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अफगानिस्तान के पीएम के रूप में मुल्ला अखुंद के साथ बेहतर कूटनीतिक शुरुआत करना चाह रहा पाकिस्तान

इस्लामाबाद, 8 सितम्बर (आईएएनएस)। तालिबान के दिग्गज नेता मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद की अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति, पाकिस्तान के लिए एक सुखद समाचार के रूप में सामने आई है, क्योंकि अखुंद का इसके शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान के करीब होने का इतिहास है। हालांकि पहले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाने के कयास लगाए जा रहे थे, मगर उससे पहले मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद को तवज्जो दी गई और बरादर को उसके डिप्टी के रूप में कार्यवाहक उप-प्रधानमंत्री का पद दिया गया है। मुल्ला अखुंद कंधार के जराई जिले से आता है। वह तालिबान आंदोलन का सह-संस्थापक है और मुल्ला उमर के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक हैं। दरअसल, वे अपनी किशोरावस्था से ही दोस्त रहें हैं। 71 वर्षीय अखुंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अफगानिस्तान के विभिन्न मदरसों में की। हालांकि, सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी करने में असमर्थ रहा। ऐसा कहा जाता है कि अखुंद तालिबान आंदोलन के विचार की कल्पना करने वालों में से एक था। उसने सत्ता में समूह के पहले कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित देशों के साथ राजनयिक चैनल खोलने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। यह विकास पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि तालिबान के शीर्ष स्तर की पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के साथ आसान पहुंच और सुगम चर्चा होगी, क्योंकि 1990 के दशक से दोनों के बीच आम जमीन पहले से ही स्थापित है। अफगानिस्तान अब वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है, क्योंकि देश एक बड़े मानवीय संकट की ओर बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने संभावित आपदा से निपटने के लिए कम से कम चार महीने के लिए 66 करोड़ डॉलर की तत्काल सहायता आपूर्ति की मांग की है। आंतरिक परिवर्तन और निर्णय लेने के साथ-साथ समग्र आपूर्ति सहायता में पाकिस्तान की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी, जिसका उद्देश्य एक ऐसी प्रणाली तैयार करना है जो दुनिया के लिए स्वीकार्य और वैध हो। इस उद्देश्य के लिए, तालिबान नेतृत्व के साथ जुड़ना निर्विवाद महत्व रखता है। अब अफगानिस्तान में वर्तमान नेतृत्व के साथ, इस्लामाबाद संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो देशों सहित वैश्विक शक्तियों के लिए संचार, प्रभाव और चिंतन रणनीति का मुख्य चैनल हो सकता है। यह घटनाक्रम तब भी सामने आया है, जब अफगानिस्तान में पाकिस्तान विरोधी भावनाएं उबल रही हैं, जिसकी तस्वीरें मंगलवार को काबुल में निकाली गई रैलियों में पाकिस्तान विरोधी नारों के साथ देखी गई हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने हालांकि इस दावे को खारिज कर दिया कि तालिबान सरकार बनाने और अफगानिस्तान के लिए फैसले लेने में पाकिस्तानी प्रभाव को स्वीकार कर रहा है। उसने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, पाकिस्तान हमारे मामलों में हमें प्रभावित नहीं करता है। यह एक झूठी कहानी है, जिसे प्रचारित किया जा रहा है। --आईएएनएस एकेके/आरजेएस

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