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महासभा की 76वीं जनरल डिबेट सम्पन्न, बहुपक्षवाद नज़र आया सजीव

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने वैश्विक स्वास्थ्य संकट कोविड-19 के माहौल में सोमवार को, यूएन महासभा के 76वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट का समापन घोषित कर दिया. उन्होंने इस उच्च स्तरीय सत्र की सफलता का श्रेय, ठोस ऐहतियाती उपायों और टीकाकरण की उच्च दर को दिया. अब्दुल्ला शाहिद ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने महामारी से उबरने के लिये, अभी तक का सबसे विशाल और साहसिक क़दम उठाया है. “हमें इस कामयाबी को बुनियाद बनाते हुए, अपना काम आगे बढ़ाना चाहिये और अपनी रफ़्तार बरक़रार रखनी चाहिये.” Two key takeaways from the #GeneralDebate: 1. We share the same concerns &the same unwavering commitment to overcome obstacles 2. Multilateralism is indeed alive. We continue to believe in dialogue &diplomacy. We continue to place our faith in the UN.#UNGA76 #PresidencyOfHope pic.twitter.com/AD33yiXfF6 — UN GA President (@UN_PGA) September 27, 2021 उन्होंने कहा, “अभी कामयाबी का सही पैमाना, हमारी इच्छा व तत्परता, सम्वाद में शामिल होने की हमारी योग्यता, व बहुपक्षीय व्यवस्था में हमारी आस्था का होना है.” ‘व्यक्तिगत राजनय’ यूएन महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने बताया कि पिछले एक सप्ताह के दौरान, 194 वक्ताओं ने महासभा के हॉल से दुनिया को सम्बोधित किया, जिनमें 100 राष्ट्राध्यक्ष, 52 सरकारों के अध्यक्ष, तीन उप राष्ट्रपति और 34 मंत्री थे. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “मेरा ख़याल है, आप भी मेरी तरह, व्यक्तिगत राजनय की मज़बूत वापसी को देखकर, प्रोत्साहित महसूस कर रहे होंगे.” “यूएन मुख्यालय में विभिन्न सभागार, रेस्तराँ और कैफ़ीटेरिया, एक बार फिर, सम्वाद...चर्चाओं, हँसी-ठहाकों... और समझौतों से भरे नज़र आए.” अलबत्ता, उन्होंने ये बिन्दु भी रेखांकित किया कि कुल 194 वक्ताओं में से, केवल 18 महिलाएँ थीं, इसलिये तराज़ू के दो पलड़ों में सन्तुलन लाने के लिये, और ज़्यादा प्रयास व कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा, “मैंने इस मुद्दे पर विभिन्न महिला राष्ट्राध्यक्षों व सरकार अध्यक्षों के अलावा, योरोपीय संघ के साथ समर्पित चर्चा की है कि लैंगिक समानता और किस तरह बढ़ाई जा सकती है.” बार-बार सामने आती चिन्ताएँ यूएन महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि पिछले एक सप्ताह के दौरान, व्यापक दायरों वाले मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें कोविड-19, जलवायु परिवर्तन, शान्ति, सुरक्षा और अस्थिरता के जोखिम जैसे मुद्दे बार-बार उठाए गए. उन्होंने कहा कि दरअसल, ये सभी मुद्दे अपने आप में बहुत भारी वज़न का प्रतिनिधित्व करते हैं, और इनमें ये झलकता है कि दुनिया क्या चाहती है. “संयुक्त राष्ट्र को अब इन चिन्ताओं का सामना इस तरह से करना चाहिये कि हर एक चुनौती, एक अवसर में तब्दील हो जाए...बहुपक्षवाद को मज़बूत करने और ज़मीनी बदलाव लाने के अवसर में.” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमारे पास सन्तुष्ट होकर या हाथ पर हाथ धर कर बैठने के लिये कोई समय नही है, विश्व, कम नहीं, बल्कि और ज़्यादा कार्रवाई की मांग कर रहा है. महासभा अध्यक्ष ने, कोविड-19 महामारी, जलवायु और पर्यावरण के साथ-साथ, महिलाओं, लड़कियों और युवाओं के सशक्तिकरण के मुद्दों पर उच्च स्तरीय बैठकें नियोजित होने के मद्देनज़र, इस सत्र के एक सक्रिय और समावेशी होने की आशा जताई. दो सत्य महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने, उच्च स्तरीय जनरल डिबेड का समापन घोषित करते हुए कहा कि इस सत्र के दौरान दो सत्य बहुत स्पष्टता से पेश किये गए. पहला ये कि हर किसी की एक जैसी चिन्ताएँ हैं और बाधाओं पर पार पाने की अटूट प्रतिबद्धता. “अलबत्ता, हम रणनीतियों व तरीक़ों पर चाहे मतभिन्नता रखते हों, मगर अन्तिम लक्ष्य लगभग एक जैसे ही हैं.” उनका दूसरा अवलोकन ये था कि “बहुपक्षवाद, दरअसल सजीव है और बहुत अच्छी अवस्था में है”. उन्होंने ध्यान दिलाया कि इतने सारे देशों के प्रतिनिधि यहाँ आए, अपनी बात दुनिया के सामने रखी, सम्वाद में शामिल हुए, चर्चाओं में हिस्सा लिया और अपनी दलीलें पेश कीं. “इस वास्तविकता में एक ऐसी विश्व की झलक मिलती है जो सम्वाद और राजनय में भरोसा रखता है, और एक ऐसे संयुक्त राष्ट्र में अपना भरोसा प्रकट करता है जो समर्थ व मुस्तैद है.” यूएन महासभा अध्यक्ष ने समापन टिप्पणी में कहा, “आइये, इन सत्यों से हम अपनी उम्मीदों में जान फूँकें, और 76वें सत्र के बाक़ी हिस्से के लिये, ज़िम्मेदारी व दृढ़ संकल्प के साथ काम करें.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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