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सीरिया: एक पूरी पीढ़ी गँवा देने का जोखिम रोकना होगा, यूएन सहायता प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के कार्यालय (OCHA) ने कहा है कि एक दशक से गृह युद्ध का अभिशाप झेल रहे सीरिया में, लगभग एक करोड़ 34 लाख लोगों को, मानवीय सहायता की सख़्त ज़रूरत है. यूएन एजेंसी ने, इन ज़रूरतमन्द लोगों तक, निर्बाध मानवीय सहायता पहुँचाने और उसके लिए समुचित धन का इन्तज़ाम किये जाने की पुकार भी लगाई है. संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत संयोजक और मानवीय सहायता मामलों के लिये अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने हाल ही में, सीरिया, लेबनान और तुर्की का दौरा किया है. पद का कार्यभार सम्भालने के बाद उनकी पहली यात्रा थी. 1. In Gaziantep, I visited an @UNmigration-supported center where I met Syrian refugees & members of the Turkish host community. This is Mohammed, a 23-yr-old Syrian refugee arrived in Turkey as a child. Instead of school, he had to work in a restaurant to support his family. pic.twitter.com/aEXUCpiwpQ — Martin Griffiths (@UNReliefChief) September 3, 2021 उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को उन लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिये निर्बाध पहुँच बनाने की ज़रूरत है जो लोग इस सहायता पर निर्भर हैं – तुर्की और सीरिया दोनों में. उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “मानवीय सहायता में सक्रिय लोगों व एजेंसियों और दानदाताओं को, सीरिया को, सामूहिक एजेण्डा की सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखना होगा ताकि एक पूरी पीढ़ी को, व्यापक नुक़सान से बचाया जा सके.” मानवीय सहायता का विस्तार मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, सीरिया के विदेश मंत्री और उप विदेश मंत्री के साथ मुलाक़ात की जिस दौरान उन्होंने, मानवीय सहायता की उपलब्धता का विस्तार बढ़ाने, आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सीरिया की तमाम आबादी को, अपने लिये एक बेहतर भविष्य का सपना देखने में मदद किये जाने पर ज़ोर दिया. लेबनान की मदद मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, यूएन मानवीय वायु सेवा (UNHAS) के ज़रिये, सीरिया की राजधानी दमिश्क की यात्रा के दौरान, सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और मानवीय सहायता समुदाय के साथ रचनात्मक मुलाक़ातें कीं, जिनमें सीरियाई अरब रैड क्रैसेण्ट और रैड क्रेसेण्ट सोसायटीज़ व अन्य संगठन शामिल थे. मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, लेबनान की राजधानी बेरूत में भी दानदाताओं व सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मुलाक़ातें कीं और देश की ताजा स्थिति व तेज़ी से बढ़ती ज़रूरतों का जायज़ा लिया. उन्होंने अपनी इस यात्रा के दौरान, लेबनान में, जरूरी सेवाएँ निर्बाध जारी रखने के लिये, ईंधन की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के वास्ते, संयुक्त राष्ट्र के केन्द्रीय आपदा राहत कोष से, 40 लाख डॉलर की रक़म देने का ऐलान भी किया. इस बीच, संयुक्त राष्ट्र व उसके साझीदार संगठनों ने लेबनान क लिये, वर्ष 2021-22 की आपात राहत योजना तैयार की है जिसके तहत, देश में, बेहद कमज़ोर हालात का सामना करने वाले लगभग 11 लाख लोगों व मौजूदा संकट से प्रभावित प्रवासियों को, जीवन रक्षक सहायता मुहैया कराई जाएगी. सीमा पार अभियान मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने अपनी इस यात्रा के अन्तिम चरण में, तुर्की का दौरा किया जहाँ उन्होंने, राष्ट्रपति के प्रवक्ता, उप विदेश मंत्री और अन्य प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की. OCHA/Bilal al Hamoud सीरिया के इदलिब में, विस्थापित लोगों के लिये बनाए गए एक शिविर में, पानी भर कर ले जाते हुए दो बच्चे. उन्होंने, तुर्की-सीरिया के सीमावर्ती प्रान्त हताय में, एक ऐसे मानवीय सहायता ठिकाने का भी दौरा किया जहाँ से सीरिया के लिये सहायता अभियान चलाए जाते हैं. संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसियाँ, हर महीने, इस ठिकाने से, खाद्य और चिकित्सा सामग्री के साथ-साथ अन्य ज़रूरी चीज़ों से लदे लगभग 1000 ट्रक, ज़रूरतमन्द लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिये रवाना करती हैं. मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, अनातोलिया क्षेत्र के धुर पश्चिमी इलाक़े में सीरियाई शरणार्थियों और उनकी मदद करने वाले मेज़बान समुदायों के साथ भी मुलाक़ात की. उन्होंने अलेप्पो में, यूएन सीरिया मानवीय सहायता कोष द्वारा समर्थित परियोजना स्थलों का भी दौरा किया और वहाँ स्थिति सीरियाई लोगों से, 10 वर्ष के संघर्ष के भीषण प्रभावों के बारे में बातचीत की. यूएन दूत ने कहा, “मैंने अलेप्पो में ऐसे लोगों के साथ मुलाक़ात की जिनकी ज़िन्दगियों में, सीरियाई संकट के कारण, व्यापक उथल-पुथल मच गई है.” रक़म का निम्न आँकड़ा संयुक्त राष्ट्र और उसकी साझीदार एजेंसियों को, सीरिया में, ज़रूरतमन्द लोगों की मदद करने के लिये, वर्ष 2021 के दौरान, लगभग 4 अरब 20 करोड़ डॉलर की रक़म की ज़रूरत है, मगर इस रक़म का केवल 27 प्रतिशत हिस्सा ही अभी प्राप्त हुआ है. इसके अलावा, क्षेत्रीय शरणार्थी और सहनक्षमता योजना के तहत, मिस्र, इराक़, जॉर्डन, लेबनान और तुर्की में लगभग 55 लाख सीरियाई शरणार्थियों और मेज़बान समुदायों की मदद करने का लक्ष्य है. इसके लिये, क़रीब 5 अरब 80 करोड़ की रक़म की ज़रूरत है, मगर अभी तक केवल 19 प्रतिशत रक़म ही हासिल हुई है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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