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इराक़ में आतंकी गुट आइसिल के अपराधों की जाँच, न्याय प्रक्रिया 'अहम मोड़' पर

इराक़ में आतंकवादी गुट इस्लामिक स्टेट (आइसिल/दाएश) ने जिन क्रूरताओं व अपराधों को अंजाम दिया था, उन मामलों में न्याय प्रक्रिया अब एक अहम पड़ाव पर पहुँच गई है. संयुक्त राष्ट्र के एक विशेष जाँच दल (UNITAD) के नए प्रमुख ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को जानकारी देते हुए यह बात कही है. विशेष सलाहकार क्रिस्टियान रिट्सशर ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि अभी तक एकत्र किये गए साक्ष्यों के आधार पर मुक़दमों की कार्रवाई में मदद मिल सकती है. उन्होंने बताया कि पीड़ितों व प्रत्यक्षदर्शियों के साथ प्रभावी सम्वाद व सम्पर्क और रणक्षेत्र में आतंकी गुट के सदस्यों द्वारा पीछे छोड़े गए डिजिटल सबूतों के आधार पर, व्यक्तियों के कृत्यों को अपराधों से जोड़ा जा सकता है. SA Christian Ritscher during his first brief to the #UNSC: I believe we now stand at a turning point, a moment of unexpected hope. We can now envision a new landscape in which those who believed themselves to be out of reach of justice are held accountable in a court of law. pic.twitter.com/U6m4i4slRi — UNITAD (@UNITAD_Iraq) December 2, 2021 UNITAD नामक यह टीम, आइसिल गुट द्वारा इराक़ी समुदायों के विरुद्ध अंजाम दिये गए अपराधों के मामलों में सबूत जुटा रही है. जून 2014 से दिसम्बर 2017 तक हुए इन अपराधों में सामूहिक हत्याएँ और रासायनिक व जैविक हथियारों का इस्तेमाल भी है. क्रिस्टियान रिट्सशर ने बताया कि इन अपराधों के मामलों में राष्ट्रीय एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों व अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह प्रक्रिया अब एक अहम मोड़ पर पहुँचा गई है, और यह शायद एक अनपेक्षित आशा का लम्हा है. बताया गया है कि UNITAD और इराक़ी प्रशासन ने, देश के उत्तरी क्षेत्र में स्थित मोसुल शहर में सामूहिक क़ब्रों से शवों को बरामद किया है. आइसिल ने जून 2014 में, धर्म के आधार पर अलग किये जाने के बाद इन पीड़ितों की हत्या कर दी थी. कम से कम एक हज़ार, शिया बन्दियों की हत्या किये जाने की आशंका है. डिजिटल, दस्तावेज़ी, गवाही और अन्य सबूतों के ज़रिये, इन अपराधों के लिये अनेक आइसिल सदस्यों की शिनाख़्त की गई है. जाँच में शुरुआती निष्कर्ष के तहत इन कृत्यों को मानवता के विरुद्ध अपराध व युद्धापराध माना गया है. बताया गया है कि बाडूश जेल हमले में मिले साक्ष्य दर्शाते हैं कि आइसिल लड़ाकों ने इन बर्बरताओं को अंजाम देने के लिये विस्तृत योजनाएँ बनाई थीं. रासायनिक हथियार कार्यक्रम यही बात, इस गुट द्वारा रासायनिक व जैविक हथियारों को विकसित व उनका इस्तेमाल करने में लागू होती है. “हमारे सबूत दर्शाते हैं कि आइसिल ने स्पष्ट रूप से रासायनिक हथियार कारखानों व अन्य शुरुआती सामग्री के स्रोतों की शिनाख्त की और फिर उन्हें ज़ब्त कर लिया.” “ऐसा करते समय, शोध व विकास के केंद्र के रूप में, मोसुल विश्वविद्यालय के परिसर को भी क़ब्ज़े में ले लिया गया.” “योग्य तकनीकी व वैज्ञानिक विशेषज्ञों की छोटी टीमों ने इन कार्यक्रमों में ज़रूरत अनुसार बदलाव करने और उन्हें बढ़ाने के लिये काम किया, कुछ सदस्यों को विदेश से लाया गया था.” अब तक तीन हज़ार पीड़ितों की शिनाख़्त की जा चुकी है. आइसिल द्वारा पीछे छोड़े गए रिकॉर्ड के विश्लेषण के आधार पर, इन कार्यक्रमों के विकास में कथित तौर पर अग्रणी भूमिका निभाने वाले व बड़े हमलों में इनका इस्तेमाल करने वालों की शिनाख़्त की गई है. वित्तीय मदद पर नज़र विशेष सलाहकार ने ज़ोर देकर कहा कि आइसिल के अपराधों को वित्तीय मदद देने वाले और उससे मुनाफ़ा कमाने वाले लोगों को भी न्याय के कटघरे में लाये जाने की आवश्यकता है. इस क्रम में, आइसिल के शीर्ष नेतृत्व के एक नैटवर्क की शिनाख़्त की गई है, जिसका इस्तेमाल एक भरोसेमन्द वित्तीय सहायता मुहैया कराने वाले के रूप में किया जाता था. इस नैटवर्क के ज़रिये लूटपाट, समुदायों से सम्पत्ति चुराने, और आईसिल के क़ब्ज़े वाले इलाकों में रह रहे लोगों पर व्यवस्थागत ढँग से लागू की गई कर प्रणाली से जुटाये गए धन को अन्य कामों में इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा कि यह अवसर दण्डमुक्ति की भावना को दूर करते हुए न्याय की दिशा में आगे बढ़ने का है, जिसमें अन्तरराष्ट्रीय संकल्प व एकजुटता की अहम भूमिका होगी. उन्होंने इस सप्ताह जर्मनी की अदालत में एक महत्वपूर्ण फ़ैसले का उल्लेख किया, जिसमें आइसिल के एक सदस्य पर, इराक़ की यज़ीदी समुदाय की एक युवती के एक मामले में जनसंहार के अपराध में आरोप साबित हुआ है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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