सीरिया: युद्ध, कोविड और आसमान छूती क़ीमतें, लोग भोजन व ईंधन में से किसी एक को चुनने पर मजबूर

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विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने, शुक्रवार को, सीरिया का तीन दिन का दौरा पूरा करने के आबाद आगाह किया है कि देश में इस समय इतने ज़्यादा लोग भुखमरी की चपेट में हैं, जितने कि एक दशक से जारी इस गृहयुद्ध के दौरान कभी नहीं रहे. डेविड बीज़ली ने इन हताशा वाले हालात के लिये, युद्ध, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 और खाद्य पदार्थों व ईंधन की बढ़ती क़ीमतों के घातक मिश्रण को ज़िम्मेदार ठहराया. “माताओं ने मुझे बताया कि आने वाली सर्दियों में वो पीछे खाई – आगे कुँआ के हालात में फँसी हुई हैं.” Levels of food insecurity across #Syria are at record highs. Thank you @BelgiumMFA for providing lifesaving assistance to 270,000 vulnerable people at this critical time. Together we are helping families who need our help more now than ever before. pic.twitter.com/pFYQyf9qKF — WFP Syria (@WFP_Syria) November 10, 2021 यूएन खाद्य एजेंसी प्रमुख ने कहा, “वो या तो अपने बच्चों को भोजन खिला दें और उन्हें कँपकपाती सर्दी में ठिठुरकर जम जाने के लिये छोड़ दें, या फिर अगर उन्हें सर्दी से बचाएँ, तो भूखे पेट रहना होगा. इन परिवारों के पास इतने संसाधन नहीं है कि एक साथ ईंधन और भोजन का प्रबन्ध कर सकें.” उन्होंने कहा कि अनेक कठिन हालात का ये घातक मिश्रण, लोगों की हिम्मत तोड़ रहा है. किसे भोजन मिले और किसे नहीं डेविड बीज़ली ने अपनी इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान पोषण व खाद्य वितरण केन्द्रों में अनेक ऐसी महिलाओं के साथ बातचीत की, जिन्होंने जीवित रहने के लिये उनके सामने दरपेश बेहद कठिन विकल्पों के बारे में बताया. अलेप्पो में चार बच्चों की एक माँ, ने अपने दैनिक संघर्ष के बारे में बताया. “हम बहुत थक चुके हैं और परेशान हो चुके हैं, और अब ख़ाली पेट रहने से हिम्मत टूट रही है क्योंकि आर्थिक स्थिति की भी कमर टूट रही है.” उस महिला ने बताया कि उसे और उसके बच्चों को पिछले चार महीने से कोई ताज़ा भोजन, दूध-मक्खन और अण्डे वग़ैरा नहीं मिल सके हैं और उन्हें बहुत की कठिन निर्णय लेने पड़े हैं. “मसलन ये कि किस बच्चे को भोजन मिलना चाहिये, इस आधार पर कि उसकी सेहत कितनी कमज़ोर हैं, या फिर कौन बच्चा कितना बीमार है, और अगर आज किस बच्चे को भोजन नहीं मिला तो वो गम्भीर कुपोषण के गर्त में चला जाएगा.” रिकॉर्ड खाद्य असुरक्षा सीरिया में लगभग एक करोड़ 24 लाख लोग, यानि देश की क़रीब 60 प्रतिशत आबादी, अब खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है और इन लोगों को ये नहीं मालूम होता कि उनकी अगली भोजन ख़ुराक कहाँ से आएगी. यूएन एजेंसी का कहना है कि इस संख्या में वर्ष 2019 की तुलना में, 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और सीरिया के इतिहास में खाद्य असुरक्षित लोगों की इतनी बड़ी संख्या पहली बार हुई है. देश का कृषि क्षेत्र, आबादी की खाद्य ज़रूरतें पूरी करने के लिये पर्याप्त खाद्य उत्पादन करने में संघर्ष कर रहा है. इसके अलावा पूरे देश में खाद्य पदार्थों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं जोकि सितम्बर में रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गईं. मुख्य फलों की एक टोकरी के दाम, पिछले साल की तुलना में दोगुने हो गए हैं और अब लाखों परिवारों की पहुँच से बाहर हैं. हताशाजनक कृत्यों से बचें इसके अलावा, कम बारिश होने और फ़रात नदी में जल स्तर कम होने से लगभग 34 लाख लोग प्रभावित हैं, क्योंकि गेहूँ और बाजरे की पैदावार करने वाले इलाक़े बहुत नुक़सान में हैं. साथ ही, पड़ोसी देश लेबनान में वित्तीय संकट का प्रभाव, सीरियाई मुद्रा का गिरता मूल्य और कोविड-19 का दीर्घकालीन प्रभाव, इन सभी कारणों ने देश में आर्थिक मन्दी का माहौल बना दिया है. डेविड बीज़ली ने कहा, “इतिहास ने हमें दिखा दिया है कि अगर हम लोगों के निराश और हताश हो जाने से पहले ही उनकी मदद नहीं करते, तो वो कोई भी भीषण क़दम उठा सकते हैं ,और हमें बहुत बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन देखना पड़ सकता है.” ज़िन्दगियाँ बचाएँ विश्व खाद्य कार्यक्रम, सीरिया में हर महीने, 50 लाख से ज़्यादा लोगों की खाद्य सहायता कर रहा है. मगर एजेंसी ये खाद्य सहायता जारी रखने के लिये धन की कमी का सामना कर रही है और परिवारों को दिये जाने वाली मासिक खाद्य सामग्री की मात्रा में, हाल के दिनों में कमी करनी पड़ी थी. सीरिया में एजेंसी के सहायता अभियानों के लिये केवल 31 प्रतिशत ही धनराशि उपलब्ध है और एजेंसी को अगले छह महीनों के दौरान, अपने सहायता अभियान जारी रखने के लिये लगभग 48 करोड़ डॉलर की रक़म की आवश्यकता है. एजेंसी प्रमुख डेविड बीज़ली ने कहा, “लोगों को उनके रहने के स्थानों पर ही मदद मुहैया कराना सस्ता और सुलभ पड़ता है, बनिस्बत इसके कि वो पलायन करके या विस्थापन करके किन्हीं दीगर स्थानों पर पहुँचें और वहाँ उन्हें खाद्य सहायता पहुँचाई जाए.” “हमें ज़िन्दगियाँ बचाने और स्थिति को स्थिर बनाने में सक्षम रहने के लिये, संसाधनों की ज़रूरत है.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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