय प्रणालियों का संचालन करने का शासनादेश पूरा करने के प्रयास, संघर्षों व लड़ाई-झगड़ों की रोकथाम के लिये भी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र में, इनसानों के जीवित रहने की जटिलताओं को समझने में नाकामी के कारण, तकलीफ़ें अब भी जारी हैं, जहाँ एक बहुत ही नाज़ुक और सांस्कृतिक रूप से विविधताओं वाला माहौल है. और दक्षिण सूडान में अत्यन्त गम्भीर ग़रीबी की जड़ें, 50 वर्ष से भी ज़्यादा समय से चले आ रहे संघर्ष में समाई हुई हैं, जबकि हेती की विशाल चुनौतियकी जड़ें, ऐतिहासिक और व्यवस्थागत असमानता, शासन की ख़ामियों और जलवायु परिवर्तन के लिये नाज़ुक परिस्थितियों से निकलती हैं. उन्होंने कहा कि आज की जटिल चुनौतियों का सामना करने के लिये, और ज़्यादा संस्थागत सहयोग व एकजुटता की ज़रूरत है. विश्व न्यायालय में विवाद निपटारा अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय की अध्यक्ष जोआन ई. डोनोह्यू ने सुरक्षा परिषद में अपनी बात रखते हुए, कुछ ऐसे उपाय पेश किये, जिनके जरिये, ये वैश्विक न्यायिक संस्था, संघर्षों और युद्धों की रोकथाम में योगदान किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि देशों को संसधनों, ज़मीन और समुद्री सीमाओं, या फिर सम्भावित संघर्ष के दीगर स्रोतों पर अपने तनाव कम करने के लिये, अपने विवाद सुलझाने की ख़ातिर, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख़ करना चाहिये. उन्होंने कहा कि वैसे तो हर विवाद या मामला अलग होता है, मगर संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रमुख अंगों व संस्थाओं के पास, अपने-अपने दायरों में, इस अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों को लागू करवाने में मदद करने, और शान्ति, सुरक्षा व न्याय को बढ़ावा देने में योगदान करने के अवसर मौजूद होते हैं. “ये न्यायालय भी, संयुक्त राष्ट्र के सम्बन्धित अंगों व संस्थाओं और विशेषीकृत एजेंसियों द्वारा, कोई भी परामर्शकारी राय देने की अर्ज़ी प्राप्त करने के लिये, सदैव तत्पर है.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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