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समुद्री तापमान में वृद्धि - एक दशक में 14 फ़ीसदी मूँगा चट्टानों को नुक़सान

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2009 और 2018 के बीच, समुद्री तापमान में बढ़ोत्तरी जारी रहने की वजह से विश्व की 14 फ़ीसदी प्रवाल भित्तियाँ या मूंगा चट्टानें (coral reefs) ख़त्म हो गई हैं. मंगलवार को जारी ‘Sixth Status of Corals of the World: 2020 Report’ नामक एक रिपोर्ट में प्रवाल भित्तियों के निगरानी नैटवर्क के विशेषज्ञों ने अपने निष्कर्ष पेश किये हैं. Hundreds of millions of people around the world depend on coral reefs for food, jobs and protection from storms & erosion. The #WorldCoralReefStatus report documents the loss of around 14% of the world’s coral since 2009. Action #ForNature can’t wait.https://t.co/WHvztAnsxO — Joyce Msuya (@JoyceMsuya) October 5, 2021 संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का समर्थन प्राप्त इस नैटवर्क ने 40 वर्षों की अवधि में, 73 देशों में 300 से अधिक वैज्ञानिकों से डेटा को एकत्र किया. इनमें 20 लाख व्यक्तिगत पर्यवेक्षण भी हैं. रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में मूँगा चट्टानों पर जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान वृद्धि के अलावा, हद से ज़्यादा मछली पकड़े जाने, तटीय क्षेत्रों अरक्षणीय (unsustainable) विकास, महासागरों के अम्लीकरण और जल गुणवत्ता में गिरावट जैसी चुनौतियों से भी दबाव बढ़ रहा है. विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि प्रवाल भित्तियों को अपरिवर्तनीय नुक़सान पहुँचने के विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं. मूँगा चट्टानों के आच्छादन (cover) में तेज़ी से गिरावट को समुद्री सतह पर तापमान में तेज़ वृद्धि से जोड़ा गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह तापमान में बढ़ोत्तरी से प्रवाल भित्तियों पर होने वाले असर का संकेत है, और वैश्विक तापमान और ज़्यादा बढ़ने की स्थिति में ये रुझान बढ़ने की सम्भावना है. यूएन पर्यावरण एजेंसी की प्रमुख इन्गर एण्डरसन ने कहा कि “इन नुक़सानों की दिशा उलटने का समय बीता जा रहा है, मगर हमें अभी कार्रवाई करनी है.” उन्होंने आगाह किया कि ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन और कुनमिन्ग में जैवविविधता सम्मेलन, निर्णय-निर्धारकों के लिये नेतृत्व दर्शाने और मूँगा चट्टानों को बचाने का एक अवसर प्रदान करते हैं. प्रवाल भित्तियों का अहम योगदान मूँगा चट्टाने, समुद्री धरातल के महज़ 0.2 फ़ीसदी हिस्से पर आच्छादित हैं, मगल वे कुल समुद्री प्रजातियों के एक चौथाई हिस्से का घर हैं. ये उनके लिये महत्वपूर्ण पर्यावास उपलब्ध कराती हैं, और प्रोटीन व जीवनरक्षक दवाओं का बुनियादी स्रोत भी हैं. एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में करोड़ों लोग, अपने रोज़गार, भोजन और तूफ़ानों से बचाव के लिये प्रवाल भित्तियों पर निर्भर हैं. बताया गया है कि मूँगा चट्टानों द्वारा प्रदत्त सामग्री व सेवाओं के मूल्य को प्रति वर्ष दो हज़ार 700 अरब आँका गया है. इनमें मूँगा चट्टान पर्यटन से प्राप्त होने वाले 36 अरब डॉलर की राशि भी है. रिपोर्ट बताती है कि दुनिया की अनेक प्रवाल भित्तियाँ अब भी सुदृढ़ हैं और अगर परिस्थितियाँ अनुकूल हों, तो वे फिर से फल फूल सकती हैं. मूँगा चट्टानों पर मरहम लगाने के लिये कार्बन उत्सर्जन में तत्काल कटौती के लिये उपायों को बेहद अहम बताया गया है, ताकि भविष्य में तापमान वृद्धि को रोका जा सके. रिपोर्ट के अनुसार, महासागरों के तापमान में वृद्धि को रोककर, मूँगा चट्टानों को उबरने का अवसर प्रदान किया जा सकता है. इस वर्ष, ‘टिकाऊ विकास के लिये महासागर विज्ञान के यूएन दशक’ और ‘पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली के यूएन दशक’ की शुरुआत हो रही है. इन मुहिमों के ज़रिये वैज्ञानिक प्रगति के ज़रिये समुद्रों और पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा के लिये प्रयासों को गति दी जा रही है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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