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डिजिटल डेटा आदान-प्रदान के अनेक फ़ायदे, नए तौर-तरीक़े अपनाये जाने पर बल

व्यापार एवम् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने कहा है कि सीमाओं से परे, डेटा के आदान-प्रदान को जारी रखने और बड़ी संख्या में लोगों के लिये डिजिटल डेटा की सुलभता के लिये नए तौर-तरीक़ों को अपनाये जाने की ज़रूरत है. यूएन एजेंसी ने बुधवार को अपनी ‘Digital Economy Report 2021’ रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि डिजिटल डेटा की सुलभता को बढ़ा कर विकास से मिलने वाले लाभ को बढ़ावा दिया जा सकता है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि उन्हें न्यायसंगत रूप से वितरित किया जाए. The 2021 #DigitalEconomyReport is out. It maps why global data governance matters for development amid a surge in data flows that will see global internet traffic in 2022 exceed all previous traffic combined up to 2016. But half the world is still offline: https://t.co/kubI8EqoK0 pic.twitter.com/sMyCM9Fw96 — UNCTAD (@UNCTAD) September 29, 2021 यूएन एजेंसी ने आशा जताई है कि इन नए तौर-तरीक़ों से दुनिया भर में डेटा को साझा किये जाना सम्भव होगा, वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक कल्याण के औज़ारों को विकसित किया जा सकेगा. इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता में कमी आएगी और भरोसा बढ़ेगा. रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि नई वैश्विक प्रणाली की मदद से इण्टरनेट को अलग-अलग हिस्सों में विभाजित होने से रोका जाना होगा और मौजूदा विषमताओं में कमी लानी होगी. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रिपोर्ट के लिये अपनी प्रस्तावना में कहा, “डिजिटल और डेटा शासन प्रणाली के लिये एक नए मार्ग पर चलने की शुरुआत पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.” यूएन प्रमुख के मुताबिक़ डेटा सम्बन्धी मौजूदा परिदृश्य विखण्डित है और इससे निजता के हनन, साइबर हमलों और अन्य प्रकार के जोखिमों को पनपने के लिये और जगह मिल सकती है. रिपोर्ट बताती है कि डिजिटल डेटा, एक आर्थिक व रणनीतिक संसाधन के रूप में अहम भूमिका निभा सकता है, जिसका रुझान कोविड-19 महामारी के दौरान दिखाई दिया है. यूएन एजेंसी की महासचिव रेबेका ग्रीनस्पान ने कहा कि स्वास्थ्य डेटा को वैश्विक स्तर पर साझा किया जाना बेहद अहम है, चूँकि इससे बीमारी के फैलाव से लड़ने, वैक्सीन विकसित करने और शोध कार्यों में मदद मिल सकती है. “डिजिटल शासन प्रणाली के मुद्दे को अब और देर तक नहीं टाला जा सकता है.” इसके तहत, एक दूसरे से जुदा तौर-तरीक़ों से अलग हटते हुए समन्वित प्रयासों पर बल दिया गया है. नई संस्था का सुझाव यूएन एजेंसी ने संयुक्त राष्ट्र की एक नई समन्वय संस्था के गठन का प्रस्ताव पेश किया है, जो कि वैश्विक डिजिटल और डेटा शासन प्रणाली की समीक्षा व उसके विकास पर केंद्रित होगी. बताया गया है कि इस संस्था के ज़रिये विकासशील देशों के कम प्रतिनिधित्व में सुधार लाने और यह सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया जाएगा कि डिजिटल तैयारी व क्षमता के विभिन्न स्तरों वाले देशों तक भी लाभ पहुँचाया जा सके. रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग प्रकार की डेटा शासन प्रणाली देखने को मिल रही है, और मुख्यत: तीन रुझान सामने आए हैं. अमेरिका, चीन, और योरोपीय संघ. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में मुख्य रूप से निजी सैक्टर द्वारा डेटा के नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. चीन में सरकार डेटा पर नियंत्रण को रेखांकित किया गया है, जबकि योरोपीय संघ में व्यक्तियों द्वारा डेटा नियंत्रण पर बल दिया गया है और यह बुनियादी अधिकारों व मूल्यों पर आधारित है. रिपोर्ट के अनुसार नए तौर-तरीक़ों से देशों के लिये, सार्वजनिक लाभ के लिये डेटा को बेहतर ढँग से सँवारने, अधिकारों व सिद्धान्तों पर सहमत होने, मानक विकसित करने और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना सम्भव होगा. रिपोर्ट बताती है कि सीमा-पार डेटा प्रवाह की शासन व्यवस्था में, नियामन के विषय में भिन्न-भिन्न मतों और रुख़ों से फ़िलहाल गतिरोध पैदा हो गया है. रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि डेटा-सम्बन्धी दरार उभर रही है. अनेक विकासशील देश अब वैश्विक डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म के लिये डेटा मुहैया करा रहे हैं, जबकि उनके डेटा से तैयार डिजिटल इंटैजीलेंस को प्राप्त करने के लिये भुगतान करना पड़ रहा है. सबसे कम विकसित देशों (LDCs) में महज़ 20 प्रतिशत आबादी ही इण्टरनेट का इस्तेमाल करती है, और उन्हें ऐसा बेहद कम डाउनलोड स्पीड के साथ करना पड़ता है, जबकि इस्तेमाल की क़ीमत अधिक होती है. रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल ब्रॉडबैण्ड की औसत स्पीड, विकसित देशों में LDCs से तीन गुना अधिक है. अमेरिका, चीन का दबदबा डेटा के उपयोग में अमेरिका और चीन सबसे आगे हैं और दुनिया के हाइपर-स्केल डेटा केंद्रों में उनका हिस्सा 50 प्रतिशत है. इन देशों में 5जी टैक्नॉलॉजी को अपनाने की सबसे ऊँची दर है, आर्टिफ़िशियल इंटैलीज़ेंस (एआई) के 70 फ़ीसदी शीर्ष शोधकर्ता यहीं हैं और उनके पास एआई में स्टार्ट-अप कम्पनियों की कुल फ़ण्डिंग का 94 प्रतिशत है. विश्व के सबसे बड़े डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म में इन दोनों देशों का, बाज़ार पूँजीकरण (market capitalization) में हिस्सा 90 प्रतिशत है. महामारी के दौरान, उनके मुनाफ़े और बाज़ार पूँजीकरण का मूल्य तेज़ी से ऊपर गया है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि डिजिटल कॉरपोरेशन के लिये शासन प्रणाली के बग़ैर, सीमा-पार डेटा प्रवाह के लिये नियामन पर विचार करना मुश्किल होता जा रहा है. ये प्लैटफ़ॉर्म अपने डेटा तंत्रों के दायरे में लगातार विस्तार कर रहे हैं और वैश्विक डेटा वैल्यू चेन के हर चरण को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं. सबसे बड़े डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म – ऐप्पल, माइक्रोसॉफ़्ट, ऐमेज़ोन, फ़ेसबुक, एल्फ़ाबैट (गूगल), टेन्सेन्ट और अलीबाबा – वैश्विक डेटा वैल्यू चेन के सभी हिस्सों में निवेश बढ़ा रहे हैं. उदाहरणस्वरूप, ऐमेज़ोन ने सैटेलाइट ब्रॉडबैण्ड में 10 अरब डॉलर का निवेश किया है. ऐमेज़ोन, ऐप्पल, फ़ेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट, वर्ष 2016 से 2020 के दौरान, एआई स्टार्ट अप का अधिग्रहण करने वाली शीर्ष कम्पनियाँ थीं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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