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26वीं वर्षगांठ पर 11वें पंचेन लामा की रिहाई को लेकर एक बार फिर हुई आवाज बुलंद

निर्वासित तिब्बती सरकार ने विश्व भर के देशों से की अपील धर्मशाला, 17 मई (हि.स.)। 11वें पंचेन लामा की रिहाई को लेकर एक बार फिर दुनिया भर के देशों में रह रहे तिब्बतियों, बौद्धों और तिब्बत समर्थकों ने आवाज बुलंद की है। 11वें पंचेन लामा गेदुन चोयकी नीमा को चीन द्वारा 26 वर्ष पूर्व 17 मई को उनके परिजनों सहित अपहरण कर अज्ञात स्थान पर नजरबंद कर दिया था। पंचेन लामा उस समय महज छह वर्ष के थे। उनके अपहरण की 26वीं वर्षगांठ पर सोमवार को धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार ने उनकी रिहाई के लिए विश्व भर के देशों उनकी सरकारों और संसद से 11वें पंचेन लामा की रिहाई के लिए चीन पर दबाव बनाने का आह्वान किया है। निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डा. लोबसांग सांग्ये ने यहा जारी अपने संदेश में कहा कि यह दिन एक व्यक्ति के रूप में और एक राष्ट्र के रूप में हमारे साथ किए गए घोर अन्याय की एक गंभीर याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि पंचेन लामा को पिछले 26 साल से नजरबंद रखा गया है और बाकी दुनिया से अलग-थलग कर दिया गया है। उनके ठिकाने के बारे में किसी भी जानकारी को चीनी सरकार द्वारा एक रहस्य बना कर रखा है। उन्होंने कहा कि यह अनिवार्य है कि हम एक समुदाय के रूप में, एक क्षमाप्रार्थी राज्य द्वारा बनाए गए इस घोर अपराध को याद रखें और उसके खिलाफ प्रयास करें। उन्होंने कहा कि आज केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ‘तिब्बत का चोरी का बच्चा: 11वें पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा’ की कहानी को याद करते हुए नामक एक पुस्तक का विमोचन किया गया। उन्होंने कहा कि चीन ने पंचेन लामा को नजरबंद करके उनकी जगह अलग पंचेन लामा घोषित कर दिया जोकि तिब्बती लोगों की सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप है। यही नही यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के साथ-साथ चीनी राष्ट्रीय संविधान का भी उल्लंघन करता है। 6 साल की उम्र में 1995 में रहस्मयी परिस्थितियों में लातपा हुए थे 11वें पंचेन लामा 11वें पंचेन लामा गेदुन चोयकी नीमा को चीन द्वारा 17 मई, 1995 को अपहरण कर लिया गया था। इसके बाद से उनकी कोई जानकारी नही मिल पाई थी। 14 मई, 1995 को तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने गेधुन चोयकी नीमा को 11वें पंचेन लामा के रुप में मान्यता दी थी। इसके तीन दिन के बाद ही 17 मई, 1995 से 6 वर्षीय गेधुन व उनके परिजन रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब हैं। 28 मई 1996 तक तो यह भी पता नहीं चल सका कि गेधुन व उसके परिजनों का किसने अपहरण किया, लेकिन जब इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के अधिकारों के लिए गठित कमेटी ने उठाया तो पता चला कि चीन ने उसे बंदी बनाया हुआ है। चीन का मानना है कि दलाई लामा द्वारा घोषित पंचेन लामा को लेकर बुद्ध संप्रदाय के लोगों में भारी रोष पनप रहा था, इसी के चलते उन्हें सेना को भेजना पड़ा। इसके बाद से पंचेन लामा व उनके परिजनों के बारे में ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई थी कि वे कहां हैं। इसी बीच 29 नवंबर, 1995 को चीन ने ग्यालसन नोरबू को पंचेन लामा घोषित कर दिया। गेधुन चोयकी नीमा अब 32 वर्ष के हो चुके हैं, जबकि उन्हें तिब्बती समुदाय में धर्मगुरु दलाई लामा के बाद दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा गुरु माना जाता है। धर्मगुरू ने 11वें पंचेन लामा के जीवित होने का किया था खुलासा तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने तीन वर्ष पूर्व कहा था कि 11वें पंचेन लामा जीवित हैं। उन्होने कहा था कि विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक 11वें पंचेन लामा जीवित हैं और सामान्य शिक्षा ले रहे हैं। लेकिन उससे ज्यादा उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया। वहीं आज एक बार फिर तिब्बत की निर्वासित सरकार ने 11वें पंचेन लामा की रिहाई को लेकर समय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लेकर चीन पर दबाव बनाने की कोशिश की है। हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

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