syria-after-10-years-of-war-siege-strategy-still-threatens-civilians
syria-after-10-years-of-war-siege-strategy-still-threatens-civilians

सीरिया: 10 साल के युद्ध के बाद, घेराबन्दी की रणनीति से नागरिक अब भी ख़तरे में

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि सीरिया के लोगों का भविष्य "धूमिल" नज़र आ रहा है. उन्होंने युद्ध से तबाह इस देश के कई क्षेत्रों में बढ़ते संघर्ष, दोबारा घेराबन्दी की रणनीति अपनाने और ढहती अर्थव्यवस्था से जुड़े विरोध प्रदर्शनों पर प्रकाश डाला है. सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र जाँच आयोग के अनुसार, एक दशक के युद्ध के बाद शरणार्थियों के लौटने के लिये देश अभी सुरक्षित नहीं है. पैनल का यह निष्कर्ष ऐसे समय आया है, जब देश के पश्चिमोत्तर, पूर्वोत्तर और दक्षिण में हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है. आयोग ने मंगलवार को बताया कि सरकार समर्थित बलों द्वारा नागरिक आबादी के ख़िलाफ़ घेराबन्दी की घटनाएँ दोबारा शुरू हो गईं हैं. जाँच आयोग के प्रमुख, पाउलो पिनहेइरो ने कहा, "संघर्ष में लिप्त गुट, मानवता के ख़िलाफ़ युद्ध अपराध तो कर ही रहे हैं, साथ ही सीरिया के लोगों के बुनियादी मानवाधिकारों का भी उल्लंघन कर रहे हैं. सीरियाई नागरिक अब भी युद्ध का सामना कर रहे हैं, और उन्हें सुरक्षा या सुरक्षित ठिकाना नहीं मिल सका है." After 10 years of war in #Syria, siege tactics still threaten civilians, says @UNCoISyria report to Human Rights Council #HRC48 https://t.co/VU0s7z80df — UN Human Rights Council (@UN_HRC) September 14, 2021 अल होल के बच्चों का भविष्य प्रोफ़ेसर पिनहेइरो ने सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में आईएस के पूर्व लड़ाकों से पैदा हुए हज़ारों ग़ैर-सीरियाई बच्चों को, भयानक परिस्थितियों में हिरासत में रखे जाने की भी भरपूर निन्दा की. जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र के बीच उन्होंने पत्रकारों से कहा, "चूँकि उनके देश उन्हें वापस लेने से इनकार कर देते हैं, इसलिये ज़्यादातर विदेशी बच्चे स्वतंत्रता से वंचित रह जाते हैं." "बाल अधिकारों पर कन्वेन्शन को दुनिया के सबसे अधिक देशों से समर्थन प्राप्त है, लेकिन इसे पूरी तरह से भुला दिया गया है. जो लोकतांत्रिक देश इस कन्वेन्शन का पालन करने के लिये तैयार भी होते हैं, वो भी इस कन्वेशन के दायित्वों को पूरा नहीं करते, जैसा कि अल होल और अन्य शिविरों व जेलों में देखा जा सकता है.” अब भी लगभग 40 हज़ार बच्चे अल होल जैसे शिविरों में रह रहे हैं. 1 जुलाई 2020 से 30 जून 2021 की अवधि के बीच की जाँच आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से लगभग आधे इराक़ी हैं और 7 हज़ार 800 अन्य बच्चे, उन 60 देशों से हैं, जो उन्हें वापस लेने से इनकार करते हैं. नाकाबन्दी और बमबारी मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, क्विनीट्रा और रिफ़ दमिश्क प्रशासनिक क्षेत्रों में "घेराबन्दी सरीखी रणनीतियों" के साथ-साथ, 2011 में विद्रोह की शुरूआत करने वाले, दार अल-बलाद शहर पर, सरकार समर्थक बलों द्वारा घेराबन्दी की निन्दा की. पाँच साल से अधिक समय तक पूर्वी घोउटा की घेराबन्दी, जिसे आयुक्तों ने पहले "बर्बर और मध्ययुगीन" क़रार दिया था, उसका हवाला देते हुए आयुक्त हैनी मैगली ने कहा, "आयोग द्वारा, पूर्वी घोउटा की पीड़ा दर्ज करने के तीन साल बाद, अब लगता है कि हमारी आँखों के सामने दारा अल-बलाद में एक और त्रासदी होने को है." आयुक्तों ने कहा कि भारी गोलाबारी से उत्पन्न ख़तरों के अलावा, दार अल-बलाद के अन्दर फँसे हज़ारों नागरिकों के पास, भोजन और स्वास्थ्य देखभाल की पहुँच भी अपर्याप्त थी, जिससे बहुत से लोगों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा. डर में जीना आयुक्तों ने बताया कि अलेप्पो के अफ़रीन और रास अल-ऐयन क्षेत्रों में लोग कैसे कार बमों के डर के बीच रहते थे, "जो अक्सर भीड़-भाड़ वाले इलाक़ों में विस्फोटों के ज़रिये", बाज़ारों और व्यस्त इलाक़ों को निशाना बनाते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी रिपोर्ट की 12 महीने की अवधि के दौरान, सात ऐसे हमले हुए, जिनमें कम से कम 243 महिलाएँ, पुरुष और बच्चे मारे गए हैं. हालाँकि उन्होंने कहा कि वास्तविक मृत्यु संख्या इससे भी अधिक हो सकती है. अन्धाधुन्ध गोलाबारी अब भी जारी है, जिसमें 12 जून को उत्तर पश्चिमी सीरिया के अफ़रीन शहर में कई स्थानों पर हुई गोलाबारी भी शामिल है. इसमें अनेक लोग मारे गए और घायल हुए व अल-शिफ़ा अस्पताल का कुछ भाग भी नष्ट हो गया था. जाँच आयोग के अनुसार, बचे हुए चरमपंथियों द्वारा हमलों में वृद्धि हुई है और तुर्की बलों के साथ संघर्ष के साथ-साथ, पूर्वोत्तर सीरिया में सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ़) के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति भी बिगड़ गई है. विभाजन जारी है आयुक्तों ने यह उल्लेख भी किया कि यद्यपि लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र और 40 प्रतिशत युद्ध पूर्व आबादी पर राष्ट्रपति असद का नियंत्रण है, लेकिन लगता है कि "देश को एकजुट करने या सुलह करने के लिये पर्याप्त क़दम नहीं उठाए गए हैं." पिछले वर्षों की तुलना में हिंसा के स्तर में अहम गिरावट ज़रूर देखने को मिली है, लेकिन जाँच आयोग ने उन ख़तरों पर प्रकाश डाला, जिनका अब भी गैर-लड़ाके नागरिक सामना कर रहे हैं. वरिष्ठ मानवाधिकार विशेषज्ञों ने यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) के आँकड़ों का हवाला देते हुए ईंधन की कमी व खाद्य असुरक्षा से प्रभावित आबादी के बीच बढ़ते असन्तोष और विरोध को भी उजागर किया, जो एक वर्ष में 50 प्रतिशत बढ़कर 1 करोड़ 24 लाख हो गया है. हैनी मैगली ने कहा, "सीरियाई लोगों को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ सरकार वापस नियंत्रण में है, वो उन सीरियाई नागरिकों के विरोध प्रदर्शनों के रूप में सामने आने लगा है, जो देश के वफादार रहे हैं." "अब उनका कहना है कि, 'दस साल के संघर्ष के बाद, हमारा जीवन बेहतर होने के बजाय और भी बदतर होता जा रहा है. आख़िर इस सबका अन्त कब होगा?" --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in