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लीबिया: सभी पक्षों द्वारा मानवता के ख़िलाफ़ अपराध करने की शंका

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त एक लीबिया जाँच मिशन ने सोमवार को कहा है कि ऐसी बहुत सम्भावना है कि देश में वर्ष 2016 से ही, युद्ध से सम्बद्ध सभी पक्षों द्वारा, युद्धापराध और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों को अंजाम दिया गया है, और इन अपराधों में बाहरी तत्वों का भी हाथ रहा है. लीबिया पर स्वतंत्र जाँच मिशन ने कहा है कि इन अपराधों में लोगों को मनमाने ढंग से बन्दी बनाए जाने से लेकर उनका उत्पीड़न किया जाने, बच्चों को लड़ाई में इस्तेमाल करने के लिये भर्ती करने से लेकर, बड़े पैमाने पर लोगों की हत्याएँ करने जैसे अपराध शामिल हैं. There are reasonable grounds to believe that war crimes have been committed in Libya, while violence perpetrated in prisons and against migrants there may amount to crimes against humanity, shows a report of the fact-finding mission on #Libya. Full report:https://t.co/F3kNCB5TRA pic.twitter.com/qJWvUN8pZ4 — UN Geneva (@UNGeneva) October 4, 2021 जाँच मिशन ने मानवाधिकार हनन के ऐसे अनेक मामलों का विवरण तैयार किया है जिनका देश के लोगों पर भीषण असर पड़ा है और इसी कारण, युद्धापराध के आरोप लगाने के लिये, “पर्याप्त आधार” मौजूद हैं. नागरिक ठिकानों को नुक़सान जाँच मिशन का कहना है कि वर्ष 2019-20 के दौरान, राजधानी त्रिपोली पर नियंत्रण के लिये हुई लड़ाई में, विशेष रूप से आम आबादी के लिये बहुत बड़ा जोखिम उत्पन्न हुआ. इसके अलावा, वर्ष 2016 से ही, अन्य तरह की हिंसा से तो आम लोग प्रभावित हुए ही हैं जिस दौरान अस्पतालों, स्कूलों, प्रवासी बन्दीगृहों और अन्य ठिकानों पर हमले हुए हैं. जाँच मिशन के अध्यक्ष मोहम्मद औआज्जर का कहना है, “हवाई हमलों में अनेक परिवार मारे गए हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की इमारतों और ढाँचों की तबाही से, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में बाधा उत्पन्न हुई है, और लड़ाकों द्वारा रिहायशी इलाक़ों में छोड़ दिये गए मानव विरोधी विस्फोटक सामग्रियों ने, बहुत से लोगों या तो मौत के मुँह में धकेल दिया, या फिर उन्हें पंगु बना दिया.” इस जाँच मिशन का गठन, जून 2020 में, यूएन मानवाधिकार परिषद ने किया था. इस मिशन ने, सैकड़ों दस्तावेज़ों की जाँच-पड़ताल करने, 150 से ज़्यादा लोगों के साथ बातचीत करने, और लीबिया में समानान्तर शोध करने के बाद, अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है. असहनीय हालात व संगठित मानवाधिकार हनन मिशन की एक पदाधिकारीक ट्रेसी रॉबिन्सन ने, जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “लीबिया में, सरकार और इतर लड़ाकों द्वारा किसी भी व्यक्ति को, अपने हितों या विचारों के लिये, जोखिम के रूप में देखने पर, उन्हें मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाकर गुप्त जेलों में रखा जाता है और उन गुप्त जेलों में हालात असहनीय होते हैं.” उन्होंने कहा, “लीबियाई जेलों में इतने बड़े पैमाने और संगठित तरीक़े से हिंसा को अंजाम दिया जाता है कि ये मामले मानवता के ख़िलाफ़ अपराध की श्रेणी में गिने जा सकते हैं.” यूएन द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार जाँचकर्ताओं ने, प्रवासियों, शरणार्थियों व अन्य कमज़ोर अल्पसंक्यक समुदायों के ख़िलाफ़ हिंसा की तरफ़ भी ध्यान खींचा है, इनमें एलजीबीटीक्यूआई व्यक्ति भी शामिल हैं. जाँच मिशन के एक अन्य सदस्य शलोका बेयानी का कहना है, “प्रवासियों के ख़िलाफ़ हिंसा का इस्तेमाल, सरकारी और अ-सरकारी तत्वों द्वारा बहुत बड़े पैमाने पर और संगठित तरीक़े से किया जाता है. ये सब मानवता के ख़िलाफ़ अपराध की श्रेणी में आता है.” शलोका बेयानी ये इन चिन्ताजनक ख़बरों की तरफ़ भी ध्यान दिलाया कि सीरिया संघर्ष में से बहुत से लड़ाके लीबिया में सक्रिय हैं और बहुत से निजी लड़ाके, रूस स्थित वैगनर समूह ने भाड़े पर वहाँ तैनात कर रखे हैं जो वर्ष 2019-20 के दौरान राजधानी त्रिपोली के नियंत्रण के लिये हुई लड़ाई में शामिल थे. इससे पहले, निजी लड़ाकों के इस्तेमाल पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यदल ने भी इसी तरह के दावे किये थे. भाड़े के लड़ाकों की मौजूदगी शलोका बेयानी ने कहा, “हमारे जाँचकर्ताओं ने संकेत दिया है कि लीबिया में विदेशी लड़ाके मौजूद हैं, असामाजिक तत्व हें, और वो लीबिया से नहीं हटे हैं जबकि उन्हें वहाँ से बाहर निकल जाना था.” जाँच मिशन ने, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्य प्रकार के उल्लंघन में जिन मामलों की जाँच की है उनमें लड़ाई में इस्तेमाल के लिये बच्चों की भर्ती किया जाना भी शामिल है. ट्रेसी रॉबिन्सन का कहना है, “हमारी रिपोर्ट में ये भी विवरण दिया गया है कि लड़ाई में इस्तेमाल करने के लिये, किस तरह बच्चों की भर्ती की जा रही है, जानी-पहचानी महिलाओं की जबरन गुमशुदगी और ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से उनकी हत्याएँ किया जाना और यौन हिंसा व अन्य निर्बल समूहों के ख़िलाफ़ हिंसा का जारी रहना शामिल हैं.” तरहूना हत्याकाण्ड जाँच मिशन ने राजधानी त्रिपोली के दक्षिण-पूर्व में स्थित तरहूना नामक एक क़स्बे में, वर्ष 2016-20 के दौरान बड़े पैमाने पर अत्याचार व क़त्लेआम किये जाने के आरोपों की पुष्टि भी की है. वहाँ बहुत बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की क़ब्रें पाई गई हैं. ख़बरों के अनुसार, समझा जाता है कि तरहूना में, शायद सैकड़ों आम लोगों की हत्याएँ करने के लिये, कनियात मिलिशिया ज़िम्मेदार थे. मृतकों के शरीरों पर लगे घाव देखने से संकेत मिलता है कि उनकी आँखों पर पट्टी बांधी गई थी, उनके हाथ-पाँव भी बांधे गए थे और उन्हें कई-कई बार गोली मारी गई थी. जाँच मिशन के अध्यक्ष मोहम्मद औआज्जार ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि हाल ही में स्थापित राष्ट्रीय एकता वाली सरकार के वजूद में आने से, एक राष्ट्रीय स्तर के सम्वाद और राष्ट्रीय संस्थानों के एकीकरण की सम्भावना उत्पन्न की है. संयुक्त राष्ट्र, लीबिया में, शान्ति प्रयासों में सहयोग व समर्थन दे रहा है. ध्यान रहे कि लीबिया में वर्ष 2011 में, तत्कालीन राष्ट्रपति मुअम्मार ग़द्दाफ़ी को सत्ता से हटाए जाने के बाद, देश में अशान्ति फैल गई थी. इस संघर्ष के दौरान, देश, राष्ट्रीय समझौते वाली अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार (जीएनए) के अधीन व, प्रतिद्वन्द्वी लीबियाई नेशनल आर्मी (एलएनए) के बीच विभाजित होकर रह गया है. जाँच मिशन ने एक वक्तव्य में ध्यान दिलाया है कि उसने ऐसे लीबियाई और विदेशी तत्वों की पहचान की है जो वर्ष 2016 से, मानवाधिकार हनन, दुर्व्यवहार और अन्य अपराधों के लिये ज़िम्मेदार रहे होंगे. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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