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मंकीपॉक्स: रोकथाम अब भी सम्भव, संक्रमण फैलाव का जोखिम बहुत कम

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने मंगलवार को कहा है कि मंकीपॉक्स का जो संक्रमण दुनिया भर के 16 देशों और स्वास्थ्य एजेंसी विभिन्न क्षेत्रों में दर्ज किया गया है, उस पर क़ाबू पाया जा सकता है, और संक्रमण का कुल जोखिम बहुत कम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आपदा कार्यक्रम में, छोटी चेचक टीम (Smallpox Team) की मुखिया डॉक्टर रोज़ामण्ड लुइस का कहना है, “इस वायरस और इसके संक्रमण रुझान से जो हमें जानकारी हासिल हुई है, वो ये है कि इसका संक्रमण अब भी रोका जा सकता है; इस संक्रमण पर क़ाबू पाना और इसे पूरी तरह रोकना, विश्व स्वास्थ्य संगठन और सदस्य देशों का यह लक्ष्य भी है.” उन्होंने कहा कि इसलिये आम लोगों को जोखिम बहुत कम नज़र आता है, क्योंकि हम जानते हैं कि संक्रमण फैलाव का रुझान बहुत कम है, जैसाकि अतीत में भी कहा जा चुका है. सदस्य देशों से, 22 मई को प्राप्त आँकड़ों में संकेत मिलते हैं कि 16 देशों और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के विभिन्न क्षेत्रों से, मंकीपॉक्स के संक्रमण के 250 से ज़्यादा पुष्ट और सन्दिग्ध मामले दर्ज किये गए हैं. मंकीपॉक्स के संक्रमण के लक्षण, छोटी चेचक (Smallpox) के मरीज़ों जैसे ही नज़र आ सकते हैं, अलबत्ता ये लक्षण चिकित्सा नज़रिये से बहुत कम गम्भीर होते हैं, हालाँकि देखने में अजीब लग सकते हैं. बहुत गम्भीर मामलों में बुख़ार हो सकता है, जो दो से चार सप्ताहों तक रह सकता है. त्वचा मार्ग विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मंकीपॉक्स का संक्रमण, त्वचा से त्वचा के सम्पर्क में आने के कारण फैलता है, हालाँकि ये वायरस साँसों की बून्दों और संक्रमित बिस्तर के ज़रिये भी फैल सकता है. डॉक्टर लुइस का कहना था कि मंकीपॉक्स वायरस की वृद्धि अवधि (Incubation) आमतौर पर छह से 13 दिन तक होती है मगर ये पाँच से 21 दिन के बीच भी हो सकती है. उन्होंने कहा, “हमारे पास अभी इस बारे में जानकारी नहीं है कि ये शरीर के तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है या नहीं.” यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों के बारे में दकियानूसी और छुआछूत जैसा बर्ताव किये जाने के ख़िलाफ़ आगाह करने के प्रयासों में के तहत ज़ोर देकर कहा है कि संक्रमण के ज़्यादातर मामले ऐसे पुरुषों के साथ पाए गए हैं जिन्होंने अन्य पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध बनाए, ऐसा इसलिये भी हो सकता है कि ये लोग, अन्य लोगों की तुलना में, स्वास्थ्य देखभाल हासिल करने के लिये ज़्यादा सक्रिय रहे हों. डॉक्टर लुइस ने जिनीवा में पत्रकारों से कहा कि ये बीमारी किसी को भी प्रभावित कर सकती है और ये किसी ख़ास समूह के लोगों के साथ जुड़ी हुई नहीं है. अनेक के लिये जीवन की सच्चाई डॉक्टर लुइस ने ज़ोर देकर कहा कि इस संक्रमण के बारे में जो अजीब बात है वो ये है कि इस समय जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं, वहाँ आमतौर पर मंकीपॉक्स के संक्रमण नहीं देखे गए हैं. अनेक देशों में यह बीमारी काफ़ी बड़े पैमाने पर है: मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, नाइजीरिया और कैमेरून में ऐसे मामले दर्ज हुए हैं, और अन्य अनेक देश भी ऐसे हैं जहाँ अतीत में इसके मामले सामने आए हैं. वैक्सीन का भण्डार अतीत में अलबत्ता टीकाकरण से, मंकीपॉक्स के संक्रमण को क़ाबू में करने के प्रयासों में कामयाबी मिली है, मगर इस समय 40 - 50 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों को, मंकीपॉक्स के संक्रमण का ज़्यादा जोखिम हो सकता है क्योंकि छोटी चेचक से बचाने वाली वैक्सीन का टीकाकरण दुनिया भर में ख़त्म हो चुका है, जैसाकि सभी जानते हैं कि इस बीमारी का उन्मूलन 1980 में घोषित कर दिया गया था. डॉक्टर लुइस ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने अलबत्ता इस एजेंसी से, छोटी चेचक की वैक्सीन का भण्डार सुरक्षित रखने को कहा है ताकि किसी नए संक्रमण के मामले में काम आ सके. मंकीपॉक्स वायरस के दो रूप हैं: पश्चिमी अफ़्रीकी और काँगो बेसिन (मध्य अफ़्रीकी). किसी इनसान में इसके संक्रमण का पहला मामले 1970 में, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में चिन्हित किया गया था. अलबत्ता 1958 में डेनमार्क की एक प्रयोगशाला में, बन्दरों में इस वायरस की खोज पुष्ट होने के बाद, इसे मंकीपॉक्स नाम दिया गया था, इस तरह ये कुछ भ्रामक भी नज़र आता है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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