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मध्य पूर्व: शान्तिपूर्ण और टिकाऊ समाधान के लिये आशाएँ पुनर्जीवित किये जाने की पुकार

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉर वैनेसलैण्ड ने आगाह किया है कि क्षेत्र में पसरे राजनैतिक गतिरोध के कारण तनाव और अस्थिरता को बल मिल रहा है और निराशा का माहौल गहरा रहा है. विशेष दूत ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को हालात से अवगत कराते हुए बताया कि इसराइल-फ़लस्तीन संघर्ष की मौजूदा स्थिति पर किसी भ्रम की स्थिति में नहीं रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में हालात बदहाल हैं और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. विशेष दूत के मुताबिक़ चरमपंथियों और सभी पक्षों द्वारा एकतरफ़ा कार्रवाई की वजह से हताशापूर्ण माहौल पैदा हो रहा है, जिससे फ़लस्तीनियों, इसराइलियों और पूरे क्षेत्र के लिये जोखिम बढ़ गया है. "The security situation in #Gaza remains fragile & the security dynamics in the occupied #WestBank, incl. East #Jerusalem, are deteriorating, including growing tensions in & around Holy Sites," #UN Envoy @TWennesland tells #SecurityCouncil. Full briefing: https://t.co/5yFxoZsi1M — UNSCO (@UNSCO_MEPP) October 19, 2021 बस्तियाँ बसाने और लोगों को घर से बेदख़ल किये जाने की गतिविधियों, फ़लस्तीनी सम्पत्तियों को ज़ब्त किये जाने और आवाजाही सम्बन्धी पाबन्दियों से, हिंसा का चक्र जारी है. इसके साथ ही, फ़लस्तीनियों के हमलों में इसराइली नागरिकों का हताहत होना भी बरक़रार है. विशेष समन्वयक ने इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच रात में होने वाले झड़पों पर चिन्ता जताते हुए कहा कि हिंसा के लिये ज़िम्मेदार सभी दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी. उन्होंने पूर्वी येरुशलम के पूर्वोत्तर और आसपास के इलाक़े में निर्माण की इसराइली योजना पर कहा कि इससे उत्तरी और दक्षिणी पश्चिमी तट के बीच आपसी जुड़ाव पर असर पड़ेगा. यूएन दूत ने आशंका जताई कि इससे दो-राष्ट्र समाधान के अन्तर्गत, आपस में मिले हुए, संलग्न फ़लस्तीन देश के निर्माण की सम्भावनाएँ कमज़ोर होंगी. उन्होंने दोहराया कि सभी बस्तियाँ, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत ग़ैरक़ानूनी हैं और शान्ति की राह में एक रोड़ा हैं. विशेष समन्वयक ने पश्चिमी तट में चार हज़ार फ़लस्तीनियों को आबादी रजिस्टर में पंजीकृत किये जाने और उन्हें पहचान पत्र दिये जाने की घोषणा को स्वागतयोग्य बताया. आर्थिक चुनौतियाँ इस बीच, फ़लस्तीन में आर्थिक हालात बेहद ख़राब हैं और बैन्क से कर्ज़ मिलने की सम्भावनाएँ भी क्षीण हो रही हैं. बताया गया है कि फ़लस्तीनी प्राधिकरण का बजट घाटा, वर्ष 2021 में 80 करोड़ डॉलर के स्तर को छू रहा है, जो कि पिछले साल के आँकड़े से दोगुना है. टॉर वैनेसलैण्ड ने सचेत किया कि अभूतपूर्व वित्तीय और राजकोषीय संकट ने ठोस सुधारों और नीतिगत बदलावों की आवश्यकता को रेखांकित किया है. उन्होंने बताया कि फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये प्रयासरत यूएन राहत एजेंसी (UNRWA) को भी बजट की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इसके मद्देनज़र, विशेष दूत ने स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय स्थिरता और अपने शासनादेश को पूरा करने के लिये यह अनिवार्य है कि यूएन एजेंसी के पास सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों. संयुक्त राष्ट्र ने ध्वस्त हुए या क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिये प्रयासों को शुरू किया है. सितम्बर के अन्तिम दिनों में, मिस्र ने ग़ाज़ा में मुख्य तटीय सड़कों की मरम्मत के काम की शुरुआत की थी. यूएन दूत ने क़ाबिज़ ग़ाज़ा पट्टी में परमिट जारी किये जाने और सामान की बेहतर आवाजाही के लिये व्यवस्था का स्वागत किया, मगर ध्यान दिलाया कि इस सुलभता को टिकाऊ बनाये जाने के लिये अभी और प्रयास किये जाने होंगे. ‘टुकड़ों में बँटा समाधान अस्वीकार्य’ यूएन के विशेष दूत ने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा परिस्थितियों और चुनौतियों से टुकड़ों में नहीं निपटा जा सकता. “हम अब और लम्बे समय तक एक संकट से दूसरे संकट में नहीं झूल सकते.” इस क्रम में उन्होंने इसराइल, फ़लस्तीनी प्राधिकरण और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा, समानान्तर क़दमों के एक वृहद पैकेज की पुकार लगाई है. यूएन के विशेष समन्वयक के अनुसार इन उपायों के ज़रिये, प्रगति के रास्ते में मौजूदा प्रमुख राजनैतिक, सुरक्षा, और आर्थिक चुनौतियों को दूर किया जाना होगा. उन्होंने कहा कि हालात की गम्भीरता और विकरालता को ध्यान में रखते हुए, निराशावादी रुख़ अपनाये जाने का जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता. इसलिये, आपसी चर्चा के ज़रिये, हिंसक संघर्ष का एक शान्तिपूर्ण, टिकाऊ समाधान निकालने के लिये आशा को फिर से बहाल किया जाना होगा. उन्होंने इस क्रम में आम सहमति के निर्माण और पारस्परिक सम्पर्क व सम्वाद पर ज़ोर दिया है, जिसके अभाव में, मौजूदा वास्तविकता के और अधिक हताश रूप धारण करने की आशंका है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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